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केंद्रीय बजट में एक राष्ट्रीय तकनीकी वस्त्र मिशन का प्रस्ताव

नई दिल्ली: केंद्रीय वित्त एवं कॉर्पोरेट मामलों की मंत्री, निर्मला सीतारमण ने राष्ट्रीय तकनीकी कपड़ा मिशन स्थापित करने के प्रस्ताव की घोषणा की है। 2020-21 से 2023-24 तक, चार साल की अवधि में, कार्यान्वयन करने के लिए इस मिशन की अनुमानित लागत 1,480 करोड़ रूपया है, जिससे कि भारत को तकनीकी वस्त्र के क्षेत्र में एक वैश्विक लीडर के रूप में स्थापित किया जा सके।

अपने बजट भाषण में निर्मला सीतारमण ने कहा कि भारत द्वारा सार्थक मात्रा में प्रत्येक वर्ष 16 बिलियन अमरीकी डालर का तकनीकी वस्त्रों का आयात किया जाता है। तकनीकी वस्त्र, सामग्री और उत्पाद हैं जिन्हें मुख्य रूप से सौंदर्य विशेषताओं के बजाए उनके तकनीकी गुणों और कार्यात्मक आवश्यकताओं के लिए निर्मित किया जाता है। तकनीकी वस्त्रों के दायरे में कई उपयोगों की एक विस्तृत श्रृंखला शामिल है जैसे कि कृषि-वस्त्र, चिकित्सा-वस्त्र, भू-वस्त्र, सुरक्षा-वस्त्र, औद्योगिक-वस्त्र, खेल-वस्त्र और कई अन्य उपयोग। तकनीकी वस्त्रों का उपयोग करने से कृषि, बागवानी और जलकृषि क्षेत्रों की उत्पादकता में वृद्धि, सेना, अर्धसैनिक बलों, पुलिस और सुरक्षा बलों की बेहतर सुरक्षा, राजमार्ग, रेलवे, बंदरगाह और हवाई अड्डों का मजबूत परिवहन बुनियादी ढांचा और आम नागरिकों की स्वच्छता और स्वास्थ्य देखभाल में सुधार का लाभ प्राप्त होता है। भारत में तकनीकी वस्त्र, इस उद्योग के लिए साथ ही विभिन्न अनुप्रयोगों के लिए भी विकास का अपार अवसर प्रदान करता है।

तकनीकी वस्त्रों पर 2015 में प्रस्तुत किए गए अंतिम आधारभूत सर्वेक्षण के अनुमानों के अनुसार, वर्ष 2017-18 में भारतीय बाजार का आकार 1,16,217 करोड़ रुपया अनुमानित किया गया। हालांकि, अंतिम आधारभूत अध्ययन में 2020-21 के लिए कोई प्रत्यालेख नहीं किया गया है, लेकिन विकास की मौजूदा प्रवृत्ति और सरकार द्वारा अपनाये जा रहे विभिन्न पहलों को ध्यान में रखते हुए, तकनीकी वस्त्रों के घरेलू बाजार का आकार वर्ष 2020-21 तक 2 लाख करोड़ रुपये से ज्यादा होने की उम्मीद है।

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