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संसद भवन और एकीकृत केन्द्रीय सचिवालय के पुर्ननिर्माण तथा सेंट्रल विस्‍टा के पुनर्विकास के लिए सख्‍त समय सीमा तय

नई दिल्ली: संसद भवन तथा एकीकृत केन्‍द्रीय सचिवालय के पुन निर्माण और सेंट्रल विस्‍टा के पुर्नविकास के लिए सख्‍त समय सीमा तय कर दी गई है। लोकनिर्माण विभाग को जहां सेंट्र‍ल‍ विस्‍टा परियोजना को का काम नवंबर 2021 तक पूरा करने के लिए कहा गया है वहीं नए संसद भवन का निर्माण मार्च 2022 तक तथा एकीकृत केन्‍द्रीय सचिवालय का काम मार्च 2024 तक पूरा होना है।

 सरकार ने इस योजना के लिए परामर्श सेवा का ठेका मेसर्स एचसीपी डिजाइन, प्‍लानिंग एंड मैनेजमेंट प्राइवेट लिमिटेड को दिया है। कंपनी को केन्‍द्र द्वारा तय नियमों और जरूरतो के अनुरूप यह काम तय समय में पूरा करना है।

नये मास्‍टर प्‍लान के तहत रायसीना हिल्‍स पर स्थित पुराने सरकारी भवनों के साथ ही संसद और सचिवालय को नया रूप देकर सांसदों के लिए आवश्‍यकता अनुसार पर्याप्‍त जगह  की व्‍यवस्‍था की जाएगी। इस काम के लिए एक विश्‍वस्‍तरीय सलाहकार सेवा की जरूरत थी लिहाजा सरकार ने इसके लिए कंपनियों के चयन की प्रक्रिया 2 नवंबर 2019 से शुरु कर दी थी। केन्‍द्रीय लो‍कनिर्माण विभाग ने इस दिन कंपनियों से निविदा आमंत्रित की थी। निविदा के लिए क्‍यूसीबी (80:20) प्रक्रिया का अनुकरण किया गया। परामर्श सेवा के लिए 229.75 करोड़ रूपए की राशि निर्धारित की गई। आरएफपी के तहत 12नवंबर 2019 को निविदा पूर्व बैठक आयोजित की गयी जिसमें 24 बोलीकर्ताओं ने भाग लिया और उनके द्वारा उठाए गये मुद्दों का निराकरण किया गया। तकनीकी निविदा 30 नवंबर 2019 को शुरू की गयी। शुरूआती अहर्ताओं और तकनीकी मानकों की जांच के बाद सभी बोलीकर्ताओं से अपनी निविदा अपनी निविदाएं  एक ज्यूरी के समकक्ष रखने को कहा गया।  इस ज्यूरी में  स्कूल ऑफ प्लानिंग एंड आर्किटेक्‍चर (एसपीए) के अध्‍यक्ष प्रोफेसर पीएसएन राव की अध्‍यक्षता में जाने माने लैंडस्‍केप डिजाइनर और आर्किटेक्‍ट शामिल थे। आखिर में अंतिम बोली प्रक्रिया में हिस्‍सा लेने के लिए चार बोलीकर्ताओं का चयन किया गया। अंतिम बोली प्रक्रिया 12 अक्‍टूबर 2019 को संपन्‍न हुई और आखिर में परामर्श सेवा का ठेका मेसर्स एचसीपी डिजाइन,प्‍लानिंग एंड मैनेजमेंट प्राइवेट लिमिटेड को दे दिया गया। यह देश की अग्रणी आर्किटेक्‍ट कंपनी है जिसे गांधीनगर में सचिवालय भवन,अहमदाबाद में साबरमती नदी के आसपास के क्षेत्र को पुर्नविकसित करने,मुबंई बदरगाह परिसर विकास, वाराणसी में मंदिर परिसर पुर्नविकास और अहमदाबाद में आईआईएम का नया परिसर बनाने के अलावा कई ऐसी परियोजनाओं का खासा अनुभव है। इस कंपनी ने देश के बाहर भी कई बड़ी परियोजनाओं पर काम किया है। मास्‍टर प्‍लान को अंतिम रूप देने के बाद केन्‍द्रीय लोकनिर्माण विभाग आगे निर्माण कार्यों का ठेका सक्षम कंपनियों को देगा।

रायसीना हिल्‍स पर स्थित सरकारी भवनों का निर्माण 1911 से 1931 के बीच  हुआ था। इनकी डिजाइनिंग जाने माने विदेशी वास्‍तुकार सर एडविन लुटिनय और सर हरबर्ट बेकर ने तैयार की थी। संसद भवन भी इन्‍हीं दिनों बना था। इसके साथ ही राजपथ के दोनों और स्थिति कई सरकारी भवनों का निर्माण विभिन्‍न सरकारी कार्यालयों के लिए किया गया। सेंट्रल विस्‍टा के तहत राष्‍ट्रपति भवन से लेकर इंडिया गेट तक का क्षेत्र आता है। सौ वर्ष से भी ज्‍यादा पहले बनायी गयी इन इमारतों की जरुरत अब समय के साथ काफी बदल गई है। इनमें नए दौर के हिसाब से जरुरी सुविधाएं और पर्याप्‍त जगह नहीं रह गई है इसलिए इनको नया रूप देना जरूरी हो गया है।

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