उत्तराखंड विकास खण्ड

प्रदेश सरकार परम्परागत हथकरघा एवं वस्त्रोद्योग को पुनर्जीवित करने के लिए निरन्तर प्रयासरत

प्रस्तावित वस्त्रोद्योग हथकरघा एवं रेशम उद्योग नीति में उदयमियों को विशेष छूट, अनुदान एवं वित्तीय सुविधाएं उपलब्ध कराने का प्रावधान

प्रदेश सरकार परम्परागत हथकरघा एवं वस्त्रोद्योग को पुनर्जीवित करने के लिए निरन्तर प्रयासरत है। इसी उद्देश्य से उत्तर प्रदेश वस्त्रोद्योग नीति का प्रारुप तैयार किया गया है। इसमें हथकरघा एवं वस्त्रोदयोग और रेशम की सभी उपशाखाओं को प्रोत्साहन देने का प्राविधान है। रेशम चाकी/कोया उत्पादन/धागा बनाने वाली इकाईयों को पूरे प्रदेश में 100 प्रतिशत स्टैम्प डयूटी में छूट/प्रतिपूर्ति उपलब्ध करायी जायेगी। वस्त्र उदयोग इकाईयों को कच्चा माल खरीदने पर मण्डी शुल्क में पांच वर्ष तक की छूट प्रदान की जाएगी। इसके अलावा कुशल और अकुलश कार्मिकों सहित न्यूनतम 400 प्रत्यक्ष रोजगार सृजन करने वाली वस्त्र उदयोग इकाईयों को 60 प्रतिशत और 200 प्रत्यक्ष रोजगार सृजन करने वाली इकाईयों को 50 प्रतिशत ईपीएफ की प्रतिपूर्ति की सुविधा लगातार तीन वर्ष तक अनुमन्य होगी।
रेशम उद्योग (चाकी कीट पालन, कोया उत्पादन, रीलिंग एवं स्पिनिंग) को प्रोत्साहन देने हेतु अधिकतम एक करोड़ रुपये पंूजी निवेश करने वाली इकाईयों को राष्ट्रीयकृत बैकों द्वारा दिये गये ऋण पर 25 प्रतिशत मार्जिन मनी अनुदान दिया जायेगा, जिसकी गणना बैंक द्वारा आगणित परियोजना लागत पर की जायेगी। अनुसूचित जाति/जन जाति के उद्यमियों को 35 प्रतिशत मार्जिन मनी दी जायेगी। ऐसी रेशम रीलिंग इकाईयाँ, जो प्रदेश में उत्पादित कोये से न्यूनतम 75 प्रतिशत धागा उत्पादन करती हैं, उन्हें वर्किंग कैपिटल ऋण पर 5 वर्षों तक 5 प्रतिशत की दर से ब्याज उपादान दिया जायेगा। इसकी अधिकतम सीमा रुपये 50 हजार प्रतिवर्ष होगी।
खास बात यह है कि इस प्रस्तावित नीति में प्रदेश के पूर्वांचल, बुंदेलखंड, एवं मध्यांचल के लिए भी विशेष प्रोत्साहन के प्राविधान किए गए हैं। वस्त्रोदयोग से संबंधित उद्यमियों, औदयोगिक संगठनों एवं आम जनता से उत्तर प्रदेश वस्त्रोदयोग नीति के लिए सुझाव भी आमंत्रित किए गए हैं। प्रस्तावित नीति विभागीय वेबसाइट मजंदंइंदंनचण्पद पर अपलोड है। औदयोगिक संगठन व आम जनता द्वारा इसका अवलोकन करते हुए ईमेल आईडी-दगमींदकससववउ/हउंपसण्बवउ और चेकीजनच17/हउंपण्बवउ  पर 20 जून तक सुझाव दिया जा सकता है। इस तरह प्राप्त सुझावों पर प्राथमिकता से विचार किया जायेगा।
