जांच में हुई सहकारी समिति में करोड़ों के घपले की पुष्टि
देहरादून : उत्तराखंड सहकारी समितियां व उससे जुड़े प्रतिष्ठानों में करोड़ों के घपले की पुष्टि हुई है। चार सदस्यीय जांच कमेटी ने बिंदुवार जांच रिपोर्ट तैयार कर निबंधक को कार्रवाई की संस्तुति दे दी है। जांच कमेटी ने हल्द्वानी से लेकर दून तक समिति के भीतर कई तरह की गड़बड़यां पाई।
निबंधक सहकारी समितियां उत्तराखंड ने राज्य सहकारी संघ लिमिटेड, सोयाबीन फैक्ट्री हल्दूचौड़ व सीडीएफ रानीखेत में व्याप्त अनियमितताओं की शिकायत मिली थी। इस पर समिति के एक्ट 2003 की धारा-66 के तहत उप निबंधक एमपी त्रिपाठी के नेतृत्व में चार सदस्यीय कमेटी को जांच सौंपी।
कमेटी ने करीब एक माह तक अलग-अलग मामलों की जांच की। जांच में पता चला कि संघ की प्रबंध कमेटी व उससे जुड़ी समितियों ने नियमों का पालन न कर गंभीर अनियमितता की है।
ड्रग फैक्ट्री की 17 करोड़ कमाई कमीशन में बांटी
को-ऑपरेटिव ड्रग फैक्ट्री रानीखेत में 2004 से 2016 तक 38 कंपनियों के साथ दवा आपूर्ति का अनुबंध हुआ। इन कंपनियों को 30 से 45 प्रतिशत कमीशन देकर करीब 17 करोड़ 85 लाख रुपये का नुकसान उठाया गया। इस मामले में ऑडिट में आपत्ति के बाद भी यह काम जारी रखा गया।
यह काम किसी सरकारी संस्था द्वारा या स्वयं किया जाता तो इसका लाभ फैक्ट्री को मिलता। इसी तरह उत्तराखंड स्टेट को-ऑपरेटिव मेडिसिन्स एवं फार्मास्यूटिकल्स लि. हल्दूचौड़ को 47 लाख 92 हजार का भुगतान भी कमीशन में गंवाया गया। कमेटी ने सरकारी संस्थाओं और संघ को सीधा आर्थिक नुकसान पहुंचाने की पुष्टी की है।
सिर्फ चुनाव जीतने को समितियों का पंजीकरण
संघ की सदस्यता की जांच में यह बात सामने आई कि 160 समितियां पंजीकृत की गई। इसमें जिला सहकारी संघ, केंद्रीय सहकारी समितियां और क्रय-विक्रय समितियां शामिल हैं। मगर किसी भी समिति ने पंजीकरण के मानकों को पूरा नहीं किया है।
कमेटी ने जांच में तर्क दिया कि ये समितियां मात्र संघ के संचालक मंडल के चुनाव को प्रभावित करने के लिए बनाई गई हैं। ऐसी समितियां सदस्यता में भी अर्हता नहीं रखती हैं। 97 समितियों को पूरी तरह से नियम विरुद्ध बताया गया। इसके उलट प्रारंभिक कृषि ऋण सहकारी समितियों के माध्यम से उर्वरक, बीज, कृषि रक्षा रसायन का व्यवसाय किया जाता है। मगर, इनको संघ की सदस्यता प्रदान नहीं की गई हैं।
भवन, कार नीलामी और बोरों में भी घपला
संघ ने मिलरों और समितियों को बारदाना के रूप में एक लाख बोरे दिए। इनका भुगतान भी किया गया। मगर, इसका कोई लेखा-जोखा नहीं रखा गया। कुछ इसी तरह सोयाबीन प्लांट हल्दूचौड़ में प्लांट, मशीन, स्क्रैप की बिक्री, एंबेस्डर कार को नीलाम कर दिया। जबकि कार का हर साल बीमा किया जा रहा था। कंडम दिखाकर कार नीलामी में गड़बड़ी की गई।
सरकारी विभागों को स्टेशनरी आपूर्ति, दून में 22 करोड़ की लागत से तैयार भवन में भी गड़बड़ी सामने आई है। इसके अलावा अंशपूजी में ओवर ड्राफ्ट कर राज्य को 60 लाख का नुकसान पहुंचाया है।
निबंधक और सरकार के स्तर से होगी कार्रवाई
जांच कमेटी के अध्यक्ष एमपी त्रिपाठी के मुताबिक जांच कमेटी ने सभी पहलुओं की जांच कर विस्तृत रिपोर्ट तैयार कर निबंधक को सौंप दी है। जांच में गंभीर गड़बड़ी सामने आई है। अब निबंधक एवं सरकार के स्तर से कार्रवाई तय होंगी।