उत्तराखंड समाचार

खत्म होगा इंतजार, उत्तराखंड क्रिकेट को मान्यता की उम्मीद

सुप्रीम कोर्ट के निर्देश पर त्तराखंड को बोर्ड के चुनाव में वोटिंग का अधिकार तो मिला ही, साथ में बोर्ड से मान्यता मिलने की उम्मीद भी जगी है।

देहरादून, [जेएनएन]: क्रिकेट के क्षेत्र में उत्तराखंड का 16 साल का इंतजार अब खत्म होता नजर आ रहा है। सुप्रीम कोर्ट के निर्देश पर बीसीसीआइ के संचालन को नियुक्त प्रशासकों की समिति (सीओए) ने पूर्वोत्तर राज्यों सहित उत्तराखंड को भी बोर्ड की पूर्णकालिक सदस्यता दी है। इससे उत्तराखंड को बोर्ड के चुनाव में वोटिंग का अधिकार तो मिला ही, साथ में बोर्ड से मान्यता मिलने की उम्मीद भी जगी है।

यह जरूर है कि मान्यता के लिए गुटबाजी में उलझी सूबे की एसोसिएशनों को एक मंच पर आना होगा। सीओए के इस निर्णय के बाद एसोसिएशनों ने भी जल्द मान्यता मिलने की उम्मीद जताई है, लेकिन उनके सुर अभी भी जुदा नजर आ रहे हैं।

क्रिकेट में भ्रष्टाचार व मठाधीशी खत्म करने और खेल को पारदर्शी बनाने के लिए सीओए ने लोढ़ा समिति की सिफारिशों के मुताबिक बीसीसीआइ का नया संविधान बनाया है।

इसके अनुसार न सिर्फ पदाधिकारियों की जिम्मेदारी तय की गई बल्कि खेल में राजनीतिक दखलंदाजी का सफाया किया गया है। साथ ही पदाधिकारियों के कार्यकाल और उम्र सीमा भी तय कर दी गई।

उत्तराखंड की बात करें तो राज्य गठन के बाद से यहां की तीन-चार एसोसिएशन बोर्ड से मान्यता का दावा कर रही हैं। एसोसिएशनों की आपसी गुटबाजी के चलते अभी तक उत्तराखंड को मान्यता नहीं मिल पाई। जिससे यहां के प्रतिभावान क्रिकेटरों का भविष्य अधर में लटक गया।

बोर्ड ने उत्तराखंड की मान्यता का मामला एफिलिएशन कमेटी के सुपुर्द कर इसे सुलझाने का प्रयास किया। जुलाई 2016 में एफिलिएशन के सदस्य अंशुमन गायकवाड़ व प्रकाश दीक्षित ने देहरादून में सभी एसोसिएशनों को बुलाकर उनका पक्ष जाना। सभी ने अपने-अपने दावे पेश किए।

तब अंशुमन गायकवाड़ व प्रकाश दीक्षित ने एसोसिएशनों को प्रदेश की क्रिकेट की बेहतरी के लिए एकजुट होकर मान्यता लेने की बात कही, लेकिन कोई भी आगे नहीं आया।

अब सीओए ने सूबे को पूर्ण सदस्य का दर्जा देकर साफ कर दिया है कि उत्तराखंड को जल्द ही मान्यता मिल जाएगी। बशर्ते, यहां की एसोसिएशनें गुटबाजी छोड़ एकजुट होकर मान्यता का दावा करें। बावजूद इसके एसोसिएशनों के सुर अलग-अलग हैं।

अगर एसोसिएशन एक मंच पर नहीं आती हैं तो उत्तराखंड फिर पिछड़ जाएगा। हालांकि, यह भी संभव है कि प्रशासकों की समिति एसोसिएशनों के दावों को दरकिनार कर अपनी निगरानी में उत्तराखंड की बॉडी का गठन कर दे।

बोर्ड का फैसला होगा स्वीकार 

क्रिकेट एसोसिएशन ऑफ उत्तराखंड के सचिव पीसी वर्मा के अनुसार

पूर्ण सदस्य का दर्जा मिलने से क्रिकेटरों की राह खुली है। जहां तक मान्यता का मामला है तो हम एकजुट होने को तैयार हैं। खिलाड़ियों के भविष्य के लिए बोर्ड जिसे भी मान्यता दे हमें स्वीकार होगा।

एकजुटता को तैयार 

यूनाइटेड क्रिकेट एसोसिएशन ऑफ उत्तराखंड के संरक्षक राजेंद्र पाल के अनुसार अब चूक गए तो फिर कभी मान्यता नहीं मिल पाएगी। सीओए हमें बुलाए इससे पहले हम सभी को आगे बढ़कर पहल करनी होगी। हम एकजुट होने को तैयार हैं, इसमें औरों को भी आगे आना होगा।

बातचीत में कोई एतराज नहीं 

उत्तरांचल क्रिकेट एसोसिएशन के सचिव चंद्रकांत आर्य के मुताबिक यह साफ हो गया है कि कुछ ही समय में उत्तराखंड को मान्यता मिल जाएगी। हमारा दावा सबसे मजबूत है। हमारी स्टेट बॉडी काम कर रही है। अगर अन्य एसोसिएशन बातचीत करने आगे आती हैं तो हमें कोई एतराज नहीं।

 

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