किसाऊ प्रोजेक्ट के अनुदान प्रस्ताव पर केंद्र सरकार लेगी फैसला
देहरादून : देहरादून जिले में टौंस नदी पर प्रस्तावित उत्तराखंड-हिमाचल की संयुक्त किसाऊ परियोजना (660 मेगावाट) में विद्युत गृह निर्माण के लिए 90 फीसद धनराशि (अनुदान) केंद्र से मिलने का प्रस्ताव कैबिनेट में आएगा। प्रधानमंत्री कार्यालय (पीएमओ) से इसके लिए पहले ही रजामंदी मिल चुकी है। केंद्रीय जल संसाधन मंत्रालय को इसे कैबिनेट में भेजना है। पावर कंपोनेंट का पैसा मिला तो उत्तराखंड पर पडऩे वाला आर्थिक बोझ कम हो जाएगा, साथ ही इस परियोजना से उत्पादित बिजली का टैरिफ भी कम होगा।
उत्तराखंड विद्युत नियामक आयोग (यूईआरसी) अध्यक्ष सुभाष कुमार ने बताया कि कुछ दिन पहले वह केंद्रीय कैबिनेट सचिव से मिले थे और इस मुद्दे पर विस्तार से चर्चा हुई। उन्होंने जल्द ही पावर कंपोनेंट को लेकर निर्णय करने का भरोसा दिया है।
किसाऊ 80 के दशक की परियोजना है, लेकिन तमाम कारणों से इसका निर्माण शुरू नहीं हो सका। वर्ष 2008 में केंद्र सरकार ने इसे राष्ट्रीय परियोजना घोषित किया था। इससे उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड, हरियाणा, दिल्ली, राजस्थान, हिमाचल राजस्थान को पानी मिलेगा। जबकि इससे उत्पादित बिजली पर उत्तराखंड और हिमाचल का बराबर अधिकार होगा।
किसाऊ परियोजना पर कुल 7193 करोड़ रुपये (अनुमानित) खर्च होंगे। वाटर कंपोनेंट में 90 फीसद धनराशि केंद्र देगा, जबकि 10 फीसद धनराशि लाभान्वित राज्य अपनी-अपनी हिस्सेदारी के अनुरूप खर्च करेंगे। पावर कंपोनेंट का खर्च दोनों राज्यों को ही अपने संसाधनों से करने की बात है, पर हिमाचल शुरू से ही केंद्र से अनुदान की मांग कर रहा है और इसके बिना काम शुरू करने को राजी भी नहीं है। हिमाचल का कहना है कि परियोजना निर्माण में नौ गांव डूब रहे हैं और उनके पास सरप्लस पावर है।
किस राज्य को कितना पानी
राज्य, पानी (प्रतिशत में)
हरियाणा, 47.82
दिल्ली, 6.04
हिमाचल, 3.15
राजस्थान, 9.34
उत्तर प्रदेश-उत्तराखंड, 33.75
अनुमानित खर्च
वाटर कंपोनेंट, 4000 करोड़
पावर कंपोनेंट, 3200 करोड़