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प्रकाश जावड़ेकर ने प्रकाशन विभाग की अनेक ई-परियोजनाओं की शुरुआत की

नई दिल्ली: केंद्रीय सूचना और प्रसारण मंत्री श्री प्रकाश जावड़ेकर ने नई दिल्ली स्थित सूचना भवन में प्रकाशन विभाग की अनेक ई-परियोजनाओं की शुरुआत की। पुस्तक गैलरी अवलोकन के दौरान श्री जावड़ेकर ने विभाग की नए डिजाइन के साथ तैयार वेबसाइट, मोबाइल ऐप ‘डिजिटल डीपीडी’, रोजगार समाचार के ई-संस्करण और ई-पुस्तक ‘सत्याग्रह गीता’की शुरुआत की।

इस अवसर पर श्री जावड़ेकर ने कहा कि “मन की बात” कार्यक्रम में प्रधानमंत्री मोदी द्वारा नागरिकों से पढ़ने की आदत डालने की बात के समान हमें पढ़ने की संस्कृति में नई जान फूंकनी चाहिए। उन्होंने पढ़ने की संस्कृति में सुधार लाने के लिए पड़ोस में रीडिंग क्लब बनाने का आग्रह किया। श्री जावड़ेकर ने कहा कि रोजगार समाचार में निजी नौकरियों सहित सभी नौकरियों की सूची शामिल कर समाचार पत्र की भूमिका सुधारी जा सकती है। उन्होंने सुझाव दिया कि रोजगार समाचार जब कॉलेजों में वितरित किया जाएगा तो इससे छात्रों को अपना कौशल बढ़ाने और खुद को नौकरियों के बाजार के लिए बेहतर बनाने में मदद मिलेगी। उन्होंने कहा कि प्रकाशन विभाग की नई सिरे से तैयार वेबसाइट आकर्षक और क्रियाशील लगती है। इसे रोजाना अपडेट करने से लोग जल्दी-जल्दी इस साइट को देखेंगे। प्रकाशन विभाग के लिए एक मोबाइल ऐप शुरु करने पर प्रसन्नता जाहिर करते हुए उन्होंने कहा कि इससे ई-पुस्तक और किंडल के युग में लोगों की पढ़ने की आदतों को सुधारने में मदद मिलेगी।

ई-परियोजनाओं का विवरण इस प्रकार है :

1.      नई क्रियाशील वेबसाइट :  नई क्रियाशील वेबसाइट (www.publicationsdivision.nic.in) में प्रकाशन विभाग की पुस्तकों और अखबारों के बारे में नवीनतम जानकारी के साथ-साथ खरीदने की सुविधा प्रदान की गई है। इस वेबसाइट से खरीदारी आसान हो जाएगी। वेबसाइट पर उपलब्ध सभी पुस्तकों की बिक्री के लिए भुगतान भारत कोष के जरिए होगा।

वेबसाइट देखने में आकर्षक है और इसकी सुनियोजित बनावट है। पुस्तकों की सूची और नई जानकारियां तथा नई जारी पुस्तकों को कलात्मक तरीके से प्रदर्शित किया गया है। इनमें अच्छे दिखने वाले रंगों का इस्तेमाल किया गया है और पृष्ठभूमि और मूलपाठ के बीच शानदार डिजाइन और चित्रों को रखा गया है। जानकारी विभिन्न वर्गों और श्रेणियों में है जो सभी हितधारकों जैसे पाठकों, लेखकों, अन्य प्रकाशकों, प्रिंटरों, एजेंटों आदि की जरूरतों को पूरा करती है। इसमें शामिल सामग्री को आसानी समझा जा सकता है।

वेबसाइट उपयोगकर्ता के अनुकूल है जिसे सोशल मीडिया पर आसानी से चलाया जा सकता है। इस वेबसाइट में किसी प्रकार की अव्यवस्था नहीं है और जानकारी हासिल करने की प्रभावी व्यवस्था है। सरल इंटरफेस हिन्दी और अंग्रेजी में आसानी से देखने की सुविधा प्रदान करता है। इसे दृष्टिबाधित (स्क्रीन रीडर के साथ) सहित सभी लोग देख सकते हैं। फेसबुक और ट्वीटर पर मिलने वाले सुझावों के लिए सोशल मीडिया से इसे जोड़ा गया है।

इसमें गांधी@150 पर एक विशेष खंड है। इस खंड में महात्मा गांधी और अन्य गांधीवादी प्रकाशनों के सामूहिक कार्य के संस्करणों को पढ़ने के लिए विशेष गांधी कैटलॉग, गांधी हेरीटेज पोर्टल सहित खास विशेषताओं के साथ शामिल किया गया है।

2.         मोबाइल ऐप डिजिटल डीपीडी’  :   यह गूगल प्ले स्टोर पर मुफ्त डाउनलोड के लिए उपलब्ध है और मोबाइल की बढ़ती वाणिज्यिक संभावनाओ को देखते हुए यह सुनने को सरल बनाएगा। मोबाइल ऐप को डिजिटल राइट्स प्रबंधन प्रणाली से जोड़ा गया है ताकि साहित्यिक चोरी पर अंकुश लगाया जा सके और आसानी से भुगतान के लिए भारत कोष भुगतान गेटवे से इसे जोड़ा जा सके।

3.         रोजगार समाचार का ई-संस्करण :  इम्प्लायमेंट न्यूज़ (अंग्रेजी) का हिन्दी संस्करण रोजगार समाचार सार्वजनिक क्षेत्र के उद्यमों सहित केन्द्र सरकार में नौकरियों के अवसरों के बारे में जानकारी प्रदान करता है। यह विशेषज्ञों द्वारा लिखे गए करियर संबंधी लेखों के जरिए विभिन्न क्षेत्रों में दाखिले और करियर के अवसरों के बारे में जानकारी और मार्गदर्शन देता है।

ई-रोजगार समाचार अखबार को डिजिटल रूप में प्रस्तुत करेगा और यह 400 रुपये के वार्षिक शुल्क पर उपलब्ध है। उम्मीद है कि ई-रोजगार समाचार युवा पाठकों की बढ़ती जरूरतों को पूरा करेगा और संचार के इलेक्ट्रॉनिक मोड की ओर बढेगा।

4.      ई- पुस्तक सत्याग्रह गीता  :  जानी-मानी कवयित्री डॉ. क्षमा राव द्वारा 1930 में संस्कृत के छंदों में लिखी गई विरासत निधि पुस्तक में गांधी जी के जीवन और उससे जुड़ी घटनाएं प्रस्तुत की गई है। गांधी@150स्मारक के तहत डीपीडी ने पुस्तक का पीडीएफ संस्करण खरीदा है और पुस्तक का ई-संस्करण तैयार किया है। इसकी पहुंच अधिक लोगों तक सुनिश्चित करने के लिए अंग्रेजी अनुवाद भी शामिल किया गया है। अठारह अध्यायों में विभाजित (भगवत गीता के अध्यायों की तरह), सत्याग्रह , गीता, गांधी के विचारों, जीवन के दर्शन और संस्कृत के छंदों में उनकी कार्य के तरीकों, गांधी के चरित्र और नीतियों को शामिल किया गया है।

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