वस्त्रोद्योग में निवेश को आकर्षित करने के लिए प्रस्तावित वस्त्रोद्योग हथकरघा एवं रेशम उद्योग नीति में उदयमियों को विशेष छूट, अनुदान एवं वित्तीय सुविधाएं उपलब्ध कराने का प्रावधान किया गया है। इसके तहत बुंदेलखंड एवं पूर्वांचल में स्थापित होने वाले वस्त्रोदयोग से संबंधित इकाईयों को स्टैम्प शुल्क में 100 प्रतिशत की छूट दी जायेगी। मध्यान्चल एवं पश्चिमांचल (नोएडा, ग्रेटर नोएडा एवं यमुना एक्सप्रेसकृवे अथारिटी को छोड़कर) में स्थापित होने वाले वस्त्रोदयोग से संबंधित इकाईयों को स्टैम्प शुल्क से 75 प्रतिशत की छूट/प्रतिपूर्ति उपलब्ध कराई जाएगी।
इसके अलावा पूरे प्रदेश में वस्त्र उदयोग संबंधी अवस्थापना सुविधाओं के विकास (यथाकृसीवर, सड़क, जल निकासी, सीवेज ट्रीटमेंट प्लान्ट, प्रदर्शनी केंद्र, एकीकृत ट्रांसपोर्ट, सालिट वेस्ट मैनेजमेंट प्लान्ट, एफ्लुएंट ट्रीटमेंट प्लान्ट की स्थापना) के लिए भूमि की क्रय पर स्टैम्प शुल्क में 100 प्रतिशत की छूट/प्रतिपूर्ति उपलब्ध करायी जायेगी।
बुंदेलखंड और पूर्वांचल में स्थापित होने वाली सभी नयी वस्त्र उदयोग इकाईयों को उनके द्वारा जमा किये गये वैट और केंद्रीय बिक्री कर के योग का 90 प्रतिशत अथवा जीएसटी लागू होने पर राज्य को मिलने वाले छम्ज् ैज्।ज्म् ळैज् अंश की 90 प्रतिशत धनराशि, जो भी कम हो, उसे इकाईयों को रिफण्ड किया जायेगा। यह लाभ इकाईयों को उनकी प्रथम बिक्री की तिथि से 10 वर्ष तक हर वर्ष प्राप्त होगा। परन्तु उस इकाई में स्थायी पूंजी निवेश पांच करोड़ या उससे अधिक होना चाहिए।
सरकार द्वारा वस्त्रोदयोग की स्थापना के लिए निजी भूमियों और राज्य की भूमियों को विकसित करने वाली संस्थाओं की भूमियों को वस्त्रोदयोग के लिए उपलब्ध कराने के प्रयास किए जायेंगे। केंद्र सरकार की योजनाओं विशेष कर ज्न्थ्ै (टेक्नोलाजी अपग्रेडेशन फण्ड स्कीम) आदि के माध्यम से अधिकाधिक सुविधायें वस्त्रोदयोग इकाईयों को उपलब्ध कराई जाएंगी ताकि प्रदेश में संकुल आधारित वस्त्रादयोग इकाईयों की स्थापना को बढ़ावा दिया जा सके। सरकार का मुख्य उददेश्य सूक्ष्म, लघु एवं मध्यम इकाईयों को क्लस्टर के रूप् में विकसित करना है ताकि अन्तर्राष्ट्रीय प्रतिस्पर्धा के युग में वस्त्र इकाईयां अपनी क्षमता एवं उत्पाद गुणवत्ता में व्यापक सुधार ला सकें।
वस्त्रोदयोग इकाईयों को प्रदेश में स्पेशल परपज व्हीकल (ैच्ट) द्वारा संकुल स्थापित करने हेतु प्रोत्साहित किया जायेगा ताकि आधारभूत सुविधाओं जैसे सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट, कामन एफ्लूएंट ट्रीटमेंट प्लांट (अपशिष्ट उपचार प्लान्ट, प्रदूषण शोधक संयन्त्र) परीक्षण प्रयोगशालाओं आदि का विकास तीव्र गति से विशेष वस्त्र इकाईयों की आवश्यकता के अनुसार हो सके। रेशम, कपास, ऊन और अन्य प्रकार के प्राकृतिक अथवा कृत्रिम रेशों के विकास के लिए क्ल्स्टर, कान्ट्रेक्ट फार्मिंग एवं काम फैसिलिटी में मूल्य संवर्धन कार्यों को प्रोत्साहित किया जायेगा।

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