उत्तर प्रदेश

प्रदेश में वर्ष 2022 तक 4300 मेगावाट रूफटाॅप सोलर पाॅवर प्लाण्ट की स्थापना का लक्ष्य

लखनऊ: प्रदेश में ऊर्जा की बढ़ती मांग एवं पारम्परिक ऊर्जा स्रोतों के सीमित भण्डारों के कारण वैकल्पिक ऊर्जा स्रोतों पर आधारित विद्युत उत्पादन की परियोजनाओं की स्थापना पर प्रदेश सरकार कार्य कर रही और इसके लिए लाभार्थियों को अनुदान के साथ-साथ अनेक सुविधाएं और छूट प्रदान कर रही है।
अतिरिक्त ऊर्जा स्रोत विभाग से प्राप्त जानकारी के अनुसार प्रदेश सरकार ने सौर ऊर्जा नीति-2017 के तहत वर्ष 2022 तक प्रदेश में 10700 मेगावाट सौर विद्युत उत्पादन का लक्ष्य निर्धारित किया है। इसमें 6400 मेगावाट यूटिलिटी स्केल ग्रिड संयोजित सोलर पाॅवर प्लाण्ट की स्थापना का लक्ष्य है। प्रदेश में अब तक 959 मेगावाट यूटिलिटी स्केल सौर विद्युत परियोजनाएं स्थापित की गईं तथा 1597 मेगावाट यूटिलिटी स्केल सौर विद्युत परियोजनाओं के लिए टैरिफ आधारित बिडिंग की कार्यवाही पूर्ण करते हुए क्षमता आवंटन कर दिया गया है।
सौर ऊर्जा नीति-2017 के अन्तर्गत प्रदेश में वर्ष 2022 तक 4300 मेगावाट रूफटाॅप सोलर पाॅवर प्लाण्ट की स्थापना का लक्ष्य निर्धारित है। ग्रिड संयोजित रूफटाॅप सोलर पाॅवर प्लाण्ट की स्थापना पर एक किलोवाट से तीन किलोवाट क्षमता के संयंत्र की स्थापना पर 40 प्रतिशत पर तथा 03 किलोवाट से 10 किलोवाट क्षमता तक संयंत्र पर 20 प्रतिशत केन्द्र सरकार अनुदान दे रही है। इसके अतिरिक्त राज्य सरकार द्वारा 15000 रुपये प्रति किलोवाट की दर से अधिकतम 30,000 रुपये प्रति उपभोक्ता अनुदान दिया जा रहा है।
प्रदेश सरकार ने उपभोक्ताओं द्वारा अनुदान हेतु पंजीकरण के लिए आॅनलाइन वेबपोर्टल ‘यूनीफाइड सोलर रूफटाॅप ट्रांजेक्शन’ विकसित किया है। इसके माध्यम से सोलर प्लाण्ट की स्थापना के पश्चात अनुदान की धनराशि सीधे उपभोक्ता के खाते में भेजी जाती है। प्रदेश में अब तक 300 मेगावाट की सोलर रूफटाॅप परियोजनाएं लगायी जा चुकी हैं। वर्तमान में 01 से 10 किलोवाट क्षमता तक के रूफटाॅप सोलर संयंत्र की लागत 38000 रुपये प्रति किलोवाट तथा 11 से 100 किलोवाट क्षमता तक के संयंत्रों की लागत 32000 रुपये प्रति किलोवाट निर्धारित है।

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