देश-विदेश

पार्कर सोलर प्रोब: सूर्य को छूने वाला विश्‍व का पहला अंतरिक्ष यान, जानें क्‍या है इस उपलब्धि के मायने

अमेरिकी अंतरिक्ष एजेंसी नासा के यान ‘पार्कर सोलर प्रोब’ ने सूर्य को ‘छूने’ का बड़ा कारनामा किया है। एक समय तक असंभव मानी जाने वाली यह उपलब्धि अंतरिक्ष यान ने आठ महीने पहले यानी अप्रैल में ही हासिल कर ली थी, लेकिन अंतरिक्ष में करोड़ो किलोमीटर की दूरी पर स्थित इस यान से जानकारी पहुंचने और जानकारी का विश्लेषण करने में वैज्ञानिकों को लंबा समय लग गया। इससे वैज्ञानिकों को सौर हवाओं और आकाशगंगा को एक साथ रखने वाले सूर्य के चुंबकीय क्षेत्र के बारे में समझने की उम्मीद है। पार्कर सोलर प्रोब इस साल की शुरुआत में सूर्य को ‘स्पर्श’ करने से पहले 2018 में पृथ्वी लांच हुआ था। नासा ने इस प्रोब को सूरज का अध्ययन करने के लिए 12 अगस्त 2018 को लांच किया था।

जानें क्या है पार्कर सोलर प्रोब का लक्ष्य?

यह नासा के ‘लिविंग विद अ स्टार’ कार्यक्रम का हिस्सा है। इसके जरिए अंतरिक्ष एजेंसी ने सूर्य और पृथ्वी के बीच के सिस्टम के अलग-अलग पहलुओं को समझने और इससे जुड़ी जानकारी इकट्ठा करने का लक्ष्य रखा है। नासा का कहना है कि पार्कर प्रोब से जो भी जानकारी मिलेगी, उससे सूर्य के बारे में हमारी समझ और विकसित होगी। अमेरिकी अंतरिक्ष एजेंसी के वैज्ञानिकों ने बताया कि नासा का यह अंतरिक्ष यान पहले से कहीं ज्यादा सूरज के करीब चला गया है, जो कोरोना के नाम से जाने जाने वाले वातावरण में प्रवेश कर रहा है। पृथ्वी से 15 करोड़ किमी की यात्रा के बाद मंगलवार को अमेरिकी भूभौतिकीय संघ की बैठक में इसके सूर्य की बाहरी परत के साथ पहले सफल संपर्क की घोषणा की गई।

कैसे संभव हुआ सूर्य को छूना?

इस ऐतिहासिक उपलब्धि को हासिल करने के पीछे वैज्ञानिकों और इंजीनियर्स की एक बड़ी टीम का हाथ है, जिसमें हार्वर्ड और स्मिथसोनियन के सेंटर फार एस्ट्रोफिजिक्स के सदस्य भी शामिल रहे। यह टीम प्रोब में लगे एक सबसे महत्‍वपूर्ण उपकरण ‘सोलर प्रोब कप’ के निर्माण और उसकी निगरानी में जुटी है। यह कप ही वह उपकरण है, जोकि सूर्य के वायुमंडल से कणों को इकट्ठा करने का काम कर रहा है। इससे वैज्ञानिकों को यह समझने में आसानी हुई कि स्पेसक्राफ्ट सूर्य के वायुमंडल की बाहरी सतह ‘कोरोना’ तक पहुंचने में सफल हो गया है।

स्पेसक्राफ्ट के कप में जो डाटा इकट्ठा किया गया, उससे सामने आया है कि अप्रैल 28 को पार्कर प्रोब ने सूर्य के वायुमंडल की बाहरी सतह को तीन बार पार किया। एक बार तो कम से कम पांच घंटे के लिए। सोलर प्रोब की इस उपलब्धि को बताने वाली एक चिट्ठी ‘फिजिकल रिव्यू लेटर’ नाम के जर्नल में भी प्रकाशित हुई। इसके एयरक्राफ्ट को इंजीनियरिंग का बेहद खास नमूना बताया गया।

आखिर 11 लाख डिग्री सेल्सियस को इसे कैसे पार कर पाया अंतरिक्ष यान?

सूर्य के वायुमंडल जिसे कोरोना भी कहा जाता है का तापमान लगभग 11 लाख डिग्री सेल्सियस (करीब 20 लाख डिग्री फारहेनहाइट) है। इतनी गर्मी कुछ ही सेकंड्स में पृथ्वी पर पाए जाने वाले सभी पदार्थों को पिघला सकती है। इसलिए वैज्ञानिकों ने स्पेसक्राफ्ट में खास तकनीक वाली हीट शील्ड्स लगाई हैं, जो कि लाखों डिग्री के तापमान में भी अंतरिक्ष यान को सूर्य के ताप से बचाने का काम करती हैं।

Related Articles

Back to top button