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पूर्वोत्तर के राज्य देश के पाम ऑयल हब के रूप में परिवर्तित होंगे: श्री तोमर

पूर्वोत्तर राज्यों के लिए राष्ट्रीय खाद्य तेल मिशन-पाम ऑयल पर व्यापार शिखर सम्मेलन आज गुवाहाटी में आयोजित किया गया। पूर्वोत्तर के समग्र और संतुलित विकास के लिए प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की प्राथमिकता को ध्यान में रखते हुए सम्मेलन की शुरुआत केंद्रीय कृषि मंत्री श्री नरेंद्र सिंह तोमर की अध्यक्षता में पाम ऑयल पौधे को सींचने और इसके वृक्षारोपण पर एक फिल्म के प्रदर्शन के साथ हुई।

 केंद्रीय कृषि एवं किसान कल्याण मंत्री श्री नरेंद्र सिंह तोमर ने कहा कि पाम ऑयल उत्पादन को बढ़ावा देने के लिए पूर्वोत्तर राज्यों में बड़ी पहलों के जरिये सरकार के निर्णय से पूर्वोत्तर राज्यों को देश के पाम ऑयल हब में परिवर्तित किया जाएगा। श्री तोमर ने फसल के बेहतर उत्पादन के लिए समान भूमिका निभाने पर जोर दिया और बीज नर्सरी, ड्रिप सिंचाई, तकनीकी सहायता, मिलों की स्थापना, खरीद केंद्र तथा किसानों के प्रशिक्षण हेतु बड़ा निवेश करने का आश्वासन दिया। केंद्रीय कृषि मंत्री ने कहा कि पूर्वोत्तर राज्यों के लिए विशेष पैकेज और सहायता मिलने से किसानों की सामाजिक-आर्थिक स्थिति बदलेगी तथा बुनियादी ढांचे के विकास के साथ-साथ यहां स्थापित ऑयल पाम मिलों में रोजगार के नए अवसर पैदा होंगे।

केंद्रीय मंत्री ने यह भी बताया कि व्यापार शिखर सम्मेलन का उद्देश्य क्षेत्र विस्तार से लक्ष्यों की प्राप्ति, संसाधकों के माध्यम से विभिन्न राज्यों के लिए बीज से उगे पौधों की आवश्यकता, व्यवहार्यता अंतर भुगतान का विवरण, उपायों और मिशन के तहत सहायता का पता लगाना है।

श्री तोमर ने बताया कि मिशन के तहत 11,040 करोड़ रुपये के कुल परिव्यय के साथ अगले 5 वर्षों में पूर्वोत्तर राज्यों में 3.28 लाख हेक्टेयर के अलावा ऑयल पाम वृक्षारोपण के अंतर्गत 6.5 लाख हेक्टेयर का अतिरिक्त क्षेत्र तथा शेष भारत में 3.22 लाख हेक्टेयर क्षेत्र लगाया जायेगा।

केंद्रीय कृषि मंत्री ने लॉजिस्टिक सहायता प्रदान करने के लिए असम सरकार का धन्यवाद किया और कहा कि नई योजना निश्चित रूप से खाद्य तेलों में आत्मनिर्भरता का मार्ग प्रशस्त करेगी तथा भारत को आत्मनिर्भर भारत की राह पर ले जाएगी। उन्होंने कहा कि सरकार मूल्य आश्वासन के माध्यम से पाम ऑयल किसानों की सहायता करने के लिए प्रतिबद्ध है और उन्हें शिखर सम्मेलन की सफलता से बेहद ख़ुशी है। उन्होंने इस कार्यक्रम पर प्रसन्नता व्यक्त की और कहा कि इस प्रकार का आदान-प्रदान राष्ट्रीय खाद्य तेल मिशन-पाम ऑयल के कार्यान्वयन में तेजी लाने में मदद करता है। श्री तोमर ने आश्वासन दिया कि मिशन के तहत पाम ऑयल किसानों को हर संभव सहायता प्रदान की जाएगी।

