अपराध

देहरादून में नकली नोटों की छपाई करता था गैंग

देहरादून : पिछले दिनों बेहट (सहारनपुर) में पकड़ी गई नकली नोटों की खेप के तार देहरादून से जुड़े थे। बुधवार को बिहारीगढ़ पुलिस द्वारा देहरादून से पकड़े गए गैंग के सदस्य के पास से मिले प्रिंटर के आधार पर माना जा रहा है कि गैंग के सदस्य नकली नोटों की छपाई देहरादून में ही करते थे। बिहारीगढ़ पुलिस ने इस मामले में 44 हजार रुपये के नकली नोट और नकली सोने की ईंट भी बरामद की है। वहीं इस मामले की एसटीएफ ने भी अपने स्तर से जांच शुरू कर दी है।

गौरतलब है कि बीते आठ नवंबर को बेहट पुलिस ने 30 लाख रुपये के नकली नोट के साथ नाई अबुल हसन निवासी हसनपुर को पकड़ा था, जबकि गैंग का सरगना आशिक प्रधान व उसका एक अन्य साथी फरार हो गया था। बेहट पुलिस ने आशिक की घेराबंदी करनी शुरू की तो उसने अदालत में सरेंडर कर दिया। एसएसपी सहारनपुर बबलू कुमार के मुताबिक 48 घंटे की रिमांड पर लेकर आशिक प्रधान से पूछताछ की गई तो उसने बाकी साथियों के बारे में तमाम जानकारी दे दी।

इस पर आशिक से फोन करवा कर गिरोह के चार अन्य तस्करों को पकड़ लिया गया। पकड़े गए आरोपियों में अनवर व मोहम्मद रफीक उर्फ मुल्लाजी पुत्रगण करीमुद्दीन निवासी पीर बिडोली झिंझाना शामली, माइकल एंथोनी पुत्र बीएल एंथोनी निवासी डालनवाला देहरादून व वसीम मिर्जा पुत्र शब्बीर निवासी गंगा विहार देहरादून है। इनके कब्जे से दो-दो हजार के 22 नकली नोट,  प्रिंटर व सोने की नकली ईंट बरामद हुई है। आरोप है कि वसीम मिर्जा की दून में घोषी गली में फोटोकॉपी की दुकान है, जहां पर वह नकली नोटों की छपाई करता था।

ईंट के बदले लेते थे असली नोट

पूछताछ में वसीम व माइकल एंथोनी ने बताया कि वह कई वर्षों से सोने की नकली ईंट बेचने का धंधा करते थे। कई बार लाखों रुपये लेने के बाद नकली नोट भी दे चुके हैं।

मुल्लाजी उर्फ रफीक है सजायाफ्ता

बिहारीगढ़ पुलिस के हत्थे चढ़ा मुल्लाजी उर्फ रफीक व उसका भाई अनवर नकली नोट के पुराने सौदागर हैं। साल 2008 में मुल्लाजी को जिला मेरठ की सदर बाजार पुलिस ने नकली नोट के साथ गिरफ्तार किया था। उस मुकदमे में मुल्लाजी को अदालत ने सात साल की सजा सुनाई थी। सजा पूरी होने के बाद अब जेल से छूटा और फिर से इसी धंधे में लग गया।

बेहट का सिपाही कर रहा था डील

आठ नवंबर को जब 30 लाख रुपये के नकली नोट के साथ अबुल हसन पकड़ा गया था, तब आशिक व बाकी सदस्य फरार हो गए थे। पुलिस सूत्रों की मानें तो उक्त चारों को न पकडऩे की डील थाना बेहट के सिपाही ने की थी। इस बात की भनक अब एसएसपी को लगी तो जांच-पड़ताल शुरू हो गई थी। बताया जा रहा है कि सिपाही की विभागीय जांच शुरू हो चुकी है। यही सिपाही एक बार उत्तराखंड से भी लूट के मामले में संलिप्तता के आरोप में जेल जा चुका है। गुरुवार को जब आशिक प्रधान ने चार तस्करों को पकड़वाया तो इनकी सिफारिश में सर्विलांस सेल का सिपाही लग गया था, लेकिन जब बात फैली तो सिपाही भी खामोश हो गया।

एसएसपी निवेदिता कुकरेती का कहना है कि नकली नोटों के गिरोह के बारे में सहारनपुर पुलिस से इनपुट मांगे गए हैं, ताकि इस बात का पता लगाया जा सके कि गिरोह ने देहरादून में कोई वारदात तो नहीं की है।

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