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श्री थावरचंद गहलोत ने 10,000शब्दों के साथ भारतीय सांकेतिक भाषा के शब्दकोष का तीसरा संस्करण जारी किया

केंद्रीय सामाजिक न्याय और अधिकारिता मंत्री श्री थावरचंद गहलोत ने आज 10,000 शब्दों (6,000 शब्द पहले से मौजूद) के साथ “भारतीय सांकेतिक भाषा (आईएसएल) के शब्दकोश का तीसरा संस्करण” जारी किया। इस वर्चुअल कार्यक्रम में सामाजिक न्याय और अधिकारिता राज्य मंत्री श्री कृष्णपाल गुर्जर भी सम्मानित अतिथि के रूप में मौजूद रहे। शब्दकोश को भारतीय सांकेतिक भाषा अनुसंधान एवं प्रशिक्षण केंद्र (आईएसएलआरटीसी)द्वारा तैयार किया गया है।आईएसएलआरटीसी सामाजिक न्याय और अधिकारिता मंत्रालय के दिव्यांग व्यक्तियों के विभाग (दिव्यांगजन सशक्तीकरण) के तहत एक स्वायत्त संस्थान है।

श्री थावरचंद गहलोत ने इस तरह के मूल्यवान शब्दकोश को लाने के लिए भारतीय सांकेतिक भाषा अनुसंधान एवं प्रशिक्षण केंद्र (आईएसएलआरटीसी)की सराहना करते हुएकहा कि इस साल दिल्ली के राजपथ पर गणतंत्र दिवस परेड में आईएसएलआरटीसीकी झांकी को देखना गौरव का पल था। उन्होंने कहा कि आईएसएलआरटीसीशब्दकोश का पहला संस्करण 23 मार्च 2018 को 3000शब्दों के साथ और दूसरा संस्करण 6000शब्द के साथ (पहले 3000शब्द सहित) 27 फरवरी 2019 को लॉन्च किया गया था। आज जारी किए गए तीसरे संस्करण में रोजमर्रा के उपयोग के शब्द, अकादमिक शब्द, कानूनी और प्रशासनिक शब्द, चिकित्सा शब्द, तकनीकी शब्द और कृषि से संबंधित 10 हजार शब्द शामिल हो गए हैं।

शब्दकोश में देश के विभिन्न हिस्सों में उपयोग किए जाने वाले क्षेत्रीय संकेतों को भी शामिल किया गया है। उन्होंने इस बात को भी दोहराया कि केंद्र सरकार देश के दिव्यांगजनों के समग्र कल्याण के लिए पूरी तरह से प्रतिबद्ध है। उनके लिए कई नए पहल और योजनाएं शुरू की गई हैं।जिनमें पिछले सात वर्षों में शिक्षण संस्थानों में सीटें आरक्षित करना और नौकरियों में आरक्षण देना शामिल है।

इस मौके पर श्री कृष्णपाल गुर्जर ने अपने संबोधन में कहा कि डीईपीडब्ल्यूडीके तहत आईएसएलआरटीसी, बधिर व्यक्तियों के कल्याण के लिए उल्लेखनीय काम कर रहा है। दिव्यांगजनों को शिक्षित और जागरूक करने के लिए कई पाठ्यक्रम चला रहा है। उन्होंने उम्मीद जताई कि 10000 शब्दों वाला यह शब्दकोश पूरी तरह से उद्देश्य की पूर्ति करेगा।

10,000 शब्द वालाआईएसएल शब्दकोषएक अभिनव योजना है। जिसे नवंबर 2016 में भारतीय सांकेतिक भाषा अनुसंधान एवं प्रशिक्षण केंद्र (आईएसएलआरटीसी) द्वारा 4 साल के लिए शुरू किया गया था। सामाजिक न्याय और अधिकारिता मंत्रालय के तहत आने दिव्यांग व्यक्तियों (दिव्यांगजन सशक्तिकरण) के विभाग के तहत आईएसएलआरटीसी एक स्वायत्त संस्थान है। आईएसएल शब्दकोषका पहला संस्करण 23 मार्च, 2018 को 3000 शब्दके साथ और दूसरा संस्करण 27 फरवरी, 2019 को लॉन्च किया गया था। जिसमें 6000 शब्द शामिल थे। इसमें पहले संस्करण के 3000 शब्दभी शामिल थे।

तीसरे संस्करण में रोजमर्रा के उपयोग के शब्द, अकादमिक शब्द, कानूनी और प्रशासनिक शब्द, चिकित्सा शब्द, तकनीकी शब्द और कृषि से संबंधित 10 हजार शब्द शामिल हो गए हैं। वीडियो में संकेत, संकेतों के लिए अंग्रेजी शब्द और प्रासंगिक चित्र भी शामिल हैं। शब्दकोश में देश के विभिन्न हिस्सों में उपयोग किए जाने वाले क्षेत्रीय संकेतों को भी शामिल किया गया है।

शब्दकोश को बधिर समुदाय की पूर्ण भागीदारी के साथ तैयार किया गया है । जिसमें केवल बधिर विशेषज्ञों ने संकेत प्रदान किए हैं। इसके अतिरिक्त, 7 से 9 फरवरी, 2018, 22 से24 जनवरी 2019 और 3 से 6 मार्च, 2020 के दौरान आयोजित तीन राष्ट्रीय कार्यशालाओं में भारत भर के बधिर विशेषज्ञों द्वारा शब्दकोष में शामिल संकेतों को मान्यता दी गई है ।

साल 2018 में पहले संस्करण के लॉन्च के बाद से, आईएसएल डिक्शनरी का उपयोग विशेष शिक्षकों, आईएसएल दुभाषियों, बधिर बच्चों के माता-पिता, क्षेत्र के पेशेवर, बधिरलोग और आम जनता द्वारा किया गया है। शब्दकोष का इसके अलावा दिव्यांग बच्चों के लिए शैक्षणिक सामग्री विकसित करने औरस्पीच / टेक्स्ट-टू-साइन और साइन-टू-स्पीच / टेक्स्ट मशीन ट्रांसलेशन सॉफ्टवेयर के लिए भी किया जा रहा है। आईएसएलके बारे में जागरूकता को बढ़ावा देने के लिएशब्दकोष एक अहम जरिया बना सकता है। जो कि बधिर व्यक्तियों के लिए संचार की सुविधा प्रदान करने और सेवाओं कीबेहतर पहुंच का एक महत्वपूर्ण साधन है।और इस प्रकार यहदिव्यांग व्यक्तियों के अधिकार (आरपीडब्ल्यूडी) अधिनियम, 2016 को साकार करने के लिए इस दिशा में उठाया गया एक अहम कदम है।

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