केंद्रीय पूर्वोत्तर क्षेत्र विकास मंत्री श्री जी. किशन रेड्डी ने बहुत ही सुनियोजित खाद्य पाम ऑयल योजना के साथ आने के लिए भारत सरकार के दृष्टिकोण की सराहना की, जो किसानों और साथ ही इस क्षेत्र के विकास के लिए बेहद महत्वपूर्ण है। केंद्रीय पूर्वोत्तर क्षेत्र विकास मंत्री ने कहा कि नरेन्द्र मोदी सरकार पाम ऑयल क्षेत्र के विकास के लिए प्रतिबद्ध है और उन्होंने निवेशकों तथा उद्योगपतियों से पूर्वोत्तर क्षेत्र में निवेश करने का अनुरोध किया है, जिसमें कृषि क्षेत्र, विशेष रूप से पाम ऑयल के लिए अपार संभावनाएं हैं।

कृषि सचिव श्री संजय अग्रवाल ने सरकार की भूमिका को रेखांकित करते हुए शिखर सम्मेलन की शुरुआत की और सकारात्मक माहौल तैयार किया। सचिव डी ए आर ई डॉ टी. महापात्रा ने मिशन की सफलता के लिए अनुसंधान एवं विकास की भूमिका के बारे में विस्तार से बताया। संयुक्त सचिव श्रीमती शुभा ठाकुर ने मिशन की रूपरेखा पर एक प्रस्तुति दी। उन्होंने वायबिलिटी गैप फंडिंग और किसानों को सुनिश्चित मूल्य के बारे में विस्तार से जानकारी दी।

कार्यक्रम के दौरान नाबार्ड द्वारा बनाये गए एफपीओ के लिए प्रमाण पत्र वितरित किए गए और अक्षय हरित ईंधन जैव एथेनॉल का उत्पादन करने के लिए भारत में अपनी तरह की पहली जैव रिफाइनरी स्थापित करने हेतु एबीपीआरएल और नुमालीगढ़ रिफाइनरी के साथ एक समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर किए गए। शिखर सम्मेलन में, तिलहन प्रभाग डीए एंड एफडब्ल्यू द्वारा “पूर्वोत्तर राज्यों में एनएमईओ-ऑयल पाम की झलक” शीर्षक वाली पुस्तकें और आईसीएआर-आईआईओपीआर द्वारा “पूर्वोत्तर राज्यों में पाम ऑयल खेती के बेहतर प्रबंधन अभ्यास” तथा मूल्यांकन रिपोर्ट का विमोचन किया गया।

अरुणाचल प्रदेश के मुख्यमंत्री पेमा खांडू ने अपने भाषण में कहा कि निवेशकों के लिए अब समय आ गया है कि वे उपजाऊ भूमि तथा जलवायु का लाभ उठाकर कृषि क्षेत्र के विकास के लिए पूर्वोत्तर में बड़े पैमाने पर निवेश करें। उन्होंने कहा कि पाम ऑयल का विशेष महत्व है क्योंकि इसकी खेती से पूर्वोत्तर के किसानों के लिए रोजगार के अनछुए मार्ग खुल सकते हैं।

असम सरकार के कृषि मंत्री अतुल बोरा ने बताया कि वर्तमान में असम के दो जिलों गोलपारा और कामरूप में किसान पाम ऑयल की खेती में लगे हुए हैं, जबकि अन्य 17 जिलों में 1500 हेक्टेयर भूमि को पाम ऑयल की खेती के तहत लाने की योजना है।

केंद्रीय कृषि और किसान कल्याण राज्य मंत्री श्री कैलाश चौधरी और सुश्री शोभा करांदलाजे, पूर्वोत्तर क्षेत्र विकास राज्य मंत्री श्री बी एल वर्मा और अरुणाचल प्रदेश के मुख्यमंत्री श्री पेमा खांडू ने राष्ट्रीय शिखर सम्मेलन में भाग लिया।

सिक्किम के कृषि मंत्री श्री लोकनाथ शर्मा, असम सरकार के मुख्य सचिव श्री जिष्णु बरुआ, अरुणाचल प्रदेश सरकार में मुख्य सचिव श्री नरेश कुमार, राज्यों के प्रधान सचिव, भारत सरकार में संयुक्त सचिव श्रीमती शुभा ठाकुर और राज्य सरकारों के अन्य अधिकारी, भारत सरकार के कृषि मंत्रालय में अधिकारी, नीति आयोग, आईसीएआर संस्थानों, विदेश मंत्रालय, कुलपतियों, एसबीआई और भारतीय चाय संघ के अधिकारी, पाम ऑयल उद्योग के प्रमुख संसाधक, प्रगतिशील किसान तथा कृषि-व्यवसाय व्यापार के संभावित निवेशक शिखर सम्मेलन में उपस्थित थे।

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