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केन्द्रीय शिक्षा मंत्री ने दो दिवसीय वर्चुअल अंतर्राष्ट्रीय अखंड सम्मेलन ‘एडुकॉन- 2020’ का शुभारंभ किया

केन्द्रीय शिक्षा मंत्री श्री रमेश पोखरियाल ‘निशंक’ ने आज वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से दो दिवसीय वर्चुअल अंतर्राष्ट्रीय अखंड सम्मेलन ‘एडुकॉन 2020’ का शुभारम्भ किया। पंजाब केन्द्रीय विश्वविद्यालय, बठिंडा (सीयूपीबी) द्वारा ग्लोबल एजुकेशन रिसर्च एसोसिएशन (जीईआरए) के साथ भागीदारी में और सीयूपीबी के कुलपति प्रो. (डॉ.) राघवेंद्र पी. तिवारी व पद्म श्री डॉ. महेंद्र सोढ़ा (संरक्षक, जीईआरए) के संरक्षण में इस दो दिवसीय अंतर्राष्ट्रीय सम्मेलन का आयोजन किया जा रहा है। एडुकॉन- 2020 का मुख्य विषय ‘वैश्विक शांति को साकार करने को युवाओं में बदलाव के लिए शिक्षा की संकल्पना’है।

केन्द्रीय शिक्षा मंत्री श्री रमेश पोखरियाल ‘निशंक’ ने सम्मेलन के लिए उपयुक्त और प्रासंगिक विषय चुनने के लिए सीयूपीबी की सराहना की। उन्होंने कहा कि दो दिवसीय अखंड सम्मेलन से विश्व भर के शोधकर्ताओं और विद्यार्थियों को संदेश दिया जाएगा कि अनुसंधान 24X7 चलने वाला अभ्यास है और इसके लिए व्यापक दृढ़ता की जरूरत होती है। उन्होंने कहा कि इस अंतर्राष्ट्रीय सम्मेलन से भावी शिक्षकों कोशिक्षा के क्षेत्र में परिवर्तनकारी बदलाव लाने के लिए विभिन्न तकनीकों और उनकी कार्यपद्धति को समझने में सहायता मिलेगी। उन्होंने उम्मीद जताई कि एडुकॉन 2020 के दौरान अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर प्रशंसित वक्ताओं और युवा शोधकर्ताओं द्वारा किए गए विचार-विमर्श एनईपी-2020 के प्रभावी कार्यान्वयन के लिए एक खाका तैयार करने और एक आत्मनिर्भर भारत के निर्माण में योगदान में युवाओं को सक्षम बनाने के लिए उनमें जरूरी कौशल के विकास में निश्चित रूप से महत्वपूर्ण साबित होंगे।

श्री रमेश पोखरियाल ‘निशंक’ ने जोर देकर कहा कि राष्ट्रीय शिक्षा नीति, 2020 सभी पहलुओं के लिहाज से क्रांतिकारी है, क्योंकि इसमें प्राथमिक शिक्षा के स्तर पर मातृभाषा को बढ़ावा देने, माध्यमिक स्तर पर विद्यार्थियों के लिए व्यावसायिक कौशल प्रशिक्षण प्रदान करने और अन्य नवीन सुधारों पर ध्यान केंद्रित किया गया है। उन्होंने कहा कि एनईपी मूल्य आधारित समग्र शिक्षा उपलब्ध कराने के साथ ही सीखने के व्यापक अवसरों के लिए उच्च शिक्षा में अंतर्विषयक अध्ययन और एकीकृत पाठ्यक्रम, युवाओं में वैज्ञानिक मनोवृत्ति के विकास और कौशल प्रशिक्षण दिए जाने पर जोर देती है। उन्होंने कहा कि यह नीति शिक्षण-सीखने की प्रक्रिया में तकनीक के ज्यादा उपयोग का फ्रेमवर्क तैयार करने, ऑनलाइन पाठ्यक्रम सामग्री के विकास, एकेडमिक बैंक ऑफ क्रेडिट्स की पेशकश और नेशनल रिसर्च फाउंडेशन (एनआरएफ) और नेशनल एजुकेशनल टेक्नोलॉजी फोरम (एनईटीएफ) की स्थापना की आवश्यकता पर विचार करती है, जिससे भारतीय छात्रों को वैश्विक स्तर पर प्रतिस्पर्धा करने में सहायता मिलेगी। उन्होंने वैश्विक शांति के विकास के लिए समाज और युवाओं के जीवन में बदलाव के लिए आवश्यक एनईपी- 2020 के सभी नए प्रावधानों के सफल कार्यान्वयन के लिए ‘प्रदर्शन, सुधार और परिवर्तन’ का मंत्र दिया।

