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वन धन विकास योजना – तमिलनाडु के तिरुवन्नामलाई जिले के जवाधु हिल्स के जनजातीय लोगों का सशक्तिकरण

जनजातीय आबादी के उत्थान के लिए जमीनी स्तर पर विभिन्न पहलों को सुनिश्चित करने के उद्देश्य से ट्राईफेड के ग्राम संपर्क (विलेज कनेक्ट) पहल के तहत देशभर में ट्राईफेड के अधिकारी समूचे देश के व्यापक जनजातीय आबादी वाले गांवों का दौरा करते रहे हैं। जमीनी स्तर पर उनकी मौजूदगी ने ट्राईफेड के अधिकारियों को न केवल इन कार्यक्रमों के कार्यान्वयन की देखरेख में सहूलियत प्रदान की है, बल्कि उन्हें सफलता की कुछ उल्लेखनीय कहानियों से भी अवगत कराया है।

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इन कार्यक्रमों और पहलों को ट्राईफेड द्वारा आत्मनिर्भर अभियान के तहत भारत को आत्मनिर्भर बनाने के उद्देश्य से लोकल के लिए वोकल बनो, जनजातीय को अपनाओ – मेरा वन मेरा धन मेरा उद्यम के नीति – वाक्य के साथ लागू किया गया है।

सफलता की एक ऐसी ही कहानी तमिलनाडु के तिरुवन्नामलाई जिले के जवाधु हिल्स इलाके में सामने आई है, जहां ‘मैकेनिज्म फॉर मार्केटिंग ऑफ़ माइनर फारेस्ट प्रोड्यूस (एमएफपी)’ के एक घटक के तौर वन धन जनजातीय स्टार्ट-अप कार्यक्रम न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) और एमएफपी के लिए मूल्य श्रृंखला के विकास’ योजना के माध्यम से स्थानीय जनजातीय लोगों के रोजगार का एक प्रमुख स्रोत बनकर उभरा है।

तमिलनाडु के तिरुवन्नामलाई जिले में स्थित जवाधु हिल्स पूर्वी घाट का विस्तार है। इस इलाके में मलयाली जनजातीय लोग कुल आबादी का 92.60 प्रतिशत हैं और उनका मुख्य सहारा गैर-लकड़ी वन उपज और इस भूखंड पर उगने वाले इमली, कटहल, नारियल, नींबू, केला और करौंदा जैसे विभिन्न प्रकार के पेड़ हैं।

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इन जनजातीय लोगों को खुद को सशक्त बनाने और बेहतर अवसरों हासिल करने और बाजार तक पहुंच बनाने में मदद करने के उद्देश्य से वर्ष 2020 में जवाधु हिल्स ट्राइबल फार्मर प्रोड्यूसर कंपनी का गठन किया गया था। यह कंपनी तिरुवन्नामलाई जिला (एसपीवी) के जवाधु हिल्स के गैर-लकड़ी वन उत्पादों एवं कृषि उत्पादों के मूल्य संवर्धन के लिए राज्य संतुलित विकास निधि के अंतर्गत आती है। इस कंपनी का गठन कंपनी अधिनियम, 2013 (2013 का 18) के तहत किया गया है और यह शेयरों द्वारा लिमिटेड है। इसमें किसानों के हित समूहों, उत्पादक समूहों और सामुदायिक स्तर पर गठित स्वयं सहायता समूहों के सदस्य शामिल हैं।

तिरुवन्नामलाई जिला के कलेक्टर थिरु के. एस. कंडासमी ने जवाधु हिल्स ट्राइबल फार्मर प्रोड्यूसर कंपनी को बढ़ावा देने और इसे जनजातीय लोगों के हाथों में सौंपने में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। इस एफपीओ के निदेशकों और प्रमुख प्रबंधकीय व्यक्तियों की पूरी टीम जनजातीय लोगों की है।

एक साल से भी कम समय में  इमली, बाजरा, शहद और काली मिर्च के प्रसंस्करण और पैकेजिंग के लिए इस कंपनी की चार विनिर्माण इकाइयां स्थापित की जा चुकी हैं। जनजातीय लोगों द्वारा चलाई जा रही इन इकाइयों ने नवंबर 2020 में उत्पादन शुरू कर दिया है। इन इकाइयों की दैनिक उत्पादन क्षमता 1 टन है। अब तक, 4 महीने से भी कम समय में,  इस निर्माता कंपनी ने 12 लाख रुपये तक के प्रसंस्कृत उत्पाद बेचे हैं। इस एफपीओ को पहले ही ट्राइब्स इंडिया मार्केटप्लेस में एक विक्रेता के रूप में पंजीकृत किया गया है और वह इस प्लेटफॉर्म के माध्यम से अपने नौ संसाधित उत्पादों को बेच रहा है। इस प्रकार, वह अपने माल के लिए एक व्यापक बाजार हासिल कर रहा है।

कुल 9800 परिवारों द्वारा बाजरा की खेती करने के साथ इस वर्ष कुल 124 टन बाजरा का उत्पादन किया गया है। इसकी खेती में लगभग 17770 किसान शामिल हैं। इस उत्पादक कंपनी से लगभग 17770 बाजरा उत्पादक किसानों को फायदा होगा। कुल 120 स्वयं सहायता समूहों के एक हिस्से के रूप में शहद के उत्पादन में शामिल 2760 सदस्यों के साथ जवाधु हिल्स में प्रति वर्ष 22 टन शहद का उत्पादन होता है। इसलिए, जवाधु हिल्स की यह निर्माता कंपनी 2760 शहद उत्पादकों के जीवन और आजीविका को बेहतर करने को अपना लक्ष्य बना रही है। 9500 परिवार और 300 स्वयं सहायता समूह इमली के उत्पादन और इसकी बिक्री प्रक्रिया में शामिल हैं। इन पहाड़ियों में 90 टन से अधिक इमली का उत्पादन किया जा रहा है।

वर्ष 2020 में ही गठित इस किसान निर्माता कंपनी के अलावा,  इस इलाके के जनजातीय लोग पहले से ही तिरुवन्नामलाई जिले में मौजूद वन धन केंद्रों – जवाधु वीडीवीके, जामुनामराथुर वीडीवीके और कूटटथुर वीडीवीके – के सदस्य थे। ये केन्द्र एफपीओ के तहत चालू हैं। जनजातीय लोग इन वीडीवीके की सहायता से गैर-लकड़ी वन उपजों या लघु वन उपजों के मूल्य संवर्धन और प्रसंस्करण के माध्यम से अपनी आजीविका अर्जित कर रहे हैं।

जवाधु हिल्स निर्माता कंपनी का गठन जनजातीय लोगों के जीवन और उनकी सामाजिक स्थिति में सुधार लाने के उद्देश्य से किया गया है। यह इस बात का एक उदाहरण है कि कैसे एक वन धन जनजातीय स्टार्ट-अप देशभर के जनजातीय लोगों की आजीविका और आय को बेहतर करने में सफल रहा है। इस किस्म के पहलों के जरिए, ट्राईफेड देशभर में जनजातीय परिवेश के संपूर्ण परिवर्तन की दिशा में काम कर रहा है।

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