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नागालैंड के इनर लाइन परमिट कानून को चुनौती देने वाली याचिका सुप्रीम कोर्ट में खारिज

नागालैंड के इनर लाइन परमिट नियम को चुनौती देने वाली याचिका सुप्रीम कोर्ट ने खारिज कर दी। इस कानून के तहत नागा पहाड़ी क्षेत्रों में जाने के लिए मूल निवासियों को छोड़ बाहरी लोगों को इनर लाइन परमिट लेना पड़ता है। चीफ जस्टिस रंजन गोगई की अध्यक्षता वाली तीन सदस्यीय पीठ ने भाजपा नेता अश्विनी उपाध्याय द्वारा दाखिल इस याचिका को खारिज कर दिया।

याचिका में कहा गया था कि इस तरह का कानून आम नागरिक को राज्यों में प्रवेश से रोकता है और इस तरह यद्द कानून, संविधान के अनुच्छेद-14, 15 और 21 का उल्लंघन करता है। सुनवाई के दौरान जब अदालत ने मामले को खारिज कर दिया तब याचिकाकर्ता ने कोर्ट से आग्रह किया कि वह अर्जी वापस लेना चाहते हैं ताकि संबंधित मंत्रालय में आवेदन दे सकें लेकिन कोर्ट ने इस आग्रह को ठुकरा दिया।

याचिकाकर्ता ने कहा कि नागालैंड में सिर्फ आठ फीसदी हिंदू हैं और उनके लिए इनर लाइन परमिट (आईएलपी) का प्रावधान किया है इसी के तहत राज्य में एंट्री मिलेगी और ये सीधे तौर पर संवैधानिक प्रावधानों के खिलाफ है। यहां जाने के लिए पत्रकारों को भी आईएलपी लेना होता है। इस पर पीठ ने हिमाचल प्रदेश का उदाहरण देते हुए कहा कि वहां भी इनर लाइन परमिट है और वहां 98 फीसदी हिन्दू हैं। Source अमर उजाला

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