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अल्ट्रा लक्जरी वैन ‘कैरवानं’ से पर्यटक उत्तराखंड में पसंदीदा जगह की कर सकेंगे यात्रा

देहरादून: उत्तराखण्ड पर्यटन विकास परिषद (यूटीडीबी) के सहयोग से अब पर्यटक उत्तराखंड के दूरस्थ स्थानों पर अल्ट्रा लक्जरी वैन कैरवान से अपने परिवार और दोस्तों के साथ सफर कर सकेंगे। अत्याधुनिक सुविधाओं से लैस विशेष वाहन कैरवान का हुआ शुभारंभ।

कैरवान में एक पांच सीटर व दूसरी गोरखा कैरवान तीन सीटर है। इन कैरवान की यात्रा अवधि आठ दिनों की होगी, जिसमें पर्यटक लगभग 900 किलोमीटर से अधिक की दूरी तय करते हुए, उत्तराखण्ड के पर्यटन स्थलों का भ्रमण कर पायेंगे। इन आठ दिनों में इसका रूट पंतनगर से शुरू होकर टनकपुर में साहसिक गतिविधियां करते हुए, पंचेश्वर, बिंनसर, गरूड़, औली, टिहरी होते हुए वापस देहरादून होगा।

इस मौके पर पर्यटन सचिव सचिन कुर्वे ने कहा कि यात्रा के शौकीन पर्यटकों के लिए यह कैंपिंग वाहन घर जैसी सभी सुविधाएं उपलब्ध कराएगा। इस वाहन के साथ आप सोशल डिस्टेंसिंग का पालन करते हुए सड़क के रास्ते कहीं भी यात्रा कर सकते हैं। कैरवान के जरिए पर्यटक अपने पसंदीदा पर्यटन स्थल पर सड़क यात्रा कर आसानी से पहुंच सकेंगे। उन्होंने कहा कि इस वाहन में एलसीडी टीवी, सैटेलाइट टीवी, जीपीआरएस नेविगेशन सिस्टम, वॉशरूम, पेंट्री, कॉफी मेकर, माइक्रो वेव आदि सुविधाएं उपलब्ध हैं।

कैरवान से ट्रैवल करने का एक बड़ा फायदा ये है कि इसमें बैठकर आपको कभी ऐसा अनुभव नहीं होगा कि आप घर से बाहर आए हुए हैं। कैरवान के जरिए पर्यटक दूरदराज के इलाकों, जंगलों और नदियों के किनारे अपनी उत्तराखंड यात्रा को यादगार बना सकते हैं। कैरवान में घर जैसा ही वातावरण मिलता है, इसमें आप अपने परिवार, दोस्तों के साथ मस्ती करते हुए आराम से यात्रा कर सकते हैं। वहीं यह स्थानीय लोगों को स्वरोजगार उपलब्ध कराने के साथ उन्हें स्वावलम्बी बनाने की दिशा में एक अच्छी पहल है। कैरवान के माध्यम से पर्यटक सड़क यात्रा कर अपनी पसंदीदा स्थल पर पहुंच सकेंगे। कैरवान पर्यटन का चलन हाल के वर्षों में काफी बढ़ा है और यह पर्यटकों के लिए एक किफायती पर्यटन विकल्प बनकर उभरा है क्योंकि कैरवान में आवास भोजन की सुविधा होने के चलते पर्यटकों को अलग से होटल की बुकिंग नहीं करानी पड़ेगी।

कैरवान को वीर चंद्र सिंह गढ़वाली पर्यटन स्वरोजगार योजना में शामिल किया गया है। राज्य सरकार की पर्यटन नीति के तहत एमएसएमई के अंतर्गत कैरवान खरीद सकते हैं। इसके लिए सरकार की ओर से तय अनुदान भी दिया जा रहा है। इसका पर्यटकों और उत्तराखंड़ वासियों दोनों को सीधा लाभ मिलेगा।

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