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मनरेगा जल संरक्षण में जीवन और आजीविका में परिवर्तन लाने पर बल

नई दिल्ली: महात्‍मा गांधी राष्‍ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी योजना (मनरेगा) के अंतर्गत पिछले तीन वर्षों से टिकाऊ जल संरक्षरण संपत्तियों का निर्माण प्राथमिकता है। मनरेगा के तहत जल संरक्षण के जरिए पिछले तीन वर्षों में 143 लाख हेक्‍टेयर से अधिक भूमि को लाभ पहुंचा है। आर्थिक वृद्धि अध्‍ययन संस्‍थान और सामाजिक विकास परिषद के अध्‍ययन में बताया गया है कि उत्‍पादकता, क्षेत्रफल, आय और जल स्‍तर में सुधार हुआ है। माननीय प्रधानमंत्री ने 2015-16 में वर्षा में कमी के समय राज्‍यों के मुख्‍यमंत्रियों के साथ समीक्षा की थी और उन्‍होंने जल संरक्षण के लिए अप्रैल से जून की अवधि में मनरेगा का पूरी तरह से उपयोग करने की आवश्‍यकता पर दोबारा बल दिया था।

गर्मी के महीनों के दौरान जल संरक्षण पर ध्‍यान केंद्रित करने के लिए वर्तमान वित्‍त वर्ष में राज्‍य और केन्‍द्र शासित प्रदेशों के लिए पहले से ही 25376 करोड़ रूपये आवंटित किये जा चुके हैं। प्रत्‍येक राज्‍य ने अपनी आवश्‍यकता के अनुसार जल संरक्षण कार्य किया है। देशभर में राज्‍यों द्वारा 2156 नदी संरक्षण की योजना बनाई गई है। जलाशयों के पुनर्जीवन के लिए कई महत्‍वपूर्ण कार्य किये गये हैं और नये तालाबों का निर्माण किया जाएगा। प्रत्‍येक राज्‍य के जिलों में जल संरक्षण जन आंदोलन शुरू करने के लिए लोग आगे आये हैं। राजस्‍थान, झारखंड, गुजरात, छत्‍तीसगढ़, उत्‍तर प्रदेश, केरल, तमिलनाडु, मध्‍य प्रदेश, तेलंगाना, ओडिशा, पश्चिम बंगाल, सिक्किम, महाराष्‍ट्र में टिकाऊ जल संरक्षण संपत्ति सुनिश्चित करने के लिए स्‍थानीय आवश्‍यकता के अनुसार प्रयास किये गये हैं ताकि वंचित वर्गों और छोटे किसानों का कल्‍याण हो सके।

इन प्रयासों से 15 लाख से अधिक खेत तालाबों का निर्माण हो चुका है, इसके अलावा बड़ी संख्‍या में कुओं, सामुदायिक जलाशयों और बांधों आदि भी बनाये गये हैं। निर्मित की जा रही प्रत्‍येक संपत्ति को जियोटेग भी किया जा रहा है। मंत्रालय द्वारा समय पर वेतन का भुगतान सुनिश्‍चित करने पर बल देने के सकारात्‍मक परिणाम नजर आ रहे हैं। वर्तमान वित्‍त वर्ष में 38.4 करोड़ व्‍यक्तियों के लिए प्रतिदिन रोजगार पैदा हुआ है जिसमें से 95 प्रतिशत से अधिक भुगतान 15 दिन के भीतर कर दिया गया है। 86.4 प्रतिशत मामलों में भुगतान निर्धारित समयावधि के भीतर लाभार्थियों के बैंक खाते में जमा करवाया गया है। पारदर्शिता, तकनीकी रूप से ठोस योजना और उसके कार्यान्‍वयन तथा समय पर वेतन भुगतान पर ध्‍यान केंद्रित कर जल संरक्षण पर बल देने से गांवों में बड़ी संख्‍या में लोगों के जीवन और उनकी आजीविका में सकारात्‍मक परिवर्तन हो रहा है।

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