बैंक धोखाधड़ी के 17 मामलों का आरोपी धरा
देहरादून: पटेलनगर पुलिस और एसओजी ने चार साल से फरार 10 हजार के इनामी को गिरफ्तार किया है। आरोपी चोरी और धोखाधड़ी के आरोप में कई बार जेल जा चुका है। वर्तमान में वह लोन के नाम पर लोगों से करीब एक करोड़ रुपये हड़पने के साथ ही बैंक धोखाधड़ी के 17 अन्य मामलों में वांछित चल रहा था। अभी वह दिल्ली में रह रहा था और केस के सिलसिले में वकील से मिलने अपने गांव पुजार आया था। गिरफ्तारी करने वाली पुलिस टीम को एडीजी लॉ एंड ऑर्डर ने 10 हजार, आइजी गढ़वाल ने पांच हजार और एसएसपी ने ढाई हजार रुपये का इनाम देने की घोषणा की है।
प्रदीप सकलानी पुत्र भूदेव सकलानी निवासी पुजार गांव सत्यों टिहरी (गढ़वाल) पर वर्ष 2013 में पटेलनगर थाने के साथ ही दून के विभिन्न थानों में 17 बैंक धोखाधड़ी के मामले दर्ज किए गए थे। पटेलनगर पुलिस और एसओजी तभी से उसे तलाश रही थीं, मगर लगातार ठिकाने बदलने के कारण वह हाथ नहीं आ रहा था। वर्तमान में वह दिल्ली के मुनीरका में रह रहा था। उसका मोबाइल नंबर सर्विलांस पर लगाने के बाद पुलिस को उसके ठिकाने की जानकारी हुई तो एसओजी प्रभारी पीडी भट्ट और चौकी इंचार्ज आइएसबीटी अमरजीत सिंह रावत के नेतृत्व में एक टीम दिल्ली रवाना कर दी गई। हालांकि, टीम के वहां पहुंचने से पहले ही वह देहरादून के लिए रवाना हो गया। इसके बाद पुलिस उसके पीछे लग गई और उसका फोन ट्रेस करती रही।
एसएसपी निवेदिता कुकरेती ने बताया कि रविवार को उसे रायपुर में महाराणा प्रताप स्पोर्ट्स कॉलेज चौक से गिरफ्तार कर लिया गया। वह अपने गांव पुजार जा रहा था। वहां वह अपने वकील से मुलाकात कर हाई कोर्ट जाने की तैयारी में था।
काफी शातिर है आरोपी
एमबीएम पास प्रदीप काफी शातिर है। सबसे पहले वह वर्ष 2005 में डालनवाला में चोरी के मामले में जेल गया था। इसके बाद 2012 में उसकी मुलाकात दीपनगर निवासी कृपाल सिंह कोहली से हुई। दोनों ने मिलकर रियो प्रीमियम फियेट कार कंपनी की डीलरशिप ली। इसके लिए उन्होंने शुभांगन डिपलेप प्राइवेट लिमिटेड के नाम से कंपनी खोली। जिसका निदेशक कृपाल सिंह था। उन्होंने कंपनी से 10 गाड़ियां मंगाईं और ग्राहकों को बेच दीं। इसके बाद उन्होंने बैंकों में कार के लिए लोन लेने को कोटेशन दिए, जिससे ड्राफ्ट सीधे डीलर के नाम आया। जिसे उन्होंने आपस में बांट लिया। कुछ समय तक तो उन्होंने लोन की किस्त दी, लेकिन फिर किस्त देना बंद कर दिया। इसके बाद वह फरार हो गए। 2015 तक प्रदीप लखनऊ (उप्र) में रहा और फिर दिल्ली चला गया। इस दौरान उसने कई कपंनियों में नौकरी की। इस मामले में कृपाल सिंह पहले ही गिरफ्तार किया जा चुका है।