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एमटीपी से किसानों के लिए फसल का सर्वश्रेष्ठ मूल्य सुनिश्चित होगा

व्यापारियों एवं बिचौलियों को दूर रखने के साथ-साथ किसानों के लाभ को ध्यान में रखते हुए, खाद्य और सार्वजनिक वितरण विभाग ने एक एप्लीकेशन इकोसिस्टम विकसित किया है, जो निगरानी और रणनीतिक फैसला लेने के लिए न्यूनतम थ्रेसहोल्ड पैरामीटर (एमटीपी) की व्यवस्था वाले सभी राज्यों के खरीद पोर्टल के एकीकरण में मदद करेगा।

यह प्रक्रिया अक्टूबर, 2021 में केएमएस 2021-22 की शुरुआत के साथ शुरू हुई। खरीद में बिचौलियों से बचने और किसानों को उनकी उपज का सर्वश्रेष्ठ मूल्य प्रदान करने के लिए खरीद कार्यों में न्यूनतम थ्रेसहोल्ड पैरामीटर्स (एमटीपी) का इस्तेमाल करने की जरूरत पड़ी। केंद्रीय पोर्टल के साथ एकीकरण राज्यों के साथ खरीद के आंकड़ों के समाधान में तेजी लाने और केंद्र सरकार द्वारा राज्यों को धन जारी करने में काफी मदद करेगा।

लाभ सामान्य रूप से समाज द्वारा प्राप्त किया जाएगा, लेकिन हितधारकों के लिए परिकल्पित विशिष्ट लाभ निम्नानुसार हैं:

  • किसान: अपनी उपज को उचित मूल्य पर बेच सकेंगे और संकटग्रस्त बिक्री से बच सकेंगे।
  • खरीद एजेंसियां: खरीद संचालन के बेहतर प्रबंधन के साथ, राज्य एजेंसियां ​​और भारतीय खाद्य निगम (एफसीआई) सीमित संसाधनों के साथ कुशलतापूर्वक खरीद करने में सक्षम होंगे।
  • अन्य हितधारक: खरीद कार्यों का स्वचालन और मानकीकरण खाद्यान्नों की खरीद तथा गोदामों में इसके भंडारण का एक एकीकृत दृष्टिकोण प्रदान करेगा।

एमटीपी जो अनिवार्य रूप से सभी खरीद पोर्टल में एकरूपता और अंतर-संचालन सुनिश्चित करने के लिए शामिल किए जाने चाहिए, वे निम्नानुसार हैं:

  • किसानों/बटाईदारों का ऑनलाइन पंजीकरण: नाम, पिता का नाम, पता, मोबाइल नंबर, आधार नंबर, बैंक खाता विवरण, भूमि विवरण (खाता/खसरा), स्व-खेती या किराए पर जमीन/बटाईदारी/अनुबंध।
  • राज्य के भूमि रिकॉर्ड पोर्टल के साथ पंजीकृत किसान डेटा का एकीकरण
  • डिजिटलीकृत मंडी/ खरीद केंद्र के संचालन का एकीकरण: क्रेता/विक्रेता फॉर्म, बिक्री से होने वाली आय के बिल तैयार करना आदि।
  • किसानों को एमएसपी के सीधे और त्वरित हस्तांतरण के लिए पीएफएमएस के व्यय अग्रिम हस्तांतरण (ईएटी) मॉड्यूल के माध्यम से ऑनलाइन भुगतान।
  • सीएमआर/गेहूं वितरण प्रबंधन-स्वीकृति नोट/वेट चेक मेमो अपलोड करने और स्टॉक के अधिग्रहण पर बिलिंग का स्वत: उत्पादन (उत्तर प्रदेश मॉडल)

भारत सरकार के प्रस्तावित एकीकृत पोर्टल पर एपीआई आधारित एकीकरण के माध्यम से डेटा भेजा जाएगा जिससे लाभान्वित किसानों/बटाईदारों, छोटे/सीमांत किसानों की संख्या, उपज, खरीद की मात्रा, भुगतान, केंद्रीय पूल स्टॉक की सूची प्रबंधन की रियल टाइम जानकारी मिलेगी।

यहां यह उल्लेख करना उचित होगा कि सभी राज्यों में सूचना प्रौद्योगिकी आधारित उपकरणों के कार्यान्वयन के विभिन्न पैमाने हैं। इसके अलावा, स्थानीय आवश्यकताओं और प्रथाओं की प्राथमिकता के कारण, एक अखिल भारतीय मानक खरीद पारिस्थितिकी तंत्र मौजूद नहीं था।

खरीद प्रणालियों में भिन्नता के कारण, केंद्र सरकार की योजनाओं को लागू करने के लिए प्रणालीगत और कार्यान्वयन दोनों चुनौतियों का सामना करना पड़ता है। विभिन्न राज्यों के साथ खरीद कार्यों का समाधान, कभी-कभी एक लंबी खींची गई कवायद होती है, जिससे राज्यों को धन जारी करने में देरी होती है, जिससे बचा सकता है। इसके अलावा, गैर-मानक खरीद संचालन/संसाधित भी उन अक्षमताओं का कारण बनते हैं, जिनसे बचा जा सकता है, ये अक्षमताएं खरीद कार्यों में बिचौलियों के रूप में प्रकट होती हैं।

निस्संदेह, केंद्र सरकार किसानों के कल्याण पर बहुत जोर देती है और एमएसपी आधारित खरीद यह सुनिश्चित करने का पारंपरिक तरीका है कि किसानों को उनकी उपज का उचित बिक्री मूल्य मिले। यह अंततः केंद्र के उद्देश्यों को प्राप्त करने और राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा अधिनियम के कार्यान्वयन में मदद करता है। संचालन का मानकीकरण देश को खरीद कार्यों में पारदर्शिता और दक्षता के अधिक से अधिक स्तर प्राप्त करने में मदद करने के लिए आवश्यक है, जो अंततः देश के लोगों के लिए खाद्य सुरक्षा सुनिश्चित करता है।

भारत सरकार ने कई मंचों पर राज्य सरकारों और अन्य सार्वजनिक खरीद एजेंसियों को खरीद कार्यों के लिए न्यूनतम थ्रेसहोल्ड पैरामीटर अनुपालन की आवश्यकता के बारे में बताया है। साथ ही केंद्र ने खाद्य और सार्वजनिक वितरण विभाग के संबंधित राज्य सरकारों के साथ चर्चा के दौरान उन्हें न्यूनतम थ्रेसहोल्ड पैरामीटर के केंद्रीय पोर्टल, यानी केंद्रीय खाद्यान्न खरीद पोर्टल (सीएफपीपी) के साथ एकीकरण की आवश्यकता के बारे में भी बताया है।

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