उत्तराखंड समाचार

अंगद का पैर नहीं हिला सके लंकेश के योद्धा

ऋषिकेश : श्री रामलीला कमेटी सुभाष बनखंडी की रामलीला में गुरुवार को विभीषण शरणागत, सेतुबंध रामेश्वरम पूजा, रावण-अंगद संवाद तक की लीला का सुंदर मंचन किया गया।

रावण के छोटे भाई विभीषण ने माता सीता को प्रभु श्रीराम को वापस लौटाने और उनसे माफी मांगने का प्रस्ताव रावण को दिया, जिस पर रावण क्रोधित हो जाता है और भरे दरबार में विभीषण को लात मारकर देश से निकाल देता है। वहीं विभीषण भगवान श्रीराम की शरण में चले जाते हैं। जिस पर राम द्वारा विभीषण को लंका का राजा बनाने की घोषणा की जाती है। इसके बाद सेतु बन्ध रामेश्वरम पूजा में श्रीराम ने नल-नील के सहयोग से समुद्र में पत्थरों का पुल बनवाया। श्रीराम द्वारा युद्ध से पूर्व एकबार पुन: रावण को समझाने का प्रयास किया जाता है और दूत के रूप में राजकुमार अंगद को रावण के पास भेजा जाता है। अंगद ने रावण को दरबार में समझाने का प्रयास किया मगर, रावण पर इस शांति प्रस्ताव का कोई असर नहीं हुआ। भगवान श्रीराम की सेना का पराक्रम दिखाने के लिए अंगद भरी सभा में पैर जमाकर योद्धओं को उनका पैर हिलाने की चुनौती दे डालते हैं। मगर श्रीराम के आशीर्वाद से रावण के दरबार का कोई भी योद्धा अंगद का पैर नहीं हिला पाया। जिस पर अंगद ने रावण दरबार में श्रीराम की ओर से युद्ध का ऐलान कर दिया और वापस रामदल में लौट आये।

इस मौके पर निर्देशक मनमीत कुमार, कमेटी के अध्यक्ष विनोद पाल, महामंत्री हरीश तिवाड़ी, सतीश पाल, बालीपाल, सतपाल, दीपक जोशी, राकेश पारछा, सुरेन्द्र कुमार, प्रशांत पाल, हुकम चंद, रोहताश पाल, संदीप त्यागी, संजय शर्मा, अनिल धीमान, राजेश साहनी, अजित प्रसाद, विनीत कुमार, अशोक मौर्य, राजेश दिवाकर, सुनील नेगी, भारतेन्दु शंकर पाण्डेय, राजेश कोहली, मयंक शर्मा, मिलन कुमार, अशुंल, पवन पाल, मनोज गर्ग, ललित शर्मा, सुभाष पाल, संजय शर्मा, पप्पू पाल, आदि मौजूद रहे।

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