राजनीति

पीएम मोदी द्वारा तीनों कृषि कानूनों को रद करने के इस फैसले पर जानिए जनता ने क्या कहा

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा 19 नवंबर को तीनों कृषि कानूनों को रद किए जाने की घोषणा के बाद से विपक्ष, राजनीतिक पंडितों और लोगों के बीच तरह-तरह की बातें कही जा रहीं हैं। कोई इसे मोदी सरकार का मास्टरस्ट्रोक कह रहा है तो कोई इसे मजबूरी बता रहा है। इसी बीच आइएएनएस और सी वोटर (IANS-CVoter) ने एक सर्वे किया है। यह सर्वे कृषि कानून को निरस्त किए जाने की घोषणा के बाद किया गया है। इस सर्वे से तस्वीर साफ हो गई है कि देश की जनता तीनों कृषि कानूनों को रद किए जाने की घोषणा के बाद प्रधानमंत्री मोदी के इस फैसले को किस नजरिए से देख रही है। तीनों कृषि कानूनों को रद करने की घोषणा के बाद से राजनीतिक पंडितों की राय के विपरीत प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की छवि और उनकी सरकार को कोई नुकसान नहीं हुआ है। यह बात इस सर्वे में साफ निकल कर सामने आई है। कृषि कानून के रद किए जाने के कुछ ही घंटे बाद आइएएनएस-सी वोटर ने पूरे देश में यह सर्वे किया है। इस सर्वे में शामिल 52 फीसद से अधिक उत्तरदाताओं ने कहा कि कृषि कानून को रद करके पीएम मोदी ने सही निर्णय लिया है। 50 फीसद से अधिक उत्तरदाताओं ने दावा किया कि कृषि कानून किसानों के लिए फायदेमंद थे, जबकि 30.6 फीसद ने कहा कि ये कानून किसानों के लिए सही नहीं थे। सर्वे में शामिल 40.7 फीसद लोगों ने कृषि कानूनों को निरस्त करने के लिए सरकार को श्रेय दिया है। वहीं, लगभग 22.4 फीसद ने विपक्षी दलों को श्रेय दिया है। 37 फीसद लोगों ने माना है किसान के प्रदर्शन के चलते मोदी सरकार को तीनों कानून रद करने पड़े हैं। शायद इस सर्वे से निकलने वाला सबसे महत्वपूर्ण पैमाना वह है जो आम भारतीय किसानों के प्रति पीएम मोदी के दृष्टिकोण के बारे में सोचते हैं। उत्तरदाताओं के 58.6 फीसद के स्पष्ट बहुमत ने कहा कि पीएम मोदी वास्तव में किसान समर्थक हैं, जबकि सर्वे में 29 फीसद ने माना कि वे किसान विरोधी हैं। इससे भी अधिक दिलचस्प बात यह है कि 50 फीसद से अधिक विपक्षी मतदाता पीएम मोदी को किसान समर्थक मानते हैं। अंत में जब उत्तरदाताओं से लंबे और विवादास्पद आंदोलन के पीछे के वास्तविक उद्देश्यों के बारे में पूछा गया, जिसके कारण कृषि कानूनों को निरस्त किया गया। तो इस सर्वे में शामिल 56.7 फीसद का एक बड़ा बहुमत आश्वस्त था कि यह आंदोलन मोदी के नेतृत्व वाले एनडीए को कमजोर करने की योजना के साथ राजनीति से प्रेरित था। वहीं, 35 फीसद उत्तरदाताओं की राय इसके विपरीत थी। 

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