अपने उद्घाटन भाषण में सीयूपीबी के कुलपति प्रो. राघवेंद्र पी. तिवारी ने कहा कि सीयूपीबी गुणवत्तापूर्ण उच्च शिक्षा और अत्याधुनिक अनुसंधान के लिए प्रतिबद्ध है, यह सम्मेलन शोधकर्ताओं और शिक्षाविदों को छात्र केन्द्रित राष्ट्रीय शिक्षा नीति- 2020 की सिफारिशों के कार्यान्वयन के लिए रणनीतिक योजना तैयार करने पर अपने विचार साझा करने के लिए एक मंच उपलब्ध कराएगा, जो हमारी भारतीय संस्कृति और मूल्य व्यवस्था में निहित है। उन्होंने बताया कि इस सम्मेलन में वैश्विक दक्षताओं के साथ युवाओं के सशक्तिकरण के द्वारा वैश्विक मानदंड हासिल करने के लिए ‘हमारे राष्ट्र की शिक्षा व्यवस्था’ में बदलाव के उद्देश्य से वैश्विक दृष्टिकोण को ध्यान में रखते हुए एनईपी-2020 के विभिन्न प्रतिमानों पर जोर दिया जाएगा, जिससे प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी के विजन को हकीकत बनाया जा सके। उन्होंने कहा कि सम्मेलन के दौरान होने वाले विचार-विमर्श शिक्षा के क्षेत्र में भारत को विश्व गुरु के रूप में पुनः स्थापित करने के लिए हमारी विरासत और भविष्य की शिक्षा प्रणाली के बीच के अंतर को दूर किया जाएगा।

इस अंतर्राष्ट्रीय सम्मेलन में, यूनाइटेड किंगडम, कनाडा, थाईलैंड, यूएसए, ऑस्ट्रेलिया, भूटान और भारत के छात्र ‘वैश्विक शांति को साकार करने को युवाओं में बदलाव के लिए शिक्षा की संकल्पना’ की मुख्य विषय वस्तु के 10 उप-विषयों पर 31 घंटों तक निरंतर विचार-विमर्श करेंगे। यह सम्मेलन भारत में अपनी तरह का पहला सम्मेलन है, जहां दुनिया भर के छात्र भारत में समान गुणवत्ता वाली शिक्षा को प्रोत्साहन देने के लिए उच्च शिक्षा में आईसीटी के उपयोग की संभावनाओं को तलाशने के लिए 31 घंटों के लिए लगातार मैराथन संवाद सत्रों में भाग लेंगे। इसके साथ ही, 2050 तक उच्च शिक्षा और स्कूली शिक्षा के संभावित परिदृश्य, एसटीईएएम (विज्ञान, प्रौद्योगिकी, इंजीनियरिंग, कला और गणित) शिक्षा के लिए नवीन तकनीकों के विकास, विश्वविद्यालयों में भविष्य की नौकरियों के लिए युवाओं को प्रशिक्षण, भावी स्नातकों के लिए कौशल प्रशिक्षण कार्यक्रम और 21वीं सदी में प्राचीन शिक्षा प्रणाली के औचित्य जैसे शिक्षा में उभरते रुझानों पर विचार-विमर्श के लिए यह सम्मेलन एक मंच भी उपलब्ध कराएगा।

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