उत्तर प्रदेश

करोना के खिलाफ महायुद्द का शंखनाद कारगर साबित हो रही ट्रिपल टी की रणनीति

उतर प्रदेश में करोना महामारी की दूसरी लहर से निपटने के लिए सरकार एक व्यापक रणनीति पर काम कर रही है।इस रणनीति के तहत जहां एक ओर चिकित्सा आक्सीजन जैसी जरुरी चीजे अस्पतालो और अन्य जरुरतमंद लोगों तक पहुंचाने में तकनीक का इस्तेमाल किया जा रहा है, वहीं दूसरी ओर ‘’ट्रिपल टी’’ यानी टेस्ट,ट्रेस और ट्रीट माडल को अपनाकर महामारी के विस्तार को कारगर ढंग से रोका गया है।सच्चाई यह है कि जिस तरीके से कोविड-19 के बढते मामलों के मद्देनजर चिकित्सा आक्सीजन की आवश्यकता पैदा हुई उसका पहले से अनुमान लगा पाना मुश्किल था । गौरतलब है कि भारत दुनिया में चिकित्सा आक्सीजन का एक मुख्य उत्पादक देश है और यह चिकित्सा आक्सीजन का निर्यात भी करता रहा है।अध्ययन के बाद पाया गया कि आक्सीजन होने के बावजूद उसे ज़रुरतमंद लोगों तक पुहंचाने में दिक्कतें आ रही थीं।इसी दिक्कत को दूर करने के लिए प्रदेश सरकार ने इसकी आपूर्ति के डिजिटलीकरण का निर्णय लिया है। लखनऊ में एक कंट्रोल रुम स्थापित कर ट्रकों को जीपीएस सिस्टम से जोड़ा गया है औऱ डैसबोर्ड के जरिये आक्सीज की मांग औऱ पूर्ति के बीच संतुलन बनाने का प्रयास किया जा रहा है।आक्सीजन टैंकरों को लाने वाले ट्रकों को जीपीएस सिस्टम के साथ जोड़ने से उनके रुट और उनके लोकेशन के बारे में पता चलता है।प्रमुख अस्पतालों को भी इस सिस्टम से जोड़ा गया है।आक्सीजन के सुचारु आपूर्ति के लिए हब और स्कोप माडल को अमल में लाया जा रहा है।पूरे प्रदेश को पांच हब में बांटा गया है।ये है
मोदीनगर,आगरा,कानपुर,लखनऊ और वाराणसी जो कि प्राइमरी हब है तथा बरेली और गोरखपुर दूसरे दर्जे के हब के रुप में चिन्हित किये गये है।ये आक्सीजन का एक केंद्र होंगे जहां से आसपास के क्षेत्रों में आक्सीजन पहुचायी जायेगी।लेकिन इस बात का ध्यान रखा जायेगा कि किसी भी सूरत में आक्सीजन पहुंचाने में दस घंटे से ज्यादा का समय न लगे।इन सभी चिन्हित हब में पहले से हवाई अड्डे मौजूद है।खाली टैंकरों को हवाई जहाज और हेलीकाप्टर के ज़रिए आक्सीजन भरने के लिए भेजा जायेगा।उतर प्रदेश को जामनगर,जमशेदपुर,बोकारो,दुर्गापुर और हल्दिया से गैस कोटा आवंटित किया गया है।खाली टैंकर हवाई जहाज और हेलीकाप्टर से भेजने से आपूर्ति चेन में 40 फीसद समय की बचत होगी।भरे हुये टैंकरों को रेलगाडी के माध्यम से इन हबों तक लाया जायेगा। एक रेलगाड़ी कम से कम 80 मीट्रिक टन आक्सीजन हब तक पहुंचायेगी।वहां से ट्रकों के जरिये इन्हें हब के इलाके वाले अस्पतालों तथा अन्य केंद्रो पर भेजा जायेगा। इस रणनीति का असर ये हुआ कि मात्र तीन दिनों के भीतर प्रदेश में आक्सीजन की आपूर्ति चेन बहाल हो गयी ।10 दिन पहले जहां उतर प्रदेश अपने कोटे का ढाई सौ मीट्रिक टन आक्सीजन ही उठा पाता था वहीं अब एक हफ्ते के भीतर 1000 मीट्रिक टन आक्सीजन लाया जा चुका है। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की विशेष पहल पर उतर प्रदेश में 13 जिलों में आक्सीजन प्लांट- पीएसए लगाने का काम जोरशोर से चल रहा है।इसके अलावा केंद्र सरकार ने प्रदेश में 14 संस्थानों के लिए 14 पीएसए प्लांट लगाने की मंजूरी दे दी है।इनमें से पांच लग भी गये है औऱ काम शुर कर दिये है।प्रदेश सरकार ने चार पीएसए प्लांट की खरीद के लिए आदेश जारी कर दिया है।

