देश-विदेश

संजय धोत्रे ने भारतीय सूचना प्रौद्योगिकी संस्थान (आईआईआईटी), श्री सिटी चित्तूर के दीक्षांत समारोह को संबोधित किया

शिक्षा राज्य मंत्री, श्री संजय धोत्रे ने आज भारतीय सूचना प्रौद्योगिकी संस्थान (आईआईआईटी), श्री सिटी, चित्तूर के दीक्षांत समारोह में छात्रों को वर्चुअल रूप से संबोधित किया। इस अवसर पर अध्यक्ष, बोर्ड ऑफ गवर्नर्स, आईआईआईटी, श्री सिटी, श्री बालासुब्रमण्यम उपस्थित थे। दीक्षांत समारोह में कुल 261 छात्रों ने डिग्री प्राप्त की, जिनमें 164 कंप्यूटर साइंस एंड इंजीनियरिंग के छात्र और 97 इलेक्ट्रॉनिक्स एंड कम्युनिकेशन इंजीनियरिंग के छात्र शामिल हुए। इनमें दोनों विषयों के 28 स्नातक छात्र भी शामिल हैं।

श्री धोत्रे ने कहा कि राष्ट्रीय शिक्षा नीति, 2020 का उद्देश्य भारत को वैश्विक ज्ञान का सुपर पावर बनाना है। यह छात्रों में वैज्ञानिक मनोवृति, तर्कसंगत एवं आलोचनात्मक सोच विकसित करने का प्रयास करता है साथ ही यह भी सुनिश्चित करता है कि छात्र 21वीं सदी के ज्ञान और कौशल से संपन्न बनें, जबकि एक मजबूत चरित्र का प्रदर्शन करते हुए, मानवतावादी मूल्यों से परिपूर्ण हों, जो इंडिया यानी भारत की प्रकृति का एक हिस्सा है। उन्होंने आगे कहा कि हमारे छात्र न केवल सर्वोच्च श्रेणी के छात्र बनेंगें बल्कि वे इस देश और दुनिया के सर्वोच्च श्रेणी के नागरिक भी होंगे।

प्रौद्योगिकी के महत्व के बारे में बोलते हुए, श्री धोत्रे ने छात्रों से यह पता लगाने के लिए कहा कि किस प्रकार से इन प्रौद्योगिकियों का उपयोग आम आदमी की समस्याओं का समाधान करने के लिए किया जा सकता है, जैसे कि कृषि दक्षता में सुधार और बदले में उनकी आय में बढ़ोत्तरी; ऊर्जा सुरक्षा सुनिश्चित करने में, कुशल तरीके से हर घर के लिए नल जल सुनिश्चित करने में।

माननीय मंत्री ने कहा कि प्रौद्योगिकी पूरी वैश्विक अर्थव्यवस्था को बदलने में व्यापक भूमिका निभा रही है। 5 ट्रिलियन डॉलर अर्थव्यवस्था वाले लक्ष्य की प्राप्ति की दिशा में काम करते हुए भारत सक्रिय रूप से डिजिटल अर्थव्यवस्था की मजबूती पर ध्यान केंद्रित कर रहा है। उन्होंने आगे कहा कि समस्याओं का समाधान करने के लिए इस नए भारत को युवा टेक्नोक्रेट की आवश्यकता है। उन्होंने छात्रों से आग्रह किया कि वे अपनी भूमिका निभाएं और डिजिटल प्रौद्योगिकी के प्रत्येक पहलू में हमारे देश को वैश्विक लीडर बनाने में अपना योगदान दें।

श्री बालासुब्रमण्यम ने कहा कि “पिछले एक दशक में भारत ने तेजी से वृद्धि करते हुए 180 बिलियन अमरीकी डॉलर के आईटी/आईटीईएस उद्योग बन गया है, जिसने विश्व को भारत के वैज्ञानिक, इंजीनियरिंग और तकनीकी कौशल और क्षमताओं से परिचित कराया है। विश्व की सर्वोच्च बहुराष्ट्रीय कंपनियां भारतीय प्रतिभा का फायदा उठा रही हैं और भारत में बड़े पैमाने पर अनुसंधान एवं विकास केंद्र स्थापित करने की होड़ में लगी हुई हैं। हमें आत्मनिर्भर बनने की आवश्यकता है क्योंकि आत्मनिर्भर भारत ने अब इस विश्वस्तरीय अभिनव प्रतिभाओं की ओर टकटकी लगा दी है, जिससे भारतीय बाजार के लिए अन्य देशों के समान ही उत्पादों और सेवाओं का निर्माण किया जा सकें।”

डॉ. जी. कन्नबीरन, निदेशक ने कहा कि “हम संकाय-छात्र अनुपात में उल्लेखनीय सुधार, अनुसंधान एवं विकास की अवसंरचना को बढ़ावा और छात्र विकास पहलों पर ध्यान केंद्रित करने का प्रस्ताव करते हैं। हम अपने प्रमुख क्षेत्रों में सर्टिफिकेट, डिप्लोमा और एमटेक लेवल पर ऑनलाइन बीटेक कार्यक्रम और अन्य सतत शिक्षा कार्यक्रम शुरू करने की योजना बना रहे हैं। हम उभरते प्रौद्योगिकी क्षेत्रों में इन-हाउस कॉर्पोरेट प्रशिक्षण, योग्य विदेशी विश्वविद्यालयों के साथ संयुक्त डिग्री कार्यक्रम की शुरूआत करने, अगली पीढ़ी के छात्रों के लिए हमारे परिसर की अवसंरचना को बढ़ावा देने की भी योजना बना रहे हैं। हम एक परिवार के रूप में आईआईआईटी, श्री सिटी को राष्ट्रीय स्तर पर प्रासंगिक एवं वैश्विक स्तर पर मान्यता प्राप्त उद्यमी संस्थान बनाना जारी रखेंगें।”

आईआईआईटी श्री सिटी, वर्तमान समय में आईआईआईटी कोऑर्डिनेशन फोरम के सचिवालय के रूप में काम कर रहा है। नियमित बैठकों को सक्षम बनाने और समन्वय करने के अलावा, सचिवालय द्वारा सदस्य संस्थानों के लिए कुछ प्रमुख गतिविधियों की शुरूआत की जा रही हैं, जिनमें उद्योग जगत के नेताओं के साथ फिक्की-पैनल चर्चा, ई-सामग्री विकास पर संकाय विकास कार्यक्रम और सदस्य संस्थानों को लाभ प्रदान करने के लिए आईआईआईटी निदेशकों के लिए नास्कॉम सम्मेलन आदि शामिल हैं।

Related Articles

Back to top button