राजनीति

सुप्रीