इंसेंटिव के लाभ से वंचित रह गईं 25 हजार इंजीनियरिंग एमएसएमई
विदेश व्यापार नीति की मध्यावधि समीक्षा में मर्चेडाइज एक्सपोर्ट्स फ्रॉम इंडिया (एमईआइएस) स्कीम के तहत इंसेंटिव में वृद्धि के लाभ से करीब 25 हजार छोटे और मझोले उद्यमी वंचित रह गए हैं। इंजीनियरिंग एक्सपोर्ट प्रमोशन काउंसिल (ईईपीसी) का कहना है कि इंजीनियरिंग क्षेत्र में श्रम आधारित उद्योगों से जुड़ी ये यूनिटें स्कीम का लाभ नहीं उठा पाएंगी। काउंसिल ने अपनी इस चिंता से वाणिज्य मंत्रालय को भी अवगत करा दिया है।
वाणिज्य एवं उद्योग राज्य मंत्री सीआर चौधरी को लिखे पत्र में ईईपीसी के चेयरमैन टीएस भसीन ने कहा है कि ये इकाइयां पूरी तरह श्रम आधारित हैं। सभी अति लघु, लघु और मझोले उद्यमों की श्रेणी (एमएसएमई) में आती हैं। की मध्यावधि समीक्षा में एमईआइएस के तहत मिलने वाले प्रोत्साहन यानी इंसेंटिव में दो फीसद की वृद्धि की है। निर्यातकों को इस एलान के जरिये आठ हजार करोड़ रुपये से अधिक का लाभ मिला है। इस बारे में ईईपीसी का कहना है कि इससे इंजीनियरिंग क्षेत्र के एमएसएमई को स्कीम का फायदा नहीं मिल रहा है। खासतौर पर कृषि व बागबानी क्षेत्र की मशीनरी बनाने वाली यूनिटों, हैंडटूल, साइकिल इंडस्ट्री से जुड़ी इकाइयों को इसका नुकसान उठाना पड़ेगा।
ईईपीसी के चेयरमैन ने पत्र में कहा है कि हमारे क्षेत्र की यूनिटें की मध्यावधि समीक्षा के दायरे से बाहर रह गई हैं। यही वजह है कि इन्हें प्रोत्साहन का लाभ पाने वाली यूनिटों मंइ शामिल नहीं किया जा सका है। भसीन ने वाणिज्य राज्य मंत्री से हस्तक्षेप कर इस विसंगति को दूर कराने का आग्रह किया है। जल्द ही इंजीनियरिंग क्षेत्र के संगठनों की शीर्ष संस्था मंत्रालय से मुलाकात कर अपनी चिंताओं को सरकार के समक्ष रखेगी।
ईईपीसी का कहना है कि की मध्यावधि समीक्षा ने इंजीनियरिंग निर्यात क्षेत्र को निराश किया है। खासतौर पर एमएसएमई क्षेत्र की दृष्टि से। ईईपीसी के 60 फीसद से अधिक सदस्य एमएसएमई क्षेत्र के हैं। इंजीनियरिंग उद्योग की तरफ से उपलब्ध कराए जा रहे रोजगार में इनकी हिस्सेदारी 30 फीसद है। यही नहीं, संगठित क्षेत्र की कुल इकाइयों में इंजीनियरिंग क्षेत्र की एमएसएमई यूनिटों की हिस्सेदारी 27 फीसद है। इंजीनियरिंग सेक्टर के केवल कुछ ही उत्पादों को एमईआइएस का लाभ मिल पाया है, जबकि कुल इंजीनियरिंग उत्पादों की संख्या 3,000 से भी अधिक है।