उत्तर प्रदेश

सिभावली के गांव विगास में आए थे गुरु नानक देव

गढ़मुक्तेश्वर: सिख धर्म के संस्थापक गुरु नानक देव के सानिध्य से गढ़ नगर और सिंभावली भी अभिभूत हुआ था। सिभावली के गांव विगास में गुरुदेव ने एक वृक्ष के नीचे बैठकर विश्राम व तपस्या की थी। इस स्थान पर आज भी गुरुद्वारे में पेड़ और सरोवर मौजूद है। देश-विदेश के लाखों श्रद्धालु गुरुद्वारे पर आकर मत्था टेकते हैं। बताते हैं कि यहां पर मौजूद इस ऐतिहासिक वृक्ष के नीचे पूजा करने से मनोकामना पूरी होती है। जबकि गढ़ नगर में भी गुरु नानक देव विश्राम करने के बाद लंगर में शामिल हुए थे।

गढ़ नगर स्थित गुरुद्वारे के प्रधान गुरुमुख सिंह ने बताया कि सिख धर्म के संस्थापक गुरु नानक देव सैकड़ों वर्ष पहले देश भ्रमण पर निकले थे। इस दौरान वह सिभावली ब्लाक के गांव हबिसपुर विगास में भी पहुंचे। गांव के किनारे एक बरगद के वृक्ष के नीचे विश्राम के लिए ठहरे। उन्होंने वृक्ष के समीप एक सरोवर में स्नान भी किया और तपस्या की। कुछ दिन तक यहां रुकने के बाद वह आगे के लिए रवाना हो गए। इसके चलते बरगद का वृक्ष लोगों के लिए पूजनीय हो गया और लोग इस वृक्ष के नीचे पहुंचकर माथा टेकने लगे। मान्यता है कि इस वृक्ष के नीचे बैठकर की गई मनोकामना पूरी होती है।

सत्संग व भंडारे में बड़ी संख्या में लोग पहुंचते हैं। मान्यता है कि जिस सरोवर में गुरु नानक देव जी ने स्नान किया था, उसमें स्नान करने से चर्म रोग समाप्त हो जाता है। गुरु नानक देव जी के बारे में कहा गया है कि नानक नाम जहाज है, चढ़े सौ उतरे पार। गुरुद्वारे पर आने वाले श्रद्धालुओं की सुविधा के लिए भी पार्क, श्रद्धालुओं के रुकने की अच्छी व्यवस्था के साथ ही विभिन्न प्रकार के निर्माण कार्य कराए जा रहे हैं। हबीसपुर विगास में विश्राम करने के बाद गुरु नानक देव महाराज जी गढ़ नगर स्थित नक्का कुआं रोड के निकट गुरुद्वारे में भी आए थे। यहां पर वह आयोजित लंगर में शामिल में होने के बाद आगे के लिए रवाना हो गए।

 

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