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परिश्रम के ताप से कुंदन बने देश के कर्णधार

देहरादून : वैसे तो भारतीय सैन्य अकादमी से सैन्य प्रशिक्षण पूरा कर अफसर बनने वाला हर एक कैडेट कठिन परिश्रम, लग्न व मेहनत के बूते कामयाबी की मिसाल पेश करता है, लेकिन श्रेष्ठ में सर्वश्रेष्ठ कुछ कैडेट इनमें भी अपना अलग मुकाम बनाते हैं। ये ऐसे विजेता हैं जिन्होंने विषम परिस्थितियों में भी हौसला नहीं खोया। तभी वह विजेता बनकर उभरे हैं।

एनडीए के बाद आइएमए में लहराया परचम

स्वॉर्ड ऑफ ऑनर व स्वर्ण पदक विजेता चंद्रकांत आचार्य उड़ीसा के भुवनेश्वर के रहने वाले हैं। उनके पिता डॉ. अजय कुमार प्रोफेसर हैं और मां सुकृति गृहणी। राष्ट्रीय इंडियन मिलेट्री कॉलेज से वर्ष 2013 में पास आउट होने के बाद उनका चयन एनडीए में हुआ। जहां उन्हें प्रेसीडेंट गोल्ड मिला था। उनका बड़ा भाई सूर्यकांत कैमिकल इंजीनियर है। चंद्रकांत कामयाबी को कठिन परिश्रम का प्रतिफल मानते हैं।

सेना से बेहतर विकल्प नहीं

सिल्वर मेडल कैडेट अमरप्रीत सिंह पंजाब के होशियारपुर के रहने वाले हैं। उनके पिता कुलजीत सिंह पंजाब पुलिस में तैनात हैं, जबकि मां सुरेंद्र कौर गृहणी हैं। अमरप्रीत कहते हैं कि बचपन से ही कुछ अलग करने की सोच थी। इसके लिए सेना से बेहतर विकल्प और कुछ नहीं था। माता-पिता से प्रेरणा मिली तो लक्ष्य और भी करीब हो गया।

सिपाही से अफसर बने सौरव

पश्चिम बंगाल के नदिया जनपद निवासी सौरव दास को कांस्य पदक मिला है। सौरव के पिता समीरदास व्यवसायी हैं और मां रीता प्राथमिक विद्यालय में शिक्षिका। सैन्य अधिकारी बनने से पहले सौरव तीन साल तक बतौर सिपाही सेना की डेंटल कोर में तैनात रहे। एसीसी से अवसर मिला तो आज सैन्य अधिकारी बन गए हैं।

मुफलिसी को मात देकर हासिल की कामयाबी

हैदराबाद निवासी बर्नाना यादगिरी को टेक्नीकल ग्रेजुएट कोर्स में सिल्वर मेडल से नवाजा गया है। अन्य अवार्ड विजेता कैडेटों की अपेक्षा बर्नाना यादगिरी की कहानी जुदा है। आर्थिकी तंगी व तमाम चुनौतियों से जूझने के बाद उन्होंने अपना मुकाम हासिल किया है। उनके पिता गुरनैया एक सीमेंट फैक्टरी में श्रमिक हैं। बर्नाना की शिक्षा सामान्य स्तर के सरकारी स्कूल से हुई है।

वह बताते हैं कि आर्थिक तंगी के चलते स्कूल में शुल्क देना भी मुश्किल होता था। इंटरमीडिएट में बेहतर अंक प्राप्त होने के बाद स्कालरशिप मिली तो हालात कुछ अनुकूल हुए। इसके बाद ट्रिपल आइटी से मैकेनिकल इंजीनियरिंग की। जॉब के लिए कॉरपोरेट सेक्टर से कई ऑफर आए, और अमेरिका जाने का भी मौका था। वह कहते हैं कि आप में काबिलियत है तो कोई अड़चन आपके कदम नहीं रोक सकती।

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