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आईबीबीआई ने भारतीय दिवाला और शोधन अक्षमता बोर्ड (परिसमापन प्रक्रिया) नियम, 2016 में संशोधन किये

नई दिल्ली: भारतीय दिवाला और शोधन अक्षमता बोर्ड(आईबीबीआई) ने आज भारतीय दिवाला और शोधन अक्षमता बोर्ड (परिसमापन प्रक्रिया) (तीसरा संशोधन) नियम, 2020को अधिसूचित किया।

नियमों में कहा गया है कि ऋणदाताओं की समिति परिसमापक (लिक्विडेटर) को देय शुल्क का निर्धारण करेगी। जहां ऋणदाताओं की समिति द्वारा शुल्क का निर्धारण नहीं किया गया है, नियमों के अनुसार, परिसमापक द्वारा प्राप्त (वसूल) धनराशि और परिसमापक द्वारा वितरित राशि के प्रतिशत के रूप मेंपरिसमापक को शुल्क प्रदान किया जायेगा। ऐसे उदाहरण हैं जहां एक परिसमापक धनराशिप्राप्त करता है, जबकि एक अन्य परिसमापक हितधारकों को धनराशि वितरित करता है। विनियमों में आज किया गया संशोधन स्पष्ट करता है कि जब परिसमापक कोई धनराशिप्राप्त करता है, लेकिन उसे वितरित नहीं करता है, तो भी वह उसके द्वारा प्राप्त राशि के अनुरूप शुल्क पानेका हकदार होगा। इसी तरह, जहां एक परिसमापक किसी भी धनराशि का वितरण करता है, जो उसके द्वारा प्राप्तनहीं किया गया है, ऐसी स्थिति में भी वह उसके द्वारा वितरित राशि के अनुरूप शुल्क पाने का हकदार होगा।

संशोधित नियम आज से प्रभावी हैं। ये नियम www.mca.gov.in और www.ibbi.gov.in पर उपलब्ध हैं।

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