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अध्ययन भविष्य के अंतरिक्ष अभियानों की योजना के लिए उपयोगी हो सकता है

नई दिल्ली: भारतीय भूचुम्बकत्व संस्थान (आईआईजी), विज्ञान और प्रौद्योगिकी विभाग की एक स्वायत्त संस्था है। संस्थान के वैज्ञानिकों ने सामान्य एक-आयामी द्रव सिमुलेशन कोड विकसित किया है, जो पृथ्वी के चुम्बकीयमंडल क्षेत्र में सुसंगत विद्युत क्षेत्र संरचनाओं के व्यापक स्पेक्ट्रम का अध्ययन करने में सक्षम है।  यह  अध्ययन भविष्य के अंतरिक्ष अभियानों की योजना के लिए उपयोगी हो सकता है।

पृथ्वी का चुम्बकीयमंडल एक विशाल क्षेत्र है। इस क्षेत्र से सीमित संख्या में उपग्रह गुजरते हैं। इसलिए पर्यवेक्षण सीमित और अलग-अलग हैं। उपग्रह के चारों ओर प्लाज्मा प्रक्रियाओं के आकृति विज्ञान को अच्छी तरह से समझा जा सकता है। जब उपग्रह एक पर्यवेक्षण डोमेन को छोड़कर दूसरे में प्रवेश करते  हैं, तो एक विशाल अज्ञात क्षेत्र बनता है। इन प्रक्रियाओं का आकृति विज्ञान, स्थान और समय के साथ कैसे बदलता है, इसे आदर्श रूप से केवल कंप्यूटर सिमुलेशन के माध्यम से समझा जा सकता है।

आईआईजी के डॉ अमर कक्कड़ के मार्गदर्शन में डॉ अजय लोतेकर को इस समस्या का समाधान ढूंढने की प्रेरणा मिली। इस समस्या के समाधान के लिए, टीम ने एक सामान्य 1 डी द्रव कोड विकसित किया, जिससे अंतरिक्ष प्लाज्मा की विद्युत क्षेत्र संरचनाओं का मॉडल तैयार किया गया। उन्होंने विभिन्न प्रकार की तरंग घटनाओं के लिए अपने कोड का परीक्षण किया जो पृथ्वी के निकट प्लाज्मा वातावरण में सुसंगत विद्युत क्षेत्र संरचनाओं को उत्पन्न करता है। यह सिमुलेशन आईआईजी में उच्च-क्षमता वाले कम्प्यूटिंग सिस्टम पर किया गया। परिणाम को फिजिक्स ऑफ़ प्लाज्मा जर्नल में प्रकाशित किया गया। ये परिणाम अंतरिक्ष यानों द्वारा सुसंगत विद्युत क्षेत्र संरचनाओं के पर्यवेक्षण से प्राप्त परिणामों के समान पाए गए।

ब्रह्मांड में लगभग 99% पदार्थ प्लाज्मा के रूप में है तथा पृथ्वी के चुम्बकीयमंडल क्षेत्र में भी प्लाज्मा है। प्लाज्मा प्रक्रियाओं में कई उपग्रहों के काम को बाधित करने की क्षमता है जिन्हें चुम्बकीयमंडल क्षेत्र के अंतर्गत आनेवाली कक्षाओं में स्थापित किया गया है।

इन महंगे उपग्रहों की सुरक्षा के अलावा, इस क्षेत्र की अकादमिक समझ  ब्रह्मांड को पूरी तरह से समझने के लिए आवश्यक है। सूर्य पृथ्वी के चारों ओर के अंतरिक्ष में प्लाज्मा के जमाव का प्रमुख स्रोत है। सूर्य अपने कुछ प्लाज्मा को सौर हवा के रूप में पृथ्वी की ओर धकेलता है। इस हवा की गति 300 से 1500 किमी / सेकंड के बीच होती है, जो अपने साथ सौर चुंबकीय क्षेत्र लाती है, जिसे अंतर-ग्रह चुंबकीय क्षेत्र या इंटरप्लेनेटरी मैग्नेटिक फील्ड (आईएमएफ) कहा जाता है। पृथ्वी के चुंबकीय क्षेत्र के साथ आईएमएफ का संपर्क पृथ्वी के चुम्बकीयमंडल क्षेत्र का निर्माण करता है।

चित्र 1: पृथ्वी के चुम्बकीयमंडल क्षेत्र की संरचना  (सौजन्य :

http://web.archive.org/web/ 20070907134402/ http://plasmasphere.nasa.gov/default_story.htm

विभिन्न क्षेत्र 1) बो शॉक, 2) मैग्नेटोसेथ, 3) मैग्नेटोपॉज़, 4) नॉर्दर्न टेल लोब, 5) सदर्न टेल लोब, 6) प्लास्मास्फेयर, 7) सोलर विंड। सफ़ेद सितारे उन क्षेत्रों को इंगित करते हैं जहाँ सुसंगत विद्युत क्षेत्र संरचनाएँ अक्सर देखी जाती हैं, और नीले तारे उन क्षेत्रों का संकेत देते हैं जहाँ ये संरचनाएँ हैं और इन्हें अंतराल के साथ रुक-रुक कर देखा जाता है।

आईआईजी टीम द्वारा चुम्बकीयमंडल क्षेत्र की जटिल और असमान तरंग घटना का अध्ययन, प्लाज्मा तरंगों, अस्थिरताओं और तरंग-कण संपर्क से जुड़े प्रभावों के ज्ञान को आगे बढ़ाने में मदद करेगा जो भविष्य के अंतरिक्ष मिशनों की योजना बनाने में उपयोगी साबित होंगे। इससे मानवता की निरंतर बढ़ती ऊर्जा आवश्यकताओं के लिए सटीक व नियंत्रित फ्यूज़न प्रयोगशाला प्रयोगों में मदद मिलेगी।

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