उत्तराखंड समाचार

उत्तराखंड में भाजपाइयों पर दर्ज मुकदमें होंगे वापस, इन नेताओं को मिलेगी राहत

मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने राजनीतिक कारणों से भाजपाइयों पर दर्ज मुकदमें वापस लेने की घोषणा की है। उन्होंने कहा कि कार्यकर्ताओं की ओर से फर्जी और राजनीति के चलते मुकदमें दायर किए जाने की जानकारी दिए जाने के बाद यह निर्णय लिया गया। इसका संज्ञान लेते हुए उन्होंने इन मुकदमों को वापस लेने का फैसला किया है।

भाजपा महानगर के कार्यक्रम में मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत के इस ऐलान से भाजपा कार्यकर्ताओं में खासा उत्साह है। देखा जाए तो भाजपा सरकार का यह कदम अप्रत्याशित भी नहीं है। अमूमन हर सरकार अपने कार्यकर्ताओं से इस तरह के मुकदमें वापस लेती रही है। पूर्ववर्ती कांग्रेस सरकार ने भी अपने पांच साल के कार्यकाल में दर्जनों ऐसे मुकदमें वापस लिए। यहां तक कि आचार संहिता लगने तक यह सिलसिला जारी रहा।

मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत के मामले में यह बात थोड़ी अलग इसलिए है कि उन्होंने सार्वजनिक मंच से इस बात को कहा है। उनके इस ऐलान से भाजपा के कुछ विधायकों को विशेष राहत मिलने की उम्मीद है। इनमें कैबिनेट मंत्री अरविंद पांडे, विधायक राजकुमार ठुकराल, पूरण सिंह फर्तयाल व गणेश जोशी प्रमुख हैं।

कैबिनेट मंत्री व गदरपुर विधायक अरविंद पांडे पर कई मुकदमें दर्ज हैं। अंतिम मुकदमा 2015 में नायाब तहसीलदार से मारपीट करने का दर्ज हुआ था। वे इस मामले में कई दिन जेल भी रहे। उन्होंने तब इस मामले को राजनीतिक साजिश करार दिया था।

रुद्रपुर विधायक राजकुमार ठुकराल पर दो अक्टूबर 2011 में दंगा भड़काने समेत अन्य धाराओं पर मुकदमा दर्ज हुआ था। आरोप लगाया गया कि राजनीतिक साजिश के तहत सात माह बाद यह मुकदमा दर्ज हुआ। वर्ष 2013 में उनके घर की कुर्की की गई।

इसके बाद भाजपा ने इस मामले को सदन में उठाते हुए जमकर हंगामा भी काटा। तत्कालीन मुख्यमंत्री हरीश रावत की ओर से आश्वासन देने के बावजूद इस पर कोई कार्यवाही नहीं हुई।

विधायक मसूरी गणेश जोशी पर भी मार्च 2016 में घोड़े शक्तिमान की टांग तोड़ने के आरोप में मुकदमा दर्ज किया गया था। इसके कुछ दिनों बाद उनकी गिरफ्तारी भी की गई। इस मामले में विधायक गणेश जोशी खुद को निर्दोष बताते रहे। उनका कहना था कि उन्होंने घोड़े को डंडा नहीं मारा, केवल लाठी जमीन पर फटकारी थी। राजनीतिक साजिश के तहत उन्हें फंसाया गया।

लोहाघाट विधायक पूरण सिंह फर्तयाल पर वर्ष 2014 में जिला पंचायत चुनाव के दौरान डीएम दफ्तर में तोड़फोड़ व नेशनल हाइवे जाम करने के मामले में मुकदमा दर्ज किया गया था। उन्हें भी जेल हुई थी। उनसे दो मुकदमे वापस ले लिए गए हैं जबकि तीसरे मुकदमे की वापसी की कार्यवाही चल रही है।

गृह सचिव विनोद शर्मा के मुताबिक शासन को इस संबंध में जो भी निर्देश मिलेंगे, उसके अनुरूप कार्यवाही की जाएगी।

आसान नहीं होगी मुकदमे वापसी

मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने भले ही मुकदमा वापस लेने का ऐलान कर दिया है, लेकिन इसमें अभी वक्त लगेगा। दरअसल, जिस भी कार्यकर्ता के खिलाफ मुकदमा दर्ज होगा, वह मुकदमा वापसी के लिए शासन में आवेदन करेगा। शासन इस पर पत्रावली बनाकर मुख्यमंत्री से अनुमति प्राप्त करेगा।

इसके बाद शासन इस मामले को संबंधित जिलाधिकारी और शासकीय अधिवक्ता से मुकदमा वापसी को पत्र लिखेगा। इस पर अंतिम निर्णय कोर्ट ही लेगा। इसमें अहम यह है कि मुकदमा वापसी का आधार जनहित से जुड़ा होना चाहिए

 

Related Articles

Back to top button