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संयुक्त् राष्ट्र महासभा (यूएनजीए) ने शांतिपूर्ण सह-अस्तित्व और विकृति की सीमा तक संघर्षों की कोशिश के बीच एक स्पष्ट विकल्प प्रस्तुत किया: उपराष्ट्रंपति

नई दिल्ली: उपराष्‍ट्रपति श्री एम. वेंकैया नायडू ने कहा है कि संयुक्त राष्ट्र महासभा (यूएनजीए) के वर्तमान सत्र ने शांतिपूर्ण सहअस्तित्व और विकृति की सीमा तक संघर्षों की कोशिश के बीच एक स्पष्ट विकल्प प्रस्तुत किया है। उन्‍होंने कहा कि इसने प्रधानमंत्री श्री नरेन्‍द्र मोदी के उच्‍च राजनीतिक विजन और पड़ोसी देश के नेतृत्‍व के बेहद निम्‍न स्‍तरीय रवैये को सामने ला दिया।

नई दिल्‍ली में पादप वैज्ञानिक डॉ. मंजू शर्मा को 20वां लाल बहादुर शास्‍त्री उत्‍कृष्‍टता पुरस्‍कार 2019 प्रदान करने के बाद उपस्थित जन समूह को संबोधित करते हुए श्री नायडू ने भारत द्वारा वर्तमान में जारी 74वें संयुक्‍त राष्‍ट्र महास‍भा के सत्र में मानवता के लिए स्‍थायी शांति एवं विकास हेतु अपने विजन को प्रभावी रूप से प्रस्‍तुत किये जाने पर सराहना की। उन्‍होंने भारत के पड़ोसी देश के बेहद निंदनीय कार्यों के खिलाफ एक दृढ़ और मर्यादित पक्ष लेने के लिए प्रधानमंत्री की प्रशंसा की।

श्री नायडू ने जोर देकर कहा कि आतंकवाद मानवता का दुश्‍मन है और जो आतंक एवं हिंसा को भड़काते हैं, उन्‍हें निश्चित रूप से अलग-थलग किया जाना चाहिए। उन्‍होंने कहा कि भारत अपने पड़ोसी देश की लगातार भड़काऊ कार्रवाइयों के बावजूद शांति के अपने मूल्‍यों पर अडिग बना हुआ है। उन्‍होंने कहा कि उपमहाद्वीप में शांति इसके सभी राष्‍ट्रों की प्रगति के लिए अनिवार्य है।

उन्‍होंने पूर्व प्रधानमंत्री लाल बहादुर शास्‍त्री को उनकी 115वीं जयंती की पूर्व संध्‍या पर श्रद्धांजलि अर्पित की। उन्‍होंने युवाओं से लाल बहादुर शास्‍त्री के जीवन से प्रेरणा लेने की अपील की।

उपराष्‍ट्रपति ने सम्‍मान प्राप्‍त करने के लिए विख्‍यात पादप वैज्ञानिक डॉ. मंजू शर्मा को बधाई दी और कहा कि ऐसा सम्‍मान कई और प्रतिभाशाली महिलाओं को भी वैज्ञानिक शोध करने तथा विज्ञान, प्रौद्योगिकी, नवोन्‍मेषण एवं अनुसंधान में करियर बनाने के लिए प्रेरित करेगा।

इस अवसर पर लाल बहादुर शास्‍त्री प्रबंधन संस्‍थान के अध्‍यक्ष श्री अनिल शास्‍त्री, लाल बहादुर शास्‍त्री प्रबंधन संस्‍थान के निदेशक डॉ. डी.के. श्रीवास्‍तव एवं अन्‍य गणमान्‍य व्‍यक्ति भी उपस्थित थे।

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