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लालच नहीं, बल्कि आवश्यकता भारत के मार्गदर्शक सिद्धांत: पीएम

नई दिल्ली: प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी ने संयुक्त राष्ट्र महासचिव द्वारा संयुक्त राष्ट्र महासभा से इतर आयोजित किए गए जलवायु कार्य योजना शिखर सम्मेलन को संबोधित किया।

इस अवसर पर अपने संबोधन में प्रधानमंत्री ने कहा कि पिछले साल चैंपियन ऑफ द अर्थ अवार्ड ग्रहण करने के बाद संयुक्त राष्ट्र को संबोधित करने का यह उनका पहला अवसर है। उन्‍होंने कहा कि जलवायु परिवर्तन जैसी गंभीर चुनौतियों से निपटने के लिए वर्तमान में हम जो कदम उठा रहे हैं, वे पर्याप्‍त नहीं हैं। उन्‍होंने व्‍यवहार में परिवर्तन लाने के लिए वैश्विक जनांदोलन का आह्वान किया।

उन्होंने कहा कि प्रकृति के लिए सम्मान, संसाधनों का विवेकपूर्ण इस्तेमाल, अपनी जरूरतों में कमी लाना और अपने साधनों के दायरे में रहना ये सभी हमारे परंपरागत तथा वर्तमान दौर के महत्वपूर्ण पहलू रहे हैं। उन्होंने कहा कि लालच नहीं, बल्कि आवश्यकता हमारे मार्गदर्शक सिद्धांत रहे हैं, इसलिए भारत आज केवल इस मामले की गंभीरता के बारे में ही चर्चा करने के लिए ही नहीं, बल्कि इसके लिए व्यावहारिक दृष्टिकोण तथा योजना प्रस्तुत करने के लिए भी सामने आया है। उन्होंने कहा कि हमारा मानना है कि औंस भर अभ्यास टन भर उपदेश से बेहतर है।

उन्होंने संकल्प व्यक्त करते हुए कहा कि गैर जीवाश्म ईंधन का अंश बढ़ाया जाएगा और 2022 तक भारत की नवीकरणीय ऊर्जा क्षमता को 175 गीगावॉट से कहीं अधिक बढ़ाते हुए 450 गीगावॉट तक किया जाएगा। उन्होंने कहा कि भारत की ई-मोबिलिटी और पेट्रोल तथा डीजल में जैव ईंधन के मिश्रण के माध्यम से परिवहन क्षेत्र को पर्यावरण के अनुकूल बनाने की योजना है। उन्होंने कहा कि भारत के 150 मिलियन परिवारों को स्वच्छ रसोई गैस मुहैया कराई गई है।

 श्री मोदी ने कहा कि जल संरक्षण, वर्षा जल संभरण और जल संसाधन विकास के लिए जल जीवन मिशन का शुभारंभ किया गया है तथा अगले कुछ वर्षों में इस पर लगभग 50 बिलियन डॉलर की राशि खर्च की जानी है।

उन्होंने कहा कि अंतर्राष्ट्रीय मंच पर लगभग 80 देश हमारे अंतर्राष्ट्रीय सौर गठबंधन अभियान के साथ जुड़ चुके हैं। उन्होंने कहा कि भारत और स्वीडन अन्य साझेदारों के साथ मिलकर उद्योग परिवर्तन निगरानी के भीतर लीडरशिप समूह का आरंभ कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि इस पहल से सरकारों और निजी क्षेत्रों को तकनीकी नवाचार के क्षेत्र में सहयोग के अवसरों के लिए एक मंच उपलब्ध होगा। इससे उद्योग जगत के लिए कार्बन के कम उत्सर्जन वाले रास्ते तैयार करने में मदद मिलेगी।

उन्होंने कहा कि हमारी अवसंरचना को आपदा की दृष्टि से लचीला बनाने के लिए भारत आपदा अनुकूल अवसंरचना के लिए गठबंधन शुरू करने जा रहा है और उसने अन्य सदस्य देशों को इसमें शामिल होने के लिए आमंत्रित किया है। उन्होंने कहा कि इस साल 15 अगस्त को भारत के स्वाधीनता दिवस के अवसर पर प्लास्टिक के एकल उपयोग को समाप्त करने के जनांदोलन का आह्वान किया गया। उन्होंने जोर देकर कहा कि बातें करने का समय बीत चुका है और अब कुछ करके दिखाने की जरूरत है।

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