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रमेश पोखरियाल ‘निशंक’ केंद्रीय बजट 2020 में शिक्षा को प्रमुखता देने के लिए वित्त मंत्री श्रीमती निर्मला सीतारमण का आभार व्यक्त किया

नई दिल्ली: केंद्रीय मानव संसाधन विकास मंत्री श्री रमेश पोखरियाल ‘निशंक’ ने केंद्रीय बजट 2020 की सराहना की और बजट में शिक्षा के क्षेत्र को प्रमुखता देते हुए 99,300 करोड़ रुपये का प्रावधान करने के लिए वित्त मंत्री श्रीमती निर्मला सीतारमण का आभार व्यक्त किया। श्री निशंक ने कहा कि यह बजट प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी जी के नए भारत के सपने को साकार करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगा। केंद्रीय मंत्री ने कहा कि मुझे इस बात का हर्ष है कि देश में कुशल श्रमशक्ति के विकास हेतु मार्च 2021 तक देशभर में कुल 150 उच्च शैक्षणिक संस्थानों में अपरेंटिसशिप प्रोग्राम शुरू किया जाएगा । हमारे लोकप्रिय प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी जी के कुशल नेतृत्व में एक वृहद् विमर्श के पश्चात नव भारत निर्माण के लिए हम शीघ्र ही भारत केन्द्रित, संस्कारयुक्त, गुणवत्तापरक, नवचार युक्त शिक्षा, रोजगारपरक नई शिक्षा नीति ला रहे हैं। उन्होंने कहा कि बजट 2020-21 के माध्यम से प्राथमिक और माध्यमिक शिक्षा में पहुंच, इक्विटी और समावेशन को बेहतर करने हेतु नई पहलों का प्रावधान रखा गया है ।

केन्‍द्रीय वित्‍त एवं कॉरपोरेट कार्य मंत्री श्रीमती निर्मला सीतारमण ने आज संसद में वित्‍त वर्ष 2020-21 का केन्‍द्रीय बजट पेश किया।  केंद्रीय बजट में शिक्षा के क्षेत्र को प्रमुखता देते हुए 2020-21 के लिए 99,300 करोड़ रुपये का प्रावधान किया गया है। विभागवर जानकारी इस प्रकार है :

उच्‍चतर शिक्षा विभाग बजट 2020-21 की विशेषताएं

  1. विगत वर्ष के 38317.01 करोड़ रू. की तुलना में इस वर्ष उच्चतर शिक्षा का कुल आवंटन 39466.52 करोड़ रु. है। पिछले वर्ष के आवंटन की तुलना में इसमें 1149.51 करोड़ रू. की वृद्धि हुई है।
  1. उच्चतर शिक्षा विभाग, मानव संसाधन विकास मंत्रालय द्वारा शिक्षा गुणवत्ता उन्नयन और समावेशन कार्यक्रम (EQUIPनामक एक नई योजना की परिकल्पना की गई है। यह एक व्‍यापक कार्यक्रम है, जो उच्चतर शिक्षा में पहुंच, समावेशन, गुणवत्ता, उत्कृष्टता, और रोजगार बढ़ाने के सिद्धांतों के संवितरण को निर्धारित करता है। इस योजना हेतु, 1413 करोड़ रू. का प्रारंभिक बजटीय प्रावधान किया गया है। सक्षम प्राधिकारी द्वारा योजना के मूल्‍यांकन और अनुमोदन के पश्‍चात् अतिरिक्‍त बजटीय प्रावधान किए जाएंगे।
  1. 2200 करोड़ रुपये की अतिरिक्त सरकारी इक्विटी के माध्‍यम से HEFA के सुदृढ़ीकरण का प्रावधान किया गया है। इससे केंद्रीय संस्थानों को अधिगम वातावरण के लिए काफी महत्‍वपूर्ण उनकी मूलभूत अवसंरचनाओं जैसे कक्षाओं, हॉस्टल, प्रयोगशालाओं और उपकरणों के सुधार और विस्‍तार हेतु उनकी बजटीय आवश्यकता को पूरा करने में मदद मिलेगी।
  1. विश्‍व बैंक से सहायता प्राप्‍त तकनीकी शिक्षा गुणवत्‍ता सुधार कार्यक्रम अर्थात TEQIP के लिए 650 करोड़ रू. का प्रावधान किया गया है। इस परियोजना का उद्देश्य चयनित इंजीनियरिंग संस्थानों में गुणवत्ता और समानता को बढ़ाना और फोकस राज्यों में इंजीनियरिंग शिक्षा प्रणाली की दक्षता में सुधार करना है।
  1. ब्याज सब्सिडी और प्रतिभूति निधि में योगदान” के लिए आबंटन 1900 करोड़ रू. रखा गया है। यह उच्च व्‍यवसायिक शिक्षा प्राप्त करने की वांछा करने वाले  छात्रों को आसान और ब्याज मुक्त ऋण संवितरित करने के लिए है।
  1. भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थानों (IITs) के लिए कुल आवंटन 7332 करोड़ रुपये रखा गया है, जो पिछले वर्ष की तुलना में 14.38% अधिक है।

7. राष्‍ट्रीय तकनीकी संस्‍थानों (NITs) के लिए कुल आवंटन 3885 करोड़ रू.  रखा गया है, जो पिछले साल की तुलना में 2.58% अधिक है।

