उत्तर प्रदेश

किसानों एवं भूमिहीन लोगों को रेशम उद्योग से जोड़ा जायेगा और उन्हें सब्सिडी भी दी जायेगी: सत्यदेव पचैरी

लखनऊ: केन्द्रीय वस्त्र उद्योग राज्यमंत्री श्री अजय टम्टा ने कहा कि उत्तर प्रदेश में रेशम उद्योग को बढ़ावा देने लिए लखनऊ में रिसर्च इन्स्टीट्यूट की स्थापना कराई जायेगी।  इससे कृषकों की दिक्कतें दूर होंगी और कई गुना रेशम का उत्पादन भी बढ़ेगा। साथ ही आस-पास के राज्यों के रेशम उत्पादकों को भी इसका लाभ मिलेगा।

श्री टम्टा ने यह घोषणा आज गन्ना किसान संस्थान में आयोजित सिल्क समग्र कार्यशाला एवं पं0 दीनदयाल उपाध्याय रेशम पुरस्कार वितरण कार्यक्रम में की। उन्होंने कहा कि भारत सरकार द्वारा वाराणसी में क्षेत्रीय रेशम शोध केन्द्र की स्थापना कराई जा रही है। केन्द्र सरकार उत्तर प्रदेश में रेशम उद्योग को बढ़ावा देने के लिए हर सम्भव मदद देगी। उन्होंने कहा कि शिल्पकार, गरीब तथा कमजोर लोगों से इस उद्योग से जोड़कर सम्पन्न बनाया जा सकता है। घर में बने सिल्क की देश-दुनियां में पहचान हो, इसके लिए आवश्यक कदम उठाये जा रहे हैं। उन्होंने कहा कि वर्तमान में 32 हजार मीट्रिक टन सिल्क का उत्पादन देश में हो रहा है। इसे बढ़ाकर 38 हजार मीट्रिक टन किया जायेगा।

उत्तर प्रदेश के रेशम उद्योग मंत्री श्री सत्यदेव पचैरी ने कहा कि रेशम कैश क्राप व्यवसाय है। इस उद्योग से जुड़ कर किसान अपनी आय बढ़ा सकते हैं। प्रदेश में रेशम उत्पादन 50 फीसदी और बढ़ाने के लिए कार्ययोजना तैयार कराई जा रही है। अधिक से अधिक किसानों एवं भूमिहीन लोगों को इस व्यवसाय से जोड़ जायेगा और उन्हें सब्सिडी भी दी जायेगी। उन्होंने कहा की उत्तर प्रदेश को रेशम उत्पादन में आत्मनिर्भर बनाने के लिए हर सम्भव कदम उठाये जायेंगे।

श्री पचैरी ने कहा कि प्रदेश में रेशम कीटपालन के माध्यम से सुदूर ग्रामीण क्षेत्रों के अन्तर्गत घरेलू परिवेश में स्वरोजगार सुलभ कराने, कृषकों को नवविकसित उन्नत तकनीकों से परिचित कराने तथा विभिन्न स्टेक होल्डरों से समन्वय स्थापित कराने के उद्देश्य से केन्द्रीय रेशम बोर्ड, भारत सरकार द्वारा प्रदेश में प्रथम बार सिल्क समग्र कार्यशाला का आयोजन किया गया है। उन्होंने कहा कि इस कार्यशाला के आयोजन से अवश्य ही रेशम उत्पादकों को लाभ मिलेगा।

श्री के0एम0 हनुमंथरायप्पा अध्यक्ष, केन्द्रीय रेशम बोर्ड ने कहा कि रेशम का व्यवसाय उत्तर प्रदेश के किसानों के लिए बहुत ही लाभप्रद है। यहां की जलवायु इस व्यवसाय के अनुकूल है। इसलिए तरह-तरह वेरायटी के रेशम का उत्पादन किया जा सकता है। उन्होंने कहा कि कर्नाटक में देश का 60 फीसदी रेशम उत्पादन होता है। उत्तर प्रदेश में रेशम उत्पादन बढ़ाने की आवश्यकता है। जब उत्पादन बढ़ेगा, तब किसानों की आय में भी इजाफा होगा। साथ ही विदेशी निर्भरता भी घटेगी।

अपर मुख्य सचिव, श्री रमा रमण ने रेशम विभाग द्वारा संचालित योजना का प्रस्तुतिकरण दिया। उन्होंने बताया कि 25000 कृषक परिवार इस व्यवसाय से जुड़े है। प्रदेश में जल्द ही धागाकरण इकाई लगाकर धागे का निर्माण कराया जायेगा। साथ ही अगले साल 02 करोड़ शहतूत आदि का वृक्षारोपण भी कराने का लक्ष्य निर्धारित किया गया है।

इस अवसर पर रेशम उत्पादन के क्रिया-कलापों से संबंधित रेशम वीथिका पुस्तिका का विमोचन किया गया। प्रतिस्पर्धा के माध्यम से चुने गये सर्वोत्कृष्ट 50 रेशम उत्पादों को पं0 दीनदयाल उपाध्याय रेशम पुरस्कार से पुरस्कृत किया गया। पुरस्कार स्वरूप उन्हें 11000 रुपये, अंगवस्त्र एवं प्रशस्ति-पत्र देकर सम्मानित किया गया। जिसमें बहराइच की श्रीमती गीता, सोनभद्र के श्री शिवशरन एवं जनपद चित्रकूट के श्री राम मिलन प्रथम स्थान पर रहे।

इससे पूर्व मुख्य अतिथियों द्वारा गन्ना किसान संस्थान में लगी रेशम उत्पादन की सजीव प्रदर्शनी का उद्घाटन एवं अवलोकन किया गया। साथ ही रेशम व्यवसाय को बढ़ाने के लिए विभिन्न तकनीकी सत्रों का भी आयोजन किया गया। तकनीकी सत्र में कृषकों की आय दोगुना किये जाने के सम्बन्ध में रेशम उत्पादन की भूमिका पर केन्द्रीय रेशम बोर्ड तथा रेशम विभाग के वरिष्ठ अधिकारियों द्वारा प्रकाश डालते हुए संचालित योजनाओं से लाभ प्राप्त किये जाने के सम्बन्ध में अवगत कराया गया। साथ ही लाभार्थियों द्वारा उठायी गयी समस्याओं का निराकरण संतोषजनक रूप निराकरण भी किया गया।

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