उत्तराखंड समाचार

मनरेगा घोटाले में सहायक विकास अधिकारी गिरफ्तार

आठ साल पहले सहसपुर ब्लाक की गल्जवाड़ी ग्राम पंचायत में हुए मनरेगा घोटाले में सहायक विकास अधिकारी (एडीओ) तपेंद्र सिंह राणा को गिरफ्तार किया गया है। एडीओ पर ग्राम प्रधान के साथ मिलकर मनरेगा के तहत वर्ष 2009 से 2011 के बीच कराए गए तारबाड़ कार्य में लगभग 10 लाख रुपये की हेराफेरी का आरोप है।

घोटाले की मुख्य आरोपी ग्राम प्रधान गल्जवाड़ी फरार है। उसकी तलाश की जा रही है। इस घोटाले में मनरेगा जेई भी शक के दायरे में हैं।

इस बावत स्थानीय निवासी गौतम प्रसाद ने वर्ष 2012 में शिकायत की थी। उन्होंने तारबाड़ कार्य में अनियमितता का आरोप लगाते हुए प्रधान लीला शर्मा की भूमिका पर उंगली उठाई थी।

मामला उछला तो सचिवालय स्तर से इसकी जांच कराई गई। जिसमें भुगतान के लिए लगाए गए कई बिल फर्जी पाए गए। शासन ने तत्कालीन ग्राम पंचायत विकास अधिकारी, ग्राम प्रधान और मनरेगा के कनिष्ठ अभियंता से 10.47 लाख रुपये की रिकवरी का आदेश दिया, लेकिन मामला फाइलों में दब गया।

इस बीच पांच मई 2016 को राष्ट्रपति शासन के दौरान इस मामले में कैंट थाने में मुकदमा दर्ज कर लिया गया। हाल ही में संपन्न हुए विधानसभा चुनाव के बाद प्रदेश में सत्ता बदली तो मामले ने फिर तूल पकड़ा। इसके बाद पुलिस गत 30 मार्च को ग्राम प्रधान लीला शर्मा के घर मनरेगा कार्यों के कागजात लेने पहुंच गई, जिस पर बवाल मच गया। इसके विरोध में पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत व कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष किशोर उपाध्याय कैंट थाने में धरने पर भी बैठ गए थे।

इस बीच सहसपुर ब्लाक के तत्कालीन एडीओ तपेंद्र सिंह राणा को जोगीवाला में विवेकानंद विहार स्थित उनके घर से गिरफ्तार कर लिया गया। तपेंद्र इस समय डोईवाला में तैनात हैं। एसएसपी स्वीटी अग्रवाल ने बताया कि विवेचना में अब तक सामने आए तथ्यों से गबन की पुष्टि हो चुकी है, मामले की जांच अभी जारी है।

 

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