8. नियामकों [UGC & AICTE] के लिए कुल आवंटन 5109.20 करोड़ रू. रखा गया है।

स्‍कूल शिक्षा एवं साक्षरता विभाग बजट 2020-21 की मुख्‍य विशेषताएं

  1. स्‍कूल शिक्षा और साक्षरता विभाग के बजट आवंटन में वित्‍त वर्ष 2019-20 से वित्‍त वर्ष 2020-21 के बजट आवंटन में 3308.37 करोड़ (5.85%) रुपये की कुल वृद्धि हुई है।
  2. आर.ई. 2019-20 को बी.ई. 2019-20 के स्‍तर पर बनाए रखा गया है।
  3. वित्‍त वर्ष 2020-21 में कुल बजट आवंटन रुपये 59845 करोड़ है। जिसमें से योजना आवंटन रुपये 50600 करोड़ और गैर योजना आवंटन रुपये 9245 करोड़ है।
  4. स्‍कूली शिक्षा के उन्‍नयन हेतु फ्लैगशिप योजना की समग्र शिक्षा में बजट आवंटन (2428.50 करोड़ रुपये) की वृद्धि हुई।
  5. प्रतिभाशाली बच्‍चों को उनके कौशल के लिए प्रोत्‍साहित और ज्ञान को समृद्ध करने और प्रोत्‍साहित करने के लिए एक नई योजना ‘‘प्रधान मंत्री नवीन शिक्षण कार्यक्रम (डीएचआरयूवी)’’ वित्‍त वर्ष 2020-21 से परिकल्‍पित की गई है।
  6. केवीएस आवंटन में रुपये 504.50 करोड़ वृद्धि हुई है और रुपये 232 करोड़ की वृद्धि एनवीएस आवंटन बी.ई. 2019-20 की तुलना में।

केन्द्रीय बजट 2020-21 के मुख्य बिन्दुओं में एक ऐसे महत्वाकांक्षी भारत की जरूरतों को पूरा करने पर जोर दिया गया है, जहां समाज के सभी हिस्सों को शिक्षा, स्वास्थ्य तथा बेहतर रोजगार तक पहुंच के साथ-साथ बेहतर जीवन स्तर मिले। बजट में नियोजनीयता और शिक्षा की गुणवत्ता संबंधी पहलुओं पर विशेष जोर दिया गया है।

वित्त वर्ष 2020-21 के लिए बजट प्रस्तुत करते हुए, श्रीमती निर्मला सीतारमण ने कहा कि 2020-21 में शिक्षा क्षेत्र के लिए 99,300 करोड़ रुपये और कौशल विकास के लिए 3000 करोड़ रुपये का प्रावधान किया गया है। वित्त मंत्री ने कहा कि 2030 तक भारत विश्वभर में सबसे अधिक कार्यशील जनसंख्या वाला देश बन जाएगा। उनके लिए साक्षरता के साथ-साथ रोजगार एवं जीवन कौशल की जरूरत है।

श्रीमती निर्मला सीतारमण ने घोषणा करते हुए कहा कि मार्च 2020-21 तक 150 उच्चतर शैक्षिक संस्थान अप्रेंटिसशिप इम्बेडेड डिग्री/डिप्लोमा शुरू करेंगे। इससे सामान्य तौर पर (सेवा क्षेत्र अथवा प्रौद्योगिकी क्षेत्र) छात्रों की नियोजनीयता में सुधार लाने में मदद मिलेगी। सरकार एक कार्यक्रम भी शुरू करेगी, जिसके द्वारा देशभर के शहरी स्थानीय निकाय नए इंजीनियरों को अधिकतम एक वर्ष की अवधि तक इंटर्नशिप के अवसर प्रदान करेंगे। वित्त मंत्री ने बताया कि राष्ट्रीय कौशल विकास एजेंसी अवसंरचना केन्द्रित कौशल विकास के अवसरों पर विशेष जोर देगी।

बजट भाषण में वित्त मंत्री ने यह भी कहा कि जल्द ही नई शिक्षा नीति की घोषणा की जाएगी। श्रीमती निर्मला सीतारमण ने बताया कि प्रतिभावान  शिक्षकों को आकर्षित करने, नई खोज करने तथा बेहतर प्रयोगशालाओं के निर्माण के उद्देश्य से वित्तपोषण सुनिश्चित करने के क्रम में विदेशी वाणिज्यिक ऋणों तथा प्रत्यक्ष विदेशी निवेश पर जोर दिया जाएगा।

समाज के वंचित वर्गों के छात्रों के साथ-साथ उच्चतर शिक्षा तक पहुंच में अक्षम छात्रों को गुणवत्तापूर्ण शिक्षा प्रदान करने के उद्देश्य से डिग्री स्तर का सुव्यवस्थित ऑनलाइ शिक्षा कार्यक्रम शुरू किया जाएगा। हालांकि, ऐसे पाठ्यक्रम केवल उन्हीं संस्थानों में उपलब्ध होंगे, जो राष्ट्रीय संस्था रैंकिंग कार्यक्रम में शीर्ष 100 रैंकों में शामिल हैं।

वित्त मंत्री ने बताया कि भारत उच्चतर शिक्षा के लिए एक प्राथमिक गंतव्य होना चाहिए। इसलिए अपने भारत में अध्ययन’ कार्यक्रम के तहतएशियाई एवं अफ्रीकी देशों में एक इंडसैट का प्रस्ताव किया गया है, ताकि भारतीय उच्चतर शिक्षा केन्द्रों में अध्ययन के लिए छात्रवृत्तियां पाने वाले विदेशी उम्मीदवारों का मानकीकरण हो सके।

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