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उप्र व उत्तराखंड के बीच कार्मिकों के आवंटन का फैसला दिसंबर में

देहरादून : सचिवालय में इन दिनों उत्तर प्रदेश से कार्मिकों के वापस आने की चर्चाओं से माहौल गरमा रहा है। इससे सबसे ज्यादा बैचेनी उन कार्मिकों में है जिनकी वरिष्ठता प्रभावित होने की आशंका है। इस कारण ये कर्मचारी लगातार पुनर्गठन विभाग से इन कार्मिकों के संबंध में जानकारी ले रहे हैं। इस संबंध में अंतिम फैसला केंद्र सरकार लेगी। इसके लिए दिसंबर में बैठक भी प्रस्तावित है।

राज्य गठन के बाद उत्तर प्रदेश सचिवालय के कर्मचारियों को उत्तराखंड सचिवालय संवर्ग आवंटित किया गया था। इसके लिए दो प्रकार से प्रक्रिया अपनाई गई। पहली श्रेणी में उन कर्मचारियों को उत्तराखंड भेजा गया जो स्वेच्छा से यहां आना चाहते थे। इसके लिए उन्हें कुछ लाभ भी दिए गए। दूसरी श्रेणी में वे कर्मचारी शामिल थे जिन्हें ज्वाइनिंग के आधार पर उत्तराखंड सचिवालय भेजा गया।

स्वेच्छा से उत्तराखंड आने वाले अधिकारी कर्मचारी तो पहली ही खेप में यहां आ गए थे लेकिन जिन्हें बाद में उत्तराखंड आवंटित किया गया, उनमें से कई कर्मचारी कोर्ट चले गए थे। इनमें से कई कर्मचारी यहां नहीं आए। कुछ समय पहले अंतिम आवंटन के आधार पर कर्मचारियों को उत्तराखंड व उत्तर प्रदेश जाने का मौका दिया गया।

अब उत्तरप्रदेश सचिवालय में लंबा समय गुजार चुके कई कार्मिक उत्तराखंड वापसी को तैयार हैं। इसका एक कारण यह भी बताया जा रहा है कि उत्तर प्रदेश में ये कार्मिक अभी निचले पदों पर हैं और इनके साथ भर्ती हुए कर्मचारी उत्तराखंड में अनुसचिव व उप सचिव पद तक पहुंच चुके हैं। सेवानिवृत्ति निकट देख ऐसे कार्मिकों ने लखनऊ स्थित पुनर्गठन कार्यालय में अपना प्रत्यावेदन प्रस्तुत किया है। यदि ये कर्मचारी उत्तराखंड आते हैं तो फिर कई संवर्गों की वरिष्ठता सूची प्रभावित होनी तय है।

इससे निकट भविष्य में पदोन्नति की राह देख रहे कर्मचारियों के अरमान धरे के धरे रह सकते हैं। सूत्रों की मानें तो इस समय पुनर्गठन विभाग लखनऊ में इस प्रकार के लगातार पांच से दस आवेदन आ रहे हैं। इस संबंध में अंतिम निर्णय केंद्र सरकार को लेना है। इसके लिए दिसंबर में बैठक भी प्रस्तावित है।

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