उत्तराखंड समाचार

सरकारी कार्मिकों को सातवें वेतनमान के भत्तों का तोहफा

देहरादून : सातवें वेतनमान के भत्तों का बेसब्री से इंतजार कर रहे सरकारी कार्मिकों की मुराद पूरी होने में ज्यादा वक्त शेष नहीं रह गया है। अगस्त माह के वेतन के साथ नए भत्तों का तोहफा मिलने का रास्ता तकरीबन साफ हो गया है। यानी सितंबर माह में मिलने वाली तनख्वाह में नए भत्तों की चमक दिखाई देगी।

सातवां वेतनमान और वेतन विसंगति समिति ने अपनी रिपोर्ट सरकार को सौंप दी है। कार्मिकों को नए भत्ते देने से सरकारी खजाने पर तकरीबन 100 करोड़ का बोझ पड़ने जा रहा है। इस रिपोर्ट का अगली कैबिनेट में प्रस्तुत किया जाएगा।

केंद्र सरकार की ओर से सातवें वेतनमान के मुताबिक नए भत्तों का निर्धारण करने के कुछ दिन बाद से ही राज्य में इस दिशा में मशक्कत शुरू कर दी गई थी। पूर्व मुख्य सचिव इंदु कुमार पांडेय की अध्यक्षता में गठित सातवां वेतनमान और वेतन विसंगति समिति ने भत्तों को तय कर अपनी रिपोर्ट सौंप दी है।

समिति के अध्यक्ष इंदु कुमार पांडेय ने रिपोर्ट मुख्य सचिव को भेजने की पुष्टि की। रिपोर्ट में मकान किराया भत्ता, यात्रा भत्ता समेत विभिन्न महकमों और संवर्गों से जुड़े तकरीबन दो दर्जन से ज्यादा भत्तों को तय किया गया है। छोटा राज्य और सीमित संसाधन होने के बावजूद उत्तराखंड अपने कार्मिकों को सातवां वेतनमान दे चुका है।

अब जल्द ही कार्मिकों को भत्ते भी मिलेंगे। सूत्रों के मुताबिक समिति की रिपोर्ट को अगली कैबिनेट में रखा जाएगा। राज्य में दिए जा रहे अधिकतर भत्तों को केंद्र के समान ही रखने पर जोर दिया गया है। परिवार नियोजन भत्ते (एफपीए) समेत जिन भत्तों को केंद्र ने खत्म किया है, उन्हें राज्य में भी जस का तस रखने के बारे में अब फैसला राज्य सरकार को करना है।

बहुप्रतीक्षित मकान किराया भत्ता (एचआरए) में एक्स-श्रेणी में उत्तराखंड का एक भी शहर नहीं है। लिहाजा इस श्रेणी में 24 फीसद भत्ते का पात्र कोई नहीं होगा। अलबत्ता वाई-श्रेणी में मिलने वाले 16 फीसद भत्ते के दायरे में भी सिर्फ एक ही शहर देहरादून है।

राज्य के शेष हिस्से में जेड-श्रेणी यानी आठ फीसद मकान किराया भत्ता लागू होने के संबंध में निर्णय लिया जाएगा। राज्य सरकार अपने स्तर पर भी मकान किराए भत्ते को शहरों की श्रेणियां तय कर सकती है।

वहीं केंद्र की तर्ज पर चिकित्सकों के लिए नॉन प्रेक्टिसिंग अलाउंस (एनपीए) में 20 फीसद का इजाफा किए जाने के बारे में गेंद अब सरकार के पाले में है। इसीतरह पुलिस के लिए पोषाहार भत्ता, सचिवालय कार्मिकों के लिए सचिवालय भत्ता समेत विभिन्न भत्तों पर भी समिति ने अपनी सिफारिश कर दी है।

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