महिला एवं बाल विकास मंत्रालय महिलाओं और बच्चों के कौशल विकास के लिए कौशल विकास एवं उद्यमिता मंत्रालय के साथ भागीदारी कर रहा है
नई दिल्ली: महिला और बाल विकास तथा कपड़ा मंत्री श्रीमति स्मृति जुबिन ईरानी ने कहा कि महिला और बाल विकास मंत्रालय और कौशल विकास तथा उद्यमिता मंत्रालय भारत की महिलाओं और युवाओं को उन सभी क्षेत्रों में सक्षम और सशक्त बनाने के लिए भागीदारी कर रहे है जहां भारत अपनी छाप छोड़ने में सक्षम है। श्रीमति ईरानी आज नई दिल्ली में महिलाओं और बच्चों के कौशल विकास के लिए नीतिगत ढ़ाचे पर आयोजित राष्ट्रीय सम्मेलन के उद्घाटन सत्र में बोल रही थीं।
केंद्रीय कौशल विकास और उद्यमिता मंत्री श्री महेंद्र नाथ पांडे ने अपने संबोधन में कहा कि भारत का जनसांख्यिकीय लाभांश, देश को विश्व की कौशल राजधानी होने का अवसर प्रदान करता है। देश की 65 प्रतिशत आबादी 29 वर्ष के आयु वर्ग में है। मानव पूंजी मामले में भारत के लाभ का उपयोग करने के लिए कौशल भारत मिशन भारत के युवाओं की आकांक्षाओं और क्षमताओं के साथ रोजगार और उद्यमशीलता के अवसरों को सक्षम करके उत्पादकता लाभांश को भारत के जनसांख्यिकीय लाभ में बदलने की कल्पना करता है।
उन्होंने यह भी कहा कि देश के श्रमबल में महिलाओँ की भागीदारी केवल 17.5 प्रतिशत है इसलिए महिलाओं के सशक्तिकरण के लिए कौशल विकास बहुत महत्वपूर्ण हो जाता है। इसका न केवल बेहतर आर्थिक अवसरों बल्कि सामाजिक मान्यता विश्वास और वित्तीय स्वतंत्रता के साथ भी समग्र और सकारात्मक संबंध है।
औद्योगिक प्रशिक्षण संस्थानों के माध्यम से सरकार के लघु अवधि और दीर्घकालिक दोनों प्रकार के सरकारी कौशल कार्यक्रमों में महिलाओं के साथ भागीदारी के मामले में कोई भेदभाव नहीं किया जाता है। इसलिए हमें महिला प्रतिभागियों के लिए समग्र कौशल पारिस्थितिकी तंत्र को अधिक जवाबदेह और अनुकूल बनाने के लिए समर्पित प्रयास करने की जरूरत है।
छठी आर्थिक जनगणना (2013-14) के अनुसार भारत में 14% या 8.05 मिलियन प्रतिष्ठान महिलाओं के स्वामित्व में थे। विभिन्न अवरोधों को दूर करने के लिए और महिलाओं को अपनी अभिलाषा को आगे बढ़ाने के लिए सुरक्षित और स्वतंत्र महसूस करना चाहिए। भारत सरकार ने स्वास्थ्य सुरक्षा सामाजिक सशक्तीकरण (स्वच्छ विद्यालय, उज्ज्वला के माध्यम से) कामकाजी महिलाओं को वित्तीय प्रोत्साहन और बालिकाओं को शिक्षित करने के लिए समर्पित प्रोत्साहन से संबंधित पहलुओं को शामिल करने के लिए व्यापक दृष्टकोण अपनाया है ताकि महिलाओं को सुरक्षा प्रदान की जा सके।
आर्थिक दृष्टिकोण से यह बाधा महिलाओं द्वारा नौकरी पर व्यतीत किये गये घंटों की संख्या बढ़ाने और उन्हें उच्च उत्पादकता वाले क्षेत्रों में शामिल करके दूर की जा सकती है। जमीनी स्तर पर उपरोक्त सरकारी पहलों के बारे में जागरूक बनाने और लैंगिक समानता आंदोलन को तेज करने हेतु मानसिक स्थिति में परिवर्तन के लिए इन पहलों के कार्यान्वयन में लगातार सुधार करने की जरूरत है। लघु और दीर्घकालिक कौशल के लिए पारिस्थितिकी तंत्र में महिला प्रतिभागियों को उनकी जरूरतों के प्रति अधिक जवाबदेह बनाने के लिए बच्चे की देखभाल की सुविधा प्रदान करने जैसे नवाचारी तरीकों को शामिल किया जाना चाहिए।
हम औद्योगिक क्रांति (आईआर) 4.0 के मध्य में हैं वे अर्थव्यवस्थाएं ही इस क्रांति में सफल होंगी जो मानव पूंजी की पूरी क्षमता का उपयोग करने में सक्षम हैं। भारत के पास अपने मजबूत स्टार्ट-अप पारिस्थितिकी तंत्र और शीर्ष प्रौद्योगिकी क्षेत्र के साथ आईआर 4.0 में एक दिग्गज बनने का अवसर है।
मैकिन्से ग्लोबल इंस्टीट्यूट की एक रिपोर्ट के अनुसार महिलाओं को केवल बराबर के अवसर प्रदान करने से ही देश 2025 तक 770 बिलियन अमरीकी डालर तक अर्जित कर सकता है जो इसके सकल घरेलू उत्पाद से 18 प्रतिशत अधिक है। इसलिए नए युग की अर्थव्यवस्था के लिए उपलब्ध महिला प्रतिभा को दिशा प्रदान करना मानव पूंजी की पूरी क्षमता का उपयोग करने के लिए उचित है। वर्तमान में मोटे तौर पर भारतीय स्टार्टअप उद्योग में लगभग 10% संस्थापक महिलाएं हैं। इसके अलावा भारत में दूसरा सबसे बड़ा आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस कार्यबल है लेकिन इसमें महिलाओं की भूमिका केवल 22 प्रतिशत है।
इस सम्मेलन में महिला एवं बाल विकास, कौशल विकास और उद्यमिता मंत्रालयों के अधिकारी, राज्यों के महिला एवं बाल विकास मंत्रालयों के प्रधान सचिव और अन्य सचिव, औद्योगिक संगठनों और कॉरपोरेट घरानों और संस्थानों के पदाधिकारी भाग ले रहे हैं। इस सम्मेलन में महिलाओं के लिए कौशल और उद्यमशीलता परिदृश्य को मजबूत बनाने, पारंपरिक और गैर-पारंपरिक कौशल को बढ़ावा देने, बाधाओं को दूर करने के लिए सुरक्षित माहौल बनाने, सीसीआई के बच्चों, महिलाओं और विशेष व्यक्तियों के लिए उद्यमशीलता को बढ़ावा देने जैसे मुद्दों पर चर्चा की जाएगी।