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जम्मू-कश्मीर और लद्दाख का संघ शासित प्रदेशों में परिवर्तन सुगम होगा: डॉ. जितेन्द्र सिंह

नई दिल्ली: कार्मिक और पेंशन राज्य मंत्री डॉ. जितेन्द्र सिंह ने कहा है कि जम्मू-कश्मीर और लद्दाख का संघ शासित प्रदेशों में बदलाव सुचारू रूप से होगा और इस कार्य में कैडर कोई समस्या नहीं है। उन्होंने कहा कि कोई भी विकसित व्यवस्था या तंत्र सभी हितधारकों के बेहतर हित में होगा।

डॉ. जितेन्द्र सिंह आज यहां भारत सरकार के कार्मिक, लोक शिकायत और पेंशन मंत्रालय द्वारा आयोजित सभी राज्य/केन्द्र शासित प्रदेशों के मुख्य सचिवों/प्रधान सचिवों (कार्मिक/सामान्य प्रशासन विभाग) के वार्षिक सम्मेलन को संबोधित कर रहे थे। सम्मेलन में कार्मिक और प्रशिक्षण विभाग के सचिव डॉ. सी. चन्द्रमौली, सचिव डीएआरपीजी और पेंशन सचिव श्री के. वी. इपन और केन्द्र और केन्द्र शासित प्रदेशों/राज्य सरकारों के वरिष्ठ अधिकारी उपस्थित थे।

वार्षिक सम्मेलन का उद्देश्य अखिल भारतीय सेवा के अधिकारियों के कार्मिक प्रबंधन से संबंधित मुद्दों पर विचार-विमर्श करना था। सम्मेलन का आयोजन प्रशासन और शासन से संबंधित मामलों में राज्यों और केन्द्र सरकार के बीच अधिक समन्वय बनाने के लिए किया गया था। सम्मेलन के दौरान कार्मिक प्रबंधन, प्रशिक्षण और अखिल भारतीय सेवाओं के अन्य सेवा मामलों से संबंधित विभिन्न मुद्दों पर चर्चा की गई।

इस अवसर पर डॉ. जितेंद्र सिंह ने कहा कि प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व में सरकार ने अधिकारियों को अनुकूल कार्य वातावरण प्रदान करने के लिए अनेक कदम उठाए हैं ताकि अधिकारी ऐसा नागरिक केन्द्रित प्रशासन दे सकें, जो सभी हितधारकों की आवश्कताओं के प्रति उत्तरदायी हो। उन्होंने इस सिलसिले में स्व-प्रमाणन व्यवस्था, गैर-राजपत्रित पदों के लिए साक्षात्कार व्यवस्था की समाप्ति, पुराने नियमों की समाप्ति और लोक-शिकायत समाधान व्यवस्था का उल्लेख किया। उन्होंने कहा कि हाल के दिनों में उत्कृष्टता के लिए प्रधानमंत्री के पुरस्कार का स्वरूप पूरी तरह बदल गया है। अब अधिकारियों को सरकार के अग्रणी कार्यक्रमों को लागू करने के लिए पुरस्कृत किया जाता है जिसमें बड़ी संख्या में जिला क्लेक्टर होते हैं।

डॉ. जितेन्द्र सिंह ने कहा कि सरकार ने भ्रष्टाचार और खराब कार्य प्रदर्शन के प्रति शून्य सहन की नीति अपनाई है लेकिन साथ-साथ सरकार ईमानदार और कर्तव्यनिष्ठ अधिकारियों को अनुकूल कार्य माहौल उपलब्ध कराने के लिए संकल्पबद्ध है। उन्होंने बताया कि भ्रष्टाचार रोकथाम अधिनियम, 1988 में सरकार द्वारा हाल में संशोधन किया गया है ताकि यह सुनिश्चित हो कि कोई दोषी व्यक्ति न बचे और साथ-साथ ईमानदार अधिकारियों को सुरक्षा मिले।

डॉ. जितेन्द्र सिंह ने बताया कि सरकार द्वारा आधुनिक टेक्नोलॉजी का उपयोग किया जा रहा है। उन्होंने बताया कि पेंशनभोगियों और आरटीआई दाखिल करने वालों के लिए ऐप विकसित किए गए हैं।

कार्मिक और प्रशिक्षण विभाग के सचिव डॉ. सी. चन्द्रमौली ने कहा कि इस सम्मेलन का आयोजन केन्द्र और राज्य सरकारों के पारस्परिक हित के विषयों पर चर्चा करने के लिए किया गया है। उन्होंने कहा कि केन्द्र और राज्य सरकारें एक-दूसरे के अनुभवों से लाभान्वित हो सकती हैं। उन्होंने कहा कि सम्मेलन का उद्देश्य अखिल भारतीय सेवाओं से संबंधित विषयों पर चर्चा करना और समाधान निकालना है। उन्होंने कहा कि सभी हितधारकों के लाभ के लिए कैडर प्रबंधन का वैज्ञानिक दृष्टिकोण अपनाया जाना चाहिए।

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