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जापान में मैटिरियल अनुसन्धान के लिए भारतीय बीमलाइन का तीसरा चरण प्रारम्भ, यह चरण औद्योगिक अनुप्रयोग अनुसन्धान पर केन्द्रित होगा

मैटिरियल अनुसन्धान के लिए भारत जापान वैज्ञानिक एवं तकनीकी सहयोग के तत्वावधान में स्थापित भारतीय बीमलाइन का तीसरा चरण इस महीने की 23 तारीख को शुरू हुआI यह चरण औद्योगिक अनुप्रयोग अनुसन्धान पर केन्द्रित होगाI

तीसरे चरण की शुरुआत जापान में भारतीय राजदूत श्री संजय कुमार वर्मा और इंस्टीटयूट ऑफ़ मैटिरियल स्ट्रक्चर साइंस के निदेशक डॉ. कोसुगी नोबुहिरो के बीच समझौते के एक ज्ञापन पर हस्ताक्षर किए जाने के साथ ही इस तीसरे चरण की शुरुआत हुई हैI

इस चरण में मैटिरियल रिसर्च में आधुनिकतम एक्स-रे प्रविधियों में प्रशिक्षण देने के लिए भारत से जाने वाले युवा शोधार्थियों की संख्या बढ़ाई जाएगीI इसके अलावा अधिक से अधिक शोधार्थियों को पहले से अधिक बीमसमय देने के लिए प्रयास किए जाएंगेI इस समय इस प्रक्रिया के लिए आवेदन करने वाले शोधार्थियों में से मात्र 50 प्रतिशत को ही बीमटाइम मिल पाता है I

भारतीय बीमलाइन का निर्माण और अनुरक्षण साहा इंस्टीटयूट ऑफ़ न्यूक्लियर फिजिक्स (एसआईएनपी), कोलकाता और जवाहर लाल नेहरु आधुनिक वैज्ञानिक अनुसंधान केंद्र (जेएनसीएएसआर), बैगलुरु ने विज्ञानं एवं प्रौद्योगिकी विभाग के नैनो मिशन के सहयोग से  जापान के हाई इनर्जी ऐसिलिरेटर रिसर्च ऑर्गेनाइजेशन (केईके) की  सिन्क्रोत्रोन लाईट सोर्स फोटोन फैक्ट्री में किया हैI

इस भारत जापान वैज्ञानिक एवं तकनीकी सहयोग परियोजना की शुरुआत विज्ञानं एवं प्रौद्योगिकी विभाग (डीएसटी) और केईके के बीच 24 जुलाई 2007 को हुई थीI पहले चरण (2009- 2015) में पीएफ के अंतर्गत एसआईएनपी में एक एक्स-रे बीमलाइन(बीएल 18बी) का निर्माण हुआ था I पिछले कई सालों से इस अवसंरचना ने  भारतीय वैज्ञानिकों को भारी मात्रा में उत्कृष्ट कोटि की बीमलाइन उपलब्ध करवाई है जिससे वे नैनो मैटिरियल सहित अद्यतन एवं आधुनिकतम पदार्थों (मैटिरियल) के क्षेत्र में अव्वल दर्जे का शोध करने में सक्षम हो सके हैंI

अभी तक देशभर में 45 भारतीय संस्थानों ने इस सुविधा का प्रयोग करते हुए अंतर्राष्ट्रीय स्तर की सर्वश्रेष्ठ वैज्ञानिक शोध पत्रिकाओं में अपने शोध प्रपत्र प्रकाशित करवाए हैंI दूसरे चरण (2016- 2021) में जेएन सीएएसआर और एसआईएनपी ने इससे भी उच्च कोटि की बीमलाइन का विकास किया ताकि भारतीय बीमलाइन संचालन की विभिन्न प्रविधियों का उपयोग भारतीय उपयोगकर्ताओं द्वारा किया जा सकेI

इसके लिए जरुरी योजना को एक समझौता ज्ञापन के माध्यम से अप्रैल 2015 से मार्च 2016 की अवधि के लिए एक वर्ष का विस्तार दिया गया, जिसका उल्लेख प्रधानमंत्री श्री नरन्द्र मोदी जी की 30 अगस्त-03 सितम्बर 2014 के दौरान सम्पन्न जापान यात्रा के दौरान जारी संयुक्त वक्तव्य में भी किया गया थाI जापान के त्सुकुबा स्थित हाई इनर्जी ऐसिलिरेटर रिसर्च ऑर्गेनाइजेशन (केईके) में भारतीय बीमलाइन के सफल संचालन को एक सहकारी फ्लैगशिप प्रक्रिया के रूप में स्वीकृति देते हुए दोनों पक्षों ने स्ट्रक्चरल मैटिरियल विज्ञानं के क्षेत्र में सहयोग को और आगे बढाने के निर्णय की घोषणा की थी ताकि आधुनिकतम पदार्थों (ऐडवान्स्ड मैटिरियल) के अध्ययन का दूसरा चरण शुरू किया जा सकेI अब इस सहयोग को तीसरे चरण में बढ़ा दिया गया है I

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