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जम्मू और कश्मीर के गैर-निवासी या गैर-राज्य संस्था भी अब जम्मू और कश्मीर में आरटीआई आवेदन दायर कर सकते हैं: डॉ. जितेंद्र सिंह

केंद्रीय विज्ञान और प्रौद्योगिकी राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार), पृथ्वी विज्ञान राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार), प्रधानमंत्री कार्यालय, कार्मिक, लोक शिकायत, पेंशन, परमाणु ऊर्जा और अंतरिक्ष राज्य मंत्री डॉ. जितेंद्र सिंह ने आज केंद्रीय सूचना आयोग की सूचना के अधिकार (आरटीआई) संबंधित अपीलों के निपटान में लगातार बढ़ोतरी के साथ लंबित मामलों की संख्या को कम करने के लिए सराहना की। उन्होंने इस पर अपनी प्रसन्नता व्यक्त की कि लंबित मामलों की संख्या पिछले वर्ष के लगभग 40,000 से घटकर वर्तमान में लगभग 27,000 हो गई है, वहीं मामलों के निपटान की संख्या भी 2020-21 के 17,017 से बढ़कर 2021-22 में 28,901 हो गई है।

उन्होंने नई दिल्ली स्थित सीआईसी भवन में आयोजित भारत में राष्ट्रीय सूचना आयोगों के संघ (एनएफआईसीआई) की 14वीं विशेष आम सभा को संबोधित किया। अपने संबोधन में डॉ. जितेंद्र सिंह ने कहा कि 2014 में मोदी सरकार के सत्ता में आने के बाद से पारदर्शिता, जवाबदेही और नागरिक-केंद्रित होना, इस शासन मॉडल की पहचान बन गई है। उन्होंने कहा कि पिछले आठ वर्षों में सूचना आयोगों की स्वतंत्रता और संसाधनों को मजबूत करने के लिए हर निर्णय बुद्धिमत्तापूर्ण रूप से लिया गया है।

केंद्रीय मंत्री ने कहा कि सशक्त नागरिक लोकतंत्र का एक महत्वपूर्ण स्तंभ हैं और केंद्रीय सूचना आयोग सूचना के माध्यम से लोगों को सशक्त बनाने के लिए काम करना जारी रखेगा।

डॉ. जितेंद्र सिंह ने आगे कहा कि लोकतांत्रिक और सहभागी शासन के लिए पारदर्शिता व जवाबदेही बहुत जरूरी है। उन्होंने कहा कि भारत के लोगों की आकांक्षाओं और अपेक्षाओं को पूरा करने के लिए सभी कदम उठाए जाएंगे। केंद्रीय मंत्री ने कहा कि आज सभी बड़े निर्णय व सूचनाएं सार्वजनिक हैं और हमने विश्वसनीयता के साथ पारदर्शिता प्राप्त की है, जो कि मोदी सरकार की पहचान है।

डॉ. जितेंद्र सिंह ने कहा कि इस अभूतपूर्व महामारी ने केंद्रीय सूचना आयोग सहित कई सूचना आयोगों के सामने एक गंभीर चुनौती प्रस्तुत की है। हालांकि, सीआईसी व एसआईसी की ओर से आरटीआई की दूसरी अपील और शिकायतों के निपटान के लिए गंभीर प्रयास किए और आयोगों ने निश्चित अवधि के दौरान निपटान के महामारी के पहले दर्ज किए गए आंकड़ों को भी पार कर लिया। उन्होंने आगे इसका भी उल्लेख किया कि जून 2020 में 2019 के महामारी से पहले के वर्ष की तुलना में सीआईसी में मामलों का अधिक निपटान किया गया। मंत्री ने बताया कि यह मामलों की सुनवाई और निपटान के लिए वर्चुअल मोड (ऑडियो-वीडियो) में स्थानांतरित करने के अभिनव दृष्टिकोण के कारण संभव हो पाया है।

इसके अलावा डॉ. जितेंद्र सिंह ने बताया कि यह मई, 2020 में महामारी के चुनौतीपूर्ण समय के दौर था, जब केंद्रीय सूचना आयोग ने वर्चुअल माध्यम के जरिए गठित केंद्रशासित प्रदेश जम्मू और कश्मीर से आरटीआई आवेदन पर विचार करना, सुनवाई करना और निपटान शुरू किया। उन्होंने कहा कि जम्मू और कश्मीर व लद्दाख के आवेदकों को उनके घर से ही सीआईसी में भी अपील के लिए आरटीआई आवेदन दर्ज करने की अनुमति थी। यहां इसका उल्लेख करना संगत है कि जम्मू और कश्मीर पुनर्गठन अधिनियम- 2019 के पारित होने के चलते जम्मू और कश्मीर सूचना का अधिकार अधिनियम- 2009 और उसके तहत नियम निरस्त कर दिए गए थे व इसकी जगह सूचना का अधिकार अधिनियम 2005 और उसके तहत नियम 31.10.2019 से लागू किए गए। इसके अलावा उन्होंने कहा कि जहां तक जम्मू और कश्मीर की बात है, अब यह अंतर है कि जम्मू और कश्मीर के गैर-निवासी या गैर-राज्य संस्थाएं भी इस केंद्रशासित प्रदेश के मुद्दों या एजेंसियों से संबंधित आरटीआई आवेदन दायर करने के अधिकारी हैं।

डॉ. जितेंद्र सिंह ने केंद्रीय सूचना आयोग के कामकाज में सुधार और आरटीआई आवेदनों के त्वरित निपटान सुनिश्चित करने के लिए प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व में शुरू की गई कई नई पहलों का उल्लेख किया। इसके अलावा मंत्री ने यह भी बताया कि यह मोदी सरकार के दौरान देश और विदेश के किसी भी हिस्से से, चाहे दिन या रात आरटीआई आवेदनों की ई-फाइलिंग के लिए 24 घंटे की पोर्टल सेवा शुरू की गई थी। उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी के कार्यकाल के दौरान केंद्रीय सूचना आयुक्त के कार्यालय को अपने विशेष कार्यालय परिसर में स्थानांतरित कर दिया गया।

डॉ. जितेंद्र सिंह ने कहा कि एनएफआईसीआई सूचना के अधिकार अधिनियम, 2005 को मजबूत करने के लिए एक महत्वपूर्ण सेवा कर रहा है। एनएफआईसीआई के गठन का विचार 2008 में केंद्रीय सूचना आयोग व राज्य सूचना आयोगों के स्वतंत्र क्षेत्र (साइलो) में कार्यात्मक मुद्दों से उत्पन्न हुआ था। इस संघ का गठन सितंबर, 2009 को केंद्रीय सूचना आयोग और राज्य सूचना आयोगों के बीच समन्वय व आपसी परामर्श की सुविधा के साथ-साथ शिक्षा, अनुसंधान और ज्ञान के प्रसार के माध्यम से कानूनों व उनकी व्याख्या के बारे में जानकारी के आदान-प्रदान व आरटीआई अधिनियम के प्रशासन को मजबूत करने के स्पष्ट उद्देश्यों के साथ हुआ था।  उन्होंने कहा कि यह प्रसन्नता की बात है कि 29 राज्य सूचना आयोगों में से 26 संघ के सदस्य हैं। फेडरेशन के विचार-विमर्श में अपने लक्ष्यों को प्राप्त करने के लिए सभी राज्य सूचना आयोगों की भागीदारी को प्रोत्साहित किया जाना चाहिए।

डॉ. जितेंद्र सिंह ने कहा कि एक अन्य महत्वपूर्ण क्षेत्र आयोग द्वारा ई-शासन की दिशा में सरकार की नीति को आगे बढ़ाने के लिए इसकी ई-पहल है। इस अधिनियम के तहत सूचना प्राप्त करने के इच्छुक आवेदकों के कार्य को सुविधाजनक बनाने के लिए मोबाइल आधारित एप्लिकेशन, ई-फाइलिंग, ई-सुनवाई और ई-अधिसूचना आदि विकसित करने के लिए तकनीक का उपयोग किया गया है।

मुख्य सूचना आयुक्त और एनएफआईसीआई के अध्यक्ष श्री वाई के सिन्हा ने अपने संबोधन में कहा कि आयोगों के लिए यह सुनिश्चित करना महत्वपूर्ण है कि आम आदमी को सशक्त बनाने वाले कानूनों की पूरी क्षमता का अनुभव किया जा सके। उन्होंने आगे कहा कि इस उद्देश्य को पूरा करने में निरंतर आउटरीच, संगोष्ठी और प्रशिक्षकों को प्रशिक्षित करना आदि महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं।

श्री सिन्हा ने आगे कहा कि इस दिशा में काफी प्रयास किए गए हैं, लेकिन आम नागरिकों की जनसांख्यिकीय और शैक्षिक प्रोफाइल, विशेष रूप से सुदूर व जनजातीय क्षेत्रों में, को ध्यान में रखा जाना चाहिए।

श्री सिन्हा ने उम्मीद व्यक्त की कि इस तरह की और अधिक गतिविधियों को आगे भी किया जाएगा, जिससे इस कानून का लाभ देश के कोने-कोने तक पहुंचे।

आरटीआई प्रणाली के उचित प्रशासन के साथ-साथ मामलों के त्वरित निपटान और लंबित मामलों की संख्या में कमी को सुनिश्चित करने के लिए 19 राज्यों ने आज सीआईसी भवन में भारत में राष्ट्रीय सूचना आयोगों के संघ (एनएफआईसीआई) की 14वीं विशेष आम सभा की बैठक में हिस्सा लिया।

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