देश-विदेश

इस योजना से सूचना, प्रशिक्षण, बेहतर प्रदर्शन और औपचारिकता तक पहुंच के माध्‍यम से 8 लाख इकाइयों को लाभ होगा

नई दिल्ली: खाद्य प्रसंस्करण उद्योग मंत्री श्रीमती हरसिमरत कौर बादल ने 29 जून 2020 को “आत्मनिर्भर भारत अभियान” के एक भाग के रूप में पीएम फॉरमलाइजेशन ऑफ माइक्रो फूड प्रोसेसिंग एंटरप्राइजेज (पीएम एफएमई) योजना की शुरुआत की। केन्द्रीय मंत्री ने कहा कि योजना से कुल 35,000 करोड़ रुपये का निवेश होगा और 9 लाख कुशल और अर्ध-कुशल रोजगार सृजित होंगे और सूचना, प्रशिक्षण, बेहतर प्रदर्शन और औपचारिकता तक पहुंच के माध्यम से 8 लाख इकाइयों को लाभ होगा। इस अवसर पर योजना के दिशा-निर्देश जारी किए गए।

स्थानीय खाद्य प्रसंस्करण इकाइयों की भूमिका पर प्रकाश डालते हुए, केन्द्रीय मंत्री ने कहा कि गांवों में ग्रामीण उद्यमियों द्वारा निर्मित खाद्य उत्पादों में स्थानीय आबादी को भारतीय खाद्य उत्पादों की आपूर्ति करने की लंबी परम्‍परा रही है। माननीय प्रधानमंत्री ने 12 मई 2020 को राष्‍ट्र के नाम अपने संबोधन में इन स्थानीय इकाइयों के महत्व और उनकी भूमिका पर जोर दिया।

“संकट के समय में, इस स्थानीय ने हमारी मांग को पूरा किया है, इस स्थानीय ने हमें बचाया है। स्थानीय सिर्फ जरूरत नहीं है, यह हमारी जिम्मेदारी भी है। समय ने हमें सिखाया है कि हमें स्थानीय को अपने जीवन का मंत्र बना लेना चाहिए। आज आप जिस ग्लोबल ब्रांड्स को महसूस कर रहे हैं, वह कभी इसी तरह बेहद स्थानीय थे। लेकिन जब लोगों ने उनका उपयोग करना शुरू किया, उन्हें बढ़ावा देना शुरू किया, उनकी ब्रांडिंग की, उन पर गर्व करने लगे, वे स्थानीय उत्पादों से ग्लोबल बन गए। इसलिए, आज से प्रत्येक भारतीय को अपने स्थानीय के लिए मुखर बनना होगा, न केवल स्थानीय उत्पादों को खरीदने के लिए, बल्कि उन्हें गर्व से बढ़ावा देने के लिए भी। मुझे पूरा विश्वास है कि हमारा देश ऐसा कर सकता है। ”

खाद्य प्रसंस्करण क्षेत्र के सामने उत्‍पनन चुनौतियों के बारे में बोलते हुए श्रीमती बादल ने कहा कि असंगठित खाद्य प्रसंस्करण क्षेत्र कई चुनौतियों का सामना करता है जो उनके प्रदर्शन और उनके विकास को सीमित करते हैं। उन्होंने कहा कि इन चुनौतियों में आधुनिक प्रौद्योगिकी और उपकरण तक पहुंच की कमी, प्रशिक्षण, संस्थागत ऋण तक पहुंच, उत्पादों की गुणवत्ता नियंत्रण पर बुनियादी जागरूकता की कमी; और ब्रांडिंग और मार्केटिंग कौशल आदि की कमी शामिल है। उन्‍होंने साझा किया कि इन चुनौतियों के कारण, असंगठित खाद्य प्रसंस्करण क्षेत्र अपनी विशाल क्षमता के बावजूद मूल्य संवर्धन और उत्पादन के मामले में बहुत कम योगदान दे पाता है।

केन्द्रीय खाद्य प्रसंस्करण उद्योग मंत्री ने कहा कि लगभग 25 लाख इकाइयों वाले असंगठित खाद्य प्रसंस्करण क्षेत्र इस क्षेत्र में रोजगार में 74 प्रतिशत योगदान देते हैं। इनमें से लगभग 66 प्रतिशत इकाइयाँ ग्रामीण क्षेत्रों में स्थित हैं और उनमें से करीब 80 प्रतिशत परिवार-आधारित उद्यम हैं जो ग्रामीण परिवारों की आजीविका में सहायता करते हैं और शहरी क्षेत्रों में कम से कम पलायन करते करते हैं। ये इकाइयां मोटे तौर पर सूक्ष्म उद्यमों की श्रेणी में आती हैं।

पीएम एफएमई योजना का विवरण

मौजूदा सूक्ष्म खाद्य प्रसंस्करण उद्यमों के उन्नयन के लिए वित्तीय, तकनीकी और व्यावसायिक सहायता प्रदान करने के उद्देश्य से, खाद्य प्रसंस्करण उद्योग मंत्रालय (एमओएफपीआई) ने  अखिल भारतीय स्‍तर पर एक “केन्‍द्र प्रायोजित पीएम फॉर्मलाइजेशन ऑफ माइक्रो फूड प्रोससिंग एंटरप्राइज (पीएम एफएमई) योजना” की शुरूआत की जिसे 10,000 करोड़ रुपये के परिव्यय के साथ 2020-21 से 2024-25 तक पांच वर्षों की अवधि में लागू किया जाएगा। इस योजना के तहत खर्च केन्‍द्र और राज्य सरकारों के बीच 60:40 के अनुपात में, पूर्वोत्‍तर और हिमालयी राज्यों के साथ 90:10 के अनुपात में, संघ शासित प्रदेशों के साथ 60:40 के अनुपात में और अन्य केन्‍द्र शासित प्रदेशों के लिए केन्‍द्र द्वारा 100 प्रतिशत साझा किया जाएगा।

यह योजना निवेश के प्रबन्‍ध, आम सेवाओं का लाभ उठाने और उत्पादों के विपणन के मामले में बड़े पैमाने पर लाभ उठाने के लिए एक जिला एक उत्‍पाद (ओडीओडीपी) के दृष्टिकोण को अपनाती है। राज्य मौजूदा समूहों और कच्चे माल की उपलब्धता को ध्यान में रखते हुए एक जिले के लिए खाद्य उत्पाद की पहचान करेंगे। ओडीओपी उत्पाद खराब होने वाला उत्‍पाद या अनाज आधारित उत्पाद या एक जिले और उनके संबद्ध क्षेत्रों में व्यापक रूप से उत्पादित खाद्य उत्पाद हो सकता है। ऐसे उत्पादों की सूची में आम, आलू, लीची, टमाटर, साबूदाना, कीनू, भुजिया, पेठा, पापड़, अचार, बाजरा आधारित उत्पाद, मछली पालन, मुर्गी पालन, मांस के साथ-साथ पशु चारा भी शामिल है। ओडीओपी उत्पादों का उत्पादन करने वालों को प्राथमिकता दी जाएगी। हालांकि, अन्य उत्पादों का उत्पादन करने वाली इकाइयों को भी सहायता दी जाएगी। ओडीओपी उत्पादों के लिए सामान्य बुनियादी ढांचा और ब्रांडिंग और विपणन के लिए सहयोग दिया जाएगा। इस योजना में कचरे वाले उत्पादों, लघु वन उत्पादों और एस्पिरेशनल जिलों पर ध्यान केन्‍द्रित किया गया है।

अपनी इकाई के उन्नयन की इच्छुक मौजूदा व्यक्तिगत सूक्ष्म खाद्य प्रसंस्करण इकाइयां पात्र परियोजना लागत का 35 प्रतिशत क्रेडिट-लिंक्ड कैपिटल सब्सिडी का लाभ उठा सकती हैं जिसकी अधिकतम सीमा 10 लाख रुपये प्रति इकाई है। परियोजना शुरू करने के लिए आवंटित पूँजी @ 40,000 रूपये प्रति स्‍व सहायता समूह सदस्य कार्यशील पूंजी और छोटे उपकरणों की खरीद के लिए प्रदान की जाएगी। एफपीओ / एसएचजी / निर्माता सहकारी समितियों को मूल्य श्रृंखला के साथ पूंजी निवेश के लिए 35 प्रतिशत का क्रेडिट लिंक्ड अनुदान प्रदान किया जाएगा। समूह में सूक्ष्‍म इकाइयों के उपयोग के लिए एफपीओ / एसएचजी / सहकारी समितियों या राज्य के स्वामित्व वाली एजेंसियों या निजी उद्यम के माध्यम से सामान्य प्रोसेसिंग सुविधा, प्रयोगशाला, गोदाम, कोल्ड स्टोरेज, पैकेजिंग और ऊष्मायन केन्‍द्र सहित सामान्‍य बुनियादी ढांचे के विकास के लिए 35 प्रतिशत क्रेडिट लिंक्ड अनुदान के जरिये सहायता प्रदान की जाएगी। राज्य अथवा क्षेत्रीय स्तर पर 50% अनुदान के साथ सूक्ष्म इकाइयों और समूहों के लिए ब्रांड विकसित करने के लिए विपणन और ब्रांडिंग के लिए सहायता प्रदान की जाएगी, जिससे समूह में बड़ी संख्या में सूक्ष्म इकाइयों को लाभ होगा।

योजना में क्षमता निर्माण और अनुसंधान पर विशेष ध्यान केन्द्रित किया गया है। एनआईएफटीईएम और आईआईएफपीटी, राज्यों द्वारा चुने गए राज्य स्तरीय तकनीकी संस्थानों के साथ एमओएफपीआई के तहत दो शैक्षणिक और अनुसंधान संस्थानों को इकाइयों, उत्पाद विकास, उपयुक्त पैकेजिंग और सूक्ष्म इकाइयों के लिए मशीनरी के प्रशिक्षण के लिए सहायता प्रदान की जाएगी।

योजना की सभी प्रक्रियाएँ एमआईएस पर होंगी जिसमें उद्यमियों द्वारा आवेदन, उनकी प्रोसेसिंग, राज्यों और एमओएफपीआई द्वारा विभिन्न परियोजनाओं की स्वीकृति, अनुदान और अन्य धनराशि जारी करना और परियोजना की निगरानी शामिल हैं। व्यक्तिगत उद्यमी और योजना के तहत सहायता प्राप्त करने के इच्छुक अन्य हितधारक योजना के शुरू होने के बारे में अपने संबंधित राज्यों / संघ शासित प्रदेशों की केन्‍द्रीय एजेंसियों और जिला स्तर पर संपर्क बिंदुओं से संपर्क कर सकते हैं।

टीओपी (टमाटर-प्याज-आलू) फसलों से लेकर खराब होने वाले फलों और सब्जियों (टीओपी से कुल) तक ​​ऑपरेशन ग्रीन्स का विस्तार

एमओएफपीआई द्वारा कार्यान्वित की जा रही ऑपरेशन ग्रीन्स योजना का टमाटर, प्याज और आलू (टीओपी) फसलों से लेकर अन्य अधिसूचित बागवानी फसलों तक विस्‍तार कर दिया गया है ताकि उत्पादन क्षेत्र से प्रमुख उपभोग केन्‍द्रों तक उनके परिवहन और अधिशेष उत्‍पादन क्षेत्र से भंडारण के लिए सब्सिडी प्रदान करनेकी जा सके। हस्तक्षेप का उद्देश्य फल और सब्जियों के उत्पादकों को लॉकडाउन के कारण कम बिक्री से बचाना और फसल कटाई के बाद होने वाले नुकसान को कम करना है।

पात्र फसलें:

फल- आम, केला, अमरूद, कीवी, लीची, पपीता, खट्टे फल, अनानास, अनार, कटहल; सब्जियां: – फ्रेंच बीन्स, करेला, बैंगन, शिमला मिर्च, गाजर, फूलगोभी, मिर्च (हरा), भिंडी, प्याज, आलू और टमाटर। कृषि या राज्य सरकार की सिफारिश के आधार पर भविष्य में किसी अन्य फल / सब्जी को जोड़ा जा सकता है।

योजना की अवधि: – अधिसूचना की तारीख से छह महीने की अवधि के लिए अर्थात्, 11/06/2020।

योग्य कम्‍पनियां: – फूड प्रोसेसर, एफपीओ /एफपीसी, सहकारी समितियाँ, व्यक्तिगत किसान, लाइसेंस प्राप्त कमीशन एजेंट, निर्यातक, राज्य विपणन /सहकारी संघ, खुदरा विक्रेता आदि जो फलों और सब्जियों के प्रसंस्करण / विपणन में लगे हुए हैं।

सहायता का तरीका: – मंत्रालय लागत मानदंडों के अधीन निम्नलिखित दो घटकों की लागत का 50% @ सब्सिडी प्रदान करेगा :

• अधिशेष उत्पादन समूह से खपत केंद्र तक पात्र फसलों का परिवहन; और / या

• पात्र फसलों के लिए उचित भंडारण सुविधाएं भाड़े पर लेना (अधिकतम 3 माह की अवधि के लिए);

सब्सिडी के लिए दावे का प्रस्तुतीकरण – योग्य कम्‍पनियां, जो उपर्युक्‍त आवश्यक मानदंडों का पालन करती हैं, एमओएफपीआई से पूर्व अनुमति के बिना अधिसूचित अधिशेष उत्पादन क्लस्टर से अधिसूचित फसलों के परिवहन और / या भंडारण का कार्य कर सकती हैं और उसके बाद ऑनलाइन पोर्टल https://www.sampada-mofpi.gov.in/Login.aspx. पर अपना दावा प्रस्‍तुत कर सकती हैं। आवेदक को फलों और सब्जियों का परिवहन / भंडारण करने से पहले पोर्टल पर पंजीकरण करना चाहिए।

एससी / एसटी खाद्य प्रसंस्‍करण के लिए मुफ्त ऑनलाइन कौशल कार्यक्रम

श्रीमती हरसिमरत कौर बादल ने बताया कि एमओएफपीआई, ई-शिक्षा प्रदान करने के लिए, एनआईएफटीईएम और एफआईसीएसआई के साथ मिलकर, एससी और एसटी उद्यमियों के लिए मुफ्त ऑन-लाइन कौशल कक्षाएं शुरू करने की योजना बना रहा है। एमओएफपीआई ने बेकिंग, जैम, अचार बनाना आदि जैसे 41 पाठ्यक्रमों और नौकरियों की पहचान की है, जिसके लिए डिजिटल सामग्री तक पहुंच उपलब्ध कराई जाएगी। एक बार प्रमाणित हो जाने के बाद, इन उद्यमियों के पास रोजगार की बेहतर क्षमता होगी, या वे अपना उद्यम शुरू कर सकते हैं। उन्होंने आगे बताया कि एनआईएफटीईएम के माध्यम से मंत्रालय द्वारा तैयार प्रतिभागी पुस्तिक और प्रशिक्षक मार्गदर्शिका को उपयुक्त डिजिटल सामग्री और ऑनलाइन मूल्यांकन सेवा के साथ ई-शिक्षा प्रारूप में परिवर्तित किया जाएगा। इन्हें अंग्रेजी, हिंदी और अन्य क्षेत्रीय भाषाओं में एफआईसीएसआई द्वारा वेब पर और एंड्रायड आधारित मोबाइल ऐप पर उपलब्ध कराया जाएगा।

Related Articles

Back to top button