सेहत

अस्थमा से डरें नहीं, सही इलाज बना सकता है सेहतमंद

देहरादून : लगातार बढ़ते प्रदूषण, मौसम में बदलाव और शहर की बिगड़ी आबोहवा से सांस संबंधी बीमारियों के मरीजों की संख्या में बढ़ोतरी हुई है। अस्पतालों में लगातार सांस और दमा पीड़ि‍त मरीज पहुंच रहे हैं। डॉक्टर बताते हैं कि इस सीजन में सीओपीडी और अस्थमा से पीड़ि‍त रोगियों की परेशानी बढ़ जाती है। अस्थमा से डरें नहीं, सटीक उपचार से व्यक्ति सेहतमंद रह सकता है।

जोगीवाला स्थित सीआरसी एक्यूपंचर लेजर एंड वेलनेस सेंटर के निदेशक सीनियर एक्यूपंचरिस्ट डॉ. डीपी सिंह का कहना है कि अस्थमा मुख्य रूप से दो प्रकार का होता है। बाह्य दमा बचपन से प्रारंभ होता है और मौसम के बदलाव के समय ज्यादा होता है। आंतरिक दमा मध्य आयु वर्ग के लोगों में पाया जाता है। उन्होंने बताया कि दमा से पीडि़त मरीज को लेजर एक्यूपंचर से ठीक किया जा सकता है।

इस पद्धति में मरीज के कुछ खास हिस्से पर एक्यूपंचर नीडल लगाई जाती है। फिर उन्हें अत्याधुनिक मशीनों के जरिए उत्तेजित किया जाता है। लगभग 30 मिनट उपचार दिया जाता है। इसके बाद लेजर द्वारा 15-20 मिनट का भी उपचार किया जाता है। जिससे श्वास नली में ऐंठन दूर हो जाती है और मरीज की श्वास नली ठीक ढंग से कार्य करने लगती है।

नियमित कुछ  सिटिंग लेने पर मरीज पूर्ण रूप से स्वस्थ हो जाता है। इसके अलावा कैटगैट एक्यूपंचर का भी प्रयोग मरीज पर किया जाता है। डॉ. सिंह ने बताया कि लेजर एक्यूपंचर द्वारा दमा का इलाज पहली दफा सेंटर पर किया जा रहा है।

इन लक्षणों को पहचाने

सांस लेने में परेशानी होना, दम घुटना, सांस लेते समय आवाज होना, सांस फूलना, छाती में कुछ जमा हुआ या भरा हुआ सा महसूस होना, बहुत खांसने पर कफ आना, परिश्रम का काम करते समय सांस फूलना आदि लक्षण दमे के होते हैं।

ये हैं कारण

दमा का कारण वंशानुगत भी माना गया है। दमे के मरीज के परिवार में पहले किसी को यह बीमारी रही हो, तो यह भी एक कारण होता है वर्तमान मरीज के लिए। अनुवांशिकता के अलावा अन्य कारणों में एलर्जिक कारण होते हैं। धुएं व धूल के संपर्क में ज्यादा रहना, रूई, रेशे आदि के बीच काम करना, दमघोंटू माहौल में रहने या काम करने को मजबूर होना, ठंडे माहौल में ज्यादा रहना, ठंडे पेय एवं ठंडी वस्तुओं का सेवन करते रहना, धूम्रपान, प्रदूषण आदि ऐसे कारक हैं जो दमा रोग होने में सहायक होते हैं।

एलर्जी बढ़ने के कारणों से बचें

अस्थमा का इलाज डॉक्टर से कराएं। इलाज के साथ ही इसके बढ़ने के कारणों से बचें, तो ही फायदा हो सकता है। धूमपान न करें, कोई कर रहा हो, तो उससे दूर रहें, ठंड से और ठंडे पेय लेने से बचें, सांस फूलने लगे ऐसा श्रम न करें।

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