राजनीति

केंद्र से जाति आधारित जनगणना की मांग को लेकर आंध्र प्रदेश विधानसभा में प्रस्ताव पारित

आंध्र प्रदेश विधानसभा ने एक प्रस्ताव पारित करके केंद्र सरकार से पिछड़े वर्गों की जाति आधारित जनगणना करने का अनुरोध किया है। बता दें कि समाजवादी पार्टी, राष्ट्रीय जनता दल, जनता दल यूनाइटेड सहित विभिन्न दलों ने जाति आधारित जनगणना की मांग उठाई है। इसे लेकर तेलंगाना विधानसभा में भी प्रस्ताव पारित हो चुका है। संसद के मानसून सत्र के दौरान संविधान (127वां संशोधन) विधेयक, 2021 पर बहस में कई विपक्षी सदस्यों की जाति-आधारित जनगणना की मांग को लेकर व्यापक भागीदारी देखी गई। अब कुछ ही दिनों में संसद का शीतकालिन सत्र शुरू होने वाला है। इस बीच आंध्र के विधानसभा में यह प्रस्ताव पारित हुआ है।

नीतीश कुमार के नेतृत्व में 10 दलों के प्रतिनिधिमंडल ने की थी पीएम मोदी से मुलाकात

23 अगस्त को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के साथ बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के नेतृत्व में 10 दलों के प्रतिनिधिमंडल की जाति आधारित जनगणना पर चर्चा करने के लिए दिल्ली में एक बैठक हुई थी। समाजवादी पार्टी के नेता अखिलेश यादव और कई अन्य विपक्षी सदस्यों द्वारा जाति आधारित जनगणना की मांग की गई है। भाजपा के कुछ सहयोगियों ने ऐसी मांग की है।आंध्र प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री और तेलुगु देशम पार्टी (टीडीपी) के प्रमुख एन चंद्रबाबू नायडू भी प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को पत्र लिखकर पिछड़े वर्गों (बीसी) के विकास को सुनिश्चित करने के लिए जनगणना गणना में जाति के आंकड़ों को शामिल करने का अनुरोध किया था।

पिछड़े वर्गों की जनगणना ‘प्रशासनिक रूप से कठिन’: केंद्र

केंद्र सरकार ने सितंबर में सुप्रीम कोर्ट में एक हलफनामा प्रस्तुत करते हुए कहा था कि पिछड़े वर्गों की जनगणना ‘प्रशासनिक रूप से कठिन’ है । केंद्र ने सुप्रीम कोर्ट में एक हलफनामे में कहा कि 2011 में हुई जनगणना सामाजिक-आर्थिक और जाति आधारित जनगणना के आंकड़ों में गलतियों और अवास्तविक सूचनाओं की भरमार थी। केंद्र सरकार का हलफनामा 2011-2013 में केंद्र द्वारा एकत्र किए गए ओबीसी के जनगणना के आंकड़ों को साझा करने के लिए महाराष्ट्र सरकार की याचिका पर दायर किया गया था।

 

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