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योग प्रोत्‍साहन और विकास में असाधारण योगदान के लिए 2018 का प्रधानमंत्री पुरस्‍कार

नई दिल्ली: वर्ष 2018 के लिए योग के प्रोत्‍साहन और विकास में असाधारण योगदान के लिए नासिक के श्री विश्‍वास मांडलिक और योग संस्‍थान, मुम्‍बई को प्रधानमंत्री का पुरस्‍कार दिया जाएगा। यह चयन विभिन्‍न श्रेणियों में प्राप्‍त 186 नामांकनों में से किया गया।

21 जून 2016 को चंडीगढ़ में आयोजित दूसरे अंतरराष्‍ट्रीय योग दिवस के अवसर पर माननीय प्रधानमंत्री ने योग के प्रोत्‍साहन और विकास के लिए पुरस्‍कार गठित करने की घोषणा की थी। आयुष मंत्रालय ने पुरस्‍कारों के लिए दिशा निर्देशों को विकसित किया। पुरस्‍कार तय करने में पारदर्शी प्रक्रिया अपनाते हुए समितियां – स्‍क्रीनिंग समिति (प्रारंभिक मूल्‍यांकन के लिए) तथा मूल्‍यांकन समिति (निर्णायक मंडल)  – बनाई गईं। खुले विज्ञापन के जरिए पुरस्‍कार के लिए नामांकन आमंत्रित किये गये।

आयुष सचिव की अध्‍यक्षता में स्‍क्रीनिंग समिति ने 186 आवेदनों में से संक्षिप्‍त सूची बनाई। मंत्रिमंडल सचिव की अध्‍यक्षता में निर्णायक मंडल ने स्‍क्रीनिंग समिति की जांच की और संक्षिप्‍त सूची में दर्ज संस्‍थानों तथा व्‍यक्तियों द्वारा किये गये योगदानों के बारे में अपना विश्लेषण भी किया। कैबिनेट सचिव की अध्‍यक्षता वाले निर्णायक मंडल में प्रधानमंत्री के अपर प्रधान सचिव, विदेश सचिव, आयुष सचिव, डॉ. एच.आर. नागेन्‍द्र, श्री ओ.पी. तिवारी और डॉ. बी.एन. गंगाधर सदस्‍य थे।

सभी प्रासंगिक तथ्‍यों और प्राप्‍त जानकारी पर विचार करने के बाद निर्णायक मंडल ने चालू वर्ष के पुरस्‍कार के लिए श्री विश्‍वास मांडलिक (व्‍यक्तिगत – राष्‍ट्रीय श्रेणी में) तथा योग संस्‍थान, मुम्‍बई (संगठन – राष्‍ट्रीय श्रेणी में) के नामों की सिफारिश की।

भारत सरकार ने नासिक के श्री विश्‍वास गांडलिक तथा योग संस्‍थान, मुम्‍बई को योग प्रोत्‍साहन और विकास में उनके असाधारण योगदान के लिए 2018 के प्रधानमंत्री के पुरस्‍कार से सम्‍मानित करने की सिफारिश को स्‍वीकार कर लिया है। 2017 के लिए यह पुरस्‍कार राममणि आयंगर स्‍मारक योग संस्‍थान, पुणे को दिया गया था।

श्री विश्‍वास मांडलिक ने प्रमाणिक पतंजलि और हठ योग का गूढ ज्ञान प्राप्‍त किया है। उन्‍होंने अध्‍ययन के जरिए भागवत गीता और उपनिषद का ज्ञान प्राप्‍त किया और पिछले 55 वर्षों के प्राचीन हस्‍तलिपियों का अध्‍ययन किया। उन्‍होंने 1978 में योग विधा धाम की पहली शाखा की स्‍थापना की। आज देश में इसके 160 केन्‍द्र हैं। उन्‍होंने योग शिक्षा के लिए 1983 में योग संस्‍थान – योग विद्या गुरूगुल की स्‍थापना की। उन्‍होंने 1994 में भारत के दूर दराज के हिस्‍सों में योग को लोकप्रिय बनाने के लिए योग चैतन्‍य सेवा प्रतिष्‍ठान, ट्रस्‍ट की स्‍थापना की। उन्‍होंने 42 पुस्‍तके लिखी और विभिन्‍न प्रशिक्षण पाठयक्रमों को कवर करते हुए 300 सीडी बनाये।

श्री योगेन्‍द्र जी द्वारा 1918 में स्‍थापित योग संस्‍थान, मुम्‍बई के 100 वर्ष पूरे हो गये हैं और संस्‍थान ने अपनी इस यात्रा में 10 मिलियन से अधिक लोगों के जीवन को छुआ है। संस्‍थान ने 5000 से अधिक योग शिक्षक तैयार किये हैं और 500 से अधिक प्रकाशन कार्य किये हैं। योग संस्‍थान ने पिछले 10 दशकों में समग्र योग के प्रोत्‍साहन और विकास में योगदान दिया है और स्‍थानीय तथा विश्‍व स्‍तर पर समाज के प्रत्‍येक वर्ग की सेवा की है।

पुरस्‍कार विजेताओं को एक ट्रॉफी, प्रमाण पत्र तथा नकद पुरस्‍कार से सम्‍मानित किया जाएगा। नकद पुरस्‍कार राशि 25 लाख रूपये की होगी।

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