उत्तर प्रदेश

मनरेगा लिख रही विकास गाथा

उतर प्रदेश में मनरेगा से किस तरीके से विकास की इबारते लिखी जा रही हैं, इसे अगर देखना हो तो हमें बंदायू जाना होगा ।बंदायू में इन दिनों मनरेगा के तहत लुप्तप्राय नदी सोत के कायाकल्प का कार्य कराया जा रहा है। बिजनौर जिले में एक बड़ी झील से निकली सोत अमरोहा और संभल होते हुए बझेड़ा गांव के पास से बंदायू में प्रवेश करती है। बंदायू के लगभग 86 गांवों की प्यास बुझाते हुए 177 किमी. की लम्बी दूरी तय करने के बाद सोत सिकंदराबाद के पास गंगा में विलीन हो जाती है।

सोत बंदायू के लिए एक नदी ही नहीं बल्कि अस्तित्व का प्रतीक रही है। सोत नदी ने बंदायू की सभ्यता और संस्कृति को न सिर्फ एक आकार दिया है बल्कि इसके पानी ने यहां के लोगों की प्यास भी बुझाई ।सोत ने एक लंबे इलाके की धरती को अपने पानी से सींचा है और इसे समृद्द बनाया है।सल्तनत काल से लेकर मुगल काल तक और उसके बाद ब्रिटिश काल का तमाम इतिहास इस नदी के साथ जुड़ा रहा । हजरत ख्वाजा सईद हसन सुल्तान आरफीन बडे सरकार (1188-1230 ईसवी) की खानकाह इसी नदी के किनारे पर उझियानी में स्थित है।

बड़े सरकार इसी नदी के पानी से उजु बनाया करते थे। बाद में उनके उर्स मुबारक के मौके पर जायरीन भी इसी नदी के पानी से अपना काम चलाते थे। सोत नदी के ही तट पर पापड़ हमजापुर गांव के पास ब्रह्म देव का एक पुराना मंदिर स्थित है जहां आज भी मेला लगता है। कालक्रम में यह नदी अतिक्रमण का शिकार हो गयी।भूमाफियाओं ने इसकी ज़मीन पर कब्जा कर वहां इमारतें खड़ी कर ली। जिला प्रशासन ने अब इस ओर ध्यान दिया है और मनरेगा के तहत इसका कायाकल्प कराया जा रहा है। मुख्य विकास अधिकारी सुश्री निशा अनंत ने बताया कि नदी का बालू निकालकर इसे गहरा बनाया जा रहा है।अवैद्द कब्जों को हटाया जा रहा है और इसका सौन्दर्यीकरण किया जा रहा है।निशा अनंत ने बताया कि नदी के दोनों तटों पर वृक्षारोपण कर इसके प्राकृतिक सौन्दर्य को निखारा जा रहा है। अभी तक कुल 31,306 मानव दिवस सृजित कर इस नदी के कायाकल्प का काम कराया गया है।इन दिनों 2481 मजदूर सफाई के काम मे लगे है। सोत नदी के किनारें के गांव में मनरेगा के अंतर्गत खुदाई और सफाई का काम कराया जा रहा है तथा सिंचाई के लिए ट्रेंच निर्माण का काम भी कराया जा रहा है।

नदी में साफ सुथरा पानी आवे इसकी भी व्यवस्था की जा रही है।प्रशासन के इस कदम को लेकर बंदायू की जनता में काफी उत्साह है और लोग प्रशासन के इस कदम की प्रशंसा कर रहे हैं। निशा अनंत ने बताया कि इससे पहले मनरेगा के ही तहत जिले की एक अन्य छोटी नदी भैसोर का भी कायाकल्प कराया जा चुका है। गौरतलब है कि मनरेगा बंदायू के एतिहासिक शहर के लिए वरदान साबित हो रही है।आने वाले दिनों में प्रशासन का यह काम याद किया जाएगा। गौरतलब है कि बंदायू अपने में एक बहुत बड़ा इतिहास समेटे हुए है। 2010 से लेकर 2014 तक सुल्तान इल्तुतमिश के काल में यह दिल्ली सल्तनत की राजधानी हुआ करता था ।अंग्रेजों ने इसे रोहेलखंड का दिल लिखा है।

Related Articles

Back to top button