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केंद्र सरकार इस योजना की पूरी लागत, 46,000 करोड़ रुपये का वहन करेगी

नई दिल्ली: सचिव, खाद्य एवं सार्वजनिक वितरण विभाग, सुधांशु पांडेय ने आज यहां वीडियो कांफ्रेंसिंग के माध्यम से 24 राज्यों/ केंद्र शासित प्रदेशों के खाद्य सचिवों और अन्य संबंधित अधिकारियों के साथ विस्तृत समीक्षा बैठक की। इस बैठक में श्री पांडेय ने अप्रैल और मई 2020 के महीनों के लिए प्रधानमंत्री गरीब कल्याण अन्न योजना (पीएम-जीकेवाई) के अंतर्गत लाभार्थियों के लिए खाद्यान्न उत्तोलन और वितरण की स्थिति के साथ-साथ वर्तमान समय में चल रहे कोविड-19 संकट के दौरान सभी एनएफएसए लाभार्थियों तक खाद्यान्न की पर्याप्त उपलब्धता को सुनिश्चित करने के लिए सामान्य एनएफएसए/ टीपीडीएस के अंतर्गत खाद्यान्न वितरण पर भी चर्चा की। इनके अलावा राज्यों/ केंद्र शासित प्रदेशों द्वारा ‘वन नेशन वन राशन कार्ड’ योजना के कार्यान्वयन पर उन राज्यों/ केंद्र शासित प्रदेशों के साथ विचार-विमर्श किया गया जहां पर ये सुविधाएं संचालित हो रही हैं और इसके बारे में जागरूकता उत्पन्न करने सहित अन्य राज्यों/ केंद्र शासित प्रदेशों द्वारा इसे अपनाने की रणनीति और योजना तैयार की गई।

वीडियो कांफ्रेंसिंग की बैठकें 24 राज्यों/ केंद्र शासित प्रदेशों बिहार, दादरा और नगर हवेली और दमन एवं दीव, दिल्ली, गुजरात, झारखंड, कर्नाटक, मध्य प्रदेश, मेघालय, ओडिशा, पंजाब, सिक्किम, पश्चिम बंगाल, अंडमान निकोबार द्वीप समूह, आंध्र प्रदेश, छत्तीसगढ़, गोवा, हरियाणा, केरल, महाराष्ट्र, राजस्थान, तमिलनाडु, तेलंगाना, उत्तराखंड और उत्तर प्रदेश के साथ हुई।

प्रधानमंत्री गरीब कल्याण अन्न योजना (पीएमजीकेएवाई)

कोविड-19 महामारी के कारण उत्पन्न हुए संकट के दौरान, केंद्र सरकार द्वारा शुरू की गई सबसे महत्वपूर्ण पहलों में से एक प्रधानमंत्री गरीब कल्याण अन्न योजना (पीएमजीकेएवाई) है, जिसका उद्देश्य प्रभावित आबादी को मुफ्त खाद्यान्न उपलब्ध कराना है। योजना की प्रमुख विशेषताएं हैं:

  • भारत सरकार किसी को भी, विशेषकर गरीब परिवार को, व्यवधान के कारण तीन महीनों के लिए खाद्यान्न की अनुपलब्धता के कारण कष्ट नहीं उठाने देगी।
  • 80 करोड़ लोग, यानी भारत की लगभग दो तिहाई आबादी, इस योजना के दायरे में आएंगे।
  • अगले तीन महीनों तक उनमें से प्रत्येक को उनकी वर्तमान पात्रता का दोगुना प्रदान किया जाएगा।
  • यह अतिरिक्त खाद्यान्न निशुल्क होगा।

इस योजना के अंतर्गत महामारी से प्रभावित देश भर के कमजोर वर्गों को लगभग 120 लाख मीट्रिक टन (एलएमटी) खाद्यान्न वितरित किया जा रहा है। सरकार ने यह सुनिश्चित किया है कि एनएफएसए के अंतर्गत सभी प्राथमिकता वाले घरों (पीएचएच) को अप्रैल, मई और जून, 2020 के लिए सामान्य आवंटन कोटा का दोगुना मिले और अंत्योदय अन्न योजना (एएवाई) के प्रत्येक लाभार्थी को 35 किलोग्राम के उनके सामान्य कोटा की तुलना में अतिरिक्त 5 किलोग्राम प्रति कार्ड/ महीने मिले। इस योजना के लिए राज्य सरकारों की ओर से उत्साहजनक प्रतिक्रिया मिली है और 06.05.2020 तक 69.28 एलएमटी मात्रा पहले ही उठाई जा चुकी है।

सरकार खाद्यान्न की लागत, इसकी खरीद की लागत, भंडारण और परिवहन के साथ-साथ डिलिवरी से लेकर अभीष्ट लाभार्थियों के उचित मूल्य वाली दुकान (एफपीएस) तक वितरण को कवर करते हुए लगभग 46,000 करोड़ रुपये व्यय कर रही है। किसान को अनाज की लागत का भुगतान करने से शुरू की गई प्रक्रिया से लेकर एफपीएस दुकान मालिकों को कमीशन का भुगतान करने तक, भारत सरकार द्वारा परिचालनों की कुल लागत चावल के लिए लगभग 39 रुपये प्रति किलोग्राम और गेहूं के लिए लगभग 28 रुपये प्रति किलोग्राम की दर से वहन की जाती है। इस पूरी खाद्य सहायता योजना का वहन भारत सरकार द्वारा किसी राज्य सरकारों पर बिना कोई वित्तीय बोझ डालते हुए हुए लागू की जाती है।

पीएमजीकेएवाई के अंतर्गत खाद्यान उठान की स्थिति

हालाँकि समग्र खाद्यान उठान उत्साहवर्धक रहा है, लेकिन इस योजना के अंतर्गत उठाई के पैटर्न में राज्यों के बीच भिन्नताएँ हैं। उत्तोलन की स्थिति का सारांश निम्नानुसार है:

राज्यों की संख्या जिन्होंने सभी 3 महीनों के लिए खाद्यान कोटा उठाने का काम पूरा किया : 05

राज्यों की संख्या जिन्होंने 2 महीनों के लिए खाद्यान कोटा उठाने का काम पूरा किया : 18

राज्यों की संख्या जिन्होंने 1 महीनों के लिए खाद्यान कोटा उठाने का काम पूरा किया : 14

पीएमजीकेएवाई के अंतर्गत खाद्यान्न उठान की राज्यवार प्रवृत्ति निम्नानुसार है:

1. राज्य/ केंद्र शासित प्रदेश जिन्होंने पूरे 3 महीने का खाद्यान उठाया

2. राज्य/ केंद्र शासित प्रदेश जिन्होंने 2 महीने का खाद्यान उठाया

3. राज्य/ केंद्र शासित प्रदेश जिन्होंने 1 महीने का खाद्यान उठाया

भारतीय खाद्य निगम (एफसीआई) द्वारा स्टॉक का जल्द से जल्द उठान पूरा करने के लिए राज्यों को हर संभव समर्थन प्रदान किया जा रहा है।

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