उत्तराखंड समाचार

राज्य विधि आयोग की बैठक करते हुएः से0नि0 न्यायमूर्ति राजेश टंडन

देहरादून: राज्य विधि आयोग के अध्यक्ष, न्यायमूर्ति (से0नि0) राजेश टंडन की अध्यक्षता में विधान सभा सभा कक्ष में राज्य विधि आयोग की बैठक हुई।

बैठक में चर्चा के दौरान विद्यमान कानूनों में अपेक्षित संशोधन करने हेतु राज्य सरकार को संस्तुति देना और उनके संशोधनों पर सरकार को सुझाव देना, नागरिकों के हितों के दृष्टिगत कठिनाइयों का निवारण करने के लिए त्वरित रूप से समुचित उपाय अपनाने के लिए सुझाव देना, उपर्युक्त के अतिरिक्त समय-समय पर आने वाली विधान सम्बन्धी विधिक कठिनाइयाॅ, जिन्हें सन्दर्भित किया जाय, पर सुझाव देना विषय पर चर्चा की गई।

इसके अतिरिक्त  Code of Criminal Procedure, anticipatory Bail से सम्बंधित धारा 438 के सम्बंध में अपनी सिफारिशें देना कि राज्य में इसकी आवश्यकता है और उत्तराखण्ड राज्य में इसको लागू किया जाए। Advocate welfare fund से सम्बंधित नीतियों में सुधार करना जैसे विषयों पर चर्चा की गई।

उक्त बैठक में न्यायमूर्ति राजेश टंडन, अध्यक्ष(रा0वि0आ0), ने उपर्युक्त विषयों पर अपने विचार रखे। धारा 438 Code of Criminal Procedure, anticipatory Bail को उत्तराखण्ड में पुनः प्रवर्तन के लिए सर्वोच्च न्यायालय के आदेश का आधार लिया।

बैठक में उपस्थित अधिकारियों ने अपने विभिन्न विचार प्रकट किए जो code of criminal procedure, anticipatory Bail से संबंधित धारा 438 में उत्तराखण्ड की जलवायु को देखते हुए और दूरस्थ गांव में (interior villagers) आवश्यकताओं को देखते हुए यह बहुत आवश्यक है कि यह प्राविधान उत्तराखण्ड में बरकरार रहे। धारा 438 को उत्तर प्रदेश में छोड¬़ (omit)किया गया था, जो देश के लगभग सभी राज्य में विद्यमान है। इस संबंध में अपनी सिफारिशें देना कि राज्य में इसकी आवश्यकता है और उत्तराखण्ड राज्य में इसको लागू किया जाए। बैठक मे प्रकाश निधि शर्मा, एडवोकेट, सुप्रीम कोर्ट, अनुच्छेद 21 सविधान के अनुसार 438 में संशोधन अति अवश्यक है। अतः सर्वोच्च न्यायालय का निर्णय आयोग अपनी रिपोर्ट के साथ सरकार को प्रेषित करेगा।

उपरोक्त सम्बंध में बैठक में उपस्थित अधिकारियों एवं गणमान्य व्यक्तियों द्वारा अपने सुझाव दिये गये। इसके अलावा अब्दूल कय्यूम सिविल जज/सचिव, जिला विधिक सेवा प्राधिकरण, देहरादून द्वारा राज्य मेें नागरिकों की सुरक्षा, गरीबों को निःशुल्क सहायता, विधवा महिलाओं के लिए निर्मित समिति तथा उत्तराखण्ड अपराध से पीडित सहायता योजना 2013 के संबंध में रिपोर्ट आयोग के समक्ष प्रस्तुत की गई।

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