लखनऊ में स्थापित कंट्रोल रुम से यह जानकारी होती रहेगी कि सिस्टम में जोड़े गये किस अस्पताल को कब और कितनी आक्सीजन की ज़रुरत होगी दूसरी ओर आक्सीजन टैंकरों को ला रहे ट्रकों की भी पूरी जानकारी कंट्रोल रुम को रहेगी। कई बार एसा भी हो सकता है कि ट्रक आक्सीजन टैंकर लेकर किसी और स्टेशन के लिये जा रहा हो लेकिन उसके रुट मे पड़ने वाले किसी अस्पताल को आक्सीजन की तुरंत आवश्यकता पड़ जाये ।एसे में कंट्रोल रुम उस ट्रक को  अस्पताल की ओर मोड़ देगा जिससे अस्पताल के आक्सीजन की ज़रुरत पूरी हो जायेगी।दूसरी ओर जिस स्टेशन के लिए वह ट्रक जा रहा था वहां पर आक्सीजन कैसे पुहंचाये जाये इसका निर्णय भी कंट्रोल रुम ले लेगा और जो ट्रक उसके आसपास होगा उसका आक्सीजन वहां दिलवा देगा।होम आइसोलेशन वाले लोगों को आक्सीजन की मदद पुहंचाने के लिए  ‘यूपी ब्रीथ’ नाम का एक एप लांच किया जा रहा है कोई भी व्यक्ति इसे अपने एड्रायंड फोन पर डाउनलोड कर सकता है।जो भी व्यक्ति ज़रुरत में होगा उसे इस एप पर अपने आक्सीजन की जरुरत को लिखना होगा और साथ ही डाक्टर की पर्ची ,कोविड पासिटव की रिपोर्ट और आधारकार्ड अटैच करना होगा। इसके बाद उस व्यक्ति के आवश्यकताओं की सूचना कंट्रोल रुम को मिल जायेगी और कंट्रोल रुम तुरंत उसी एप के जरिये उसे सूचित करेगा कि वह अपने आसपास के किस सेंटर  पर किस समय पुहंचे।इससे जहां एक ओर चिकित्सा आक्सीजन के कृत्रिम अभाव और कालाबाजारी पर लगाम लगेगी वहीं दूसरी ओर आक्सीजन सेंटरो पर भीड़ को रोका जा सकेगा।जिलाधिकारियों को इस पूरे सिस्टम में मह्त्वपूर्ण भूमिका दी गयी है वो भी इस प्लेटफार्म से जुड़ेंगे और यह सुनिश्चित करेंगे कि अस्पतालों को और होम आइसोलेशन वाले लोगों को आसानी से और समय से आक्सीजन मिल जाये ।

मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ कोविड-19 के प्रसार को लेकर शुरु से ही संवेदनशील रहे है उन्ही की प्रेरणा से ग्रामीण इलाकों में पैर पसारते कोविड-19 संक्रमण को रोकने के लिए त्रिपल टी  यानी टेस्ट,ट्रेस और ट्रीट की नीति अपनायी जा  रही है ।स्वास्थ कार्यकर्ता घर घर जाकर लोगों की जाच कर रहे है।अभी तक प्रदेश के सभी 75 जिलों में 97,941 गांवों में स्वास्थय टीमों ने पहुंचकर जांच का काम पूर कर लिया है।प्रत्येक मानिटरिंग टीम में दो लोग होते है अगर किसी में कोविड-19 के लक्षण पाये जाते है तो उनका वहीं पर रैपिड एंटीजेट टेस्ट कराया जाता है और रिपोर्ट के पाजिटिव आने पर स्वास्थय कार्यकर्ता दवाईयों की एक किट मरीज को दे देते हैं औऱ उसके खाने का तरीका बताते है।प्रत्येक ब्लाक में दो मोबाइल वैन भी जांच के काम में लगायी गयी हैं।1,41,610 स्वास्थय टीमें पूरे प्रदेश में ग्रामीण इलाकों में काम कर रही है।विश्व स्वास्थय संगठन इन्हें आवश्यक प्रशिक्षण दे रहा है।जिन लोगों में लक्षण पाये जाते हैं उन्हें जांच और दवा के बाद अस्पताल में या उनके घर में क्वारन्टीन कर दिया जाता है और जिन लोगों में लक्षण नहीं पाये गये होते हैं उन्हें टीकाकरण के लिये कहा जाता है।सरकार  ने ज़मीनी स्तर पर जो योजना बनायी है उसमें फालो अप को विशेष रुप से महत्व दिया गया है।

इसके अलावा प्रदेश सरकार स्वास्थय के बुनियादी ढांचे को मजबूत बनाने के लिए भी कारगर तरीके से उपाय कर रही है।प्रदेश में इस समय कोविड अस्पतालों में कुल 64,401 आइसोलेशन बेड उपलब्ध है।इनमें से 15323 बेड वेंटिलेटर की सुविधा से युक्त है।एल-1, एल-2, एल-3 अस्पतालों में 79,324 बेड की सुविधा तैयार कर ली गयी है।307 निजी क्षेत्र के अस्पतालों को भी कोविड के काम मे लगाया गया है।डीआरडीओ ने लखनऊ में 500 और वाराणसी में 700 बेड की सुविधा वाले अस्पताल भी शुरु किये है।टीकाकरण पर प्रदेश सरकार विशेष रुप से जोर दे रही है।डेढ लाख के करीब टीके लगाये जा चुके है।इसमें से 1 लाख 11 हजार लोगों को पहली डोज दी गयी है।18 साल से उपर वाले लोंगों को भी इस महीने की पहली तारीख से टीके लगाये जा रहे हैं।18 जिलों में यह व्यवस्था फिलहाल की गयी है।

प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी करोना महामारी को लेकर शुरु से संवेदनशील रहे है उन्होंने एक व्यापक रणीति के तहत करोना के प्रसार को रोकने के लिए देश का मार्गदर्शन किया।प्रधानमंत्री जी ने स्पष्ट रुप से कहा कि मास्क ,दो गज दूरी और बार बार हाथ को धोकर करोना के संक्रमण को रोका जा सकता है ।साथ ही उन्होंने टीकाकरण पर विशेष रुप से जोर दिया है औऱ सभी से आग्रह किया है कि वे टीका अवश्य लगवायें।नीति आयोग ने प्रदेश सरकार की इस नीति कि भूरि भूरि प्रशंसा की है औऱ कहा है कि  जिस तरीके से प्रदेश सरकार गांव गांव जाकर कोविड-19 के सम्बन्ध में टेस्ट,ट्रेस औऱ ट्रीट माडल पर काम कर रही है वह काबिल ए तारीफ है ।

डा. श्रीकांत श्रीवास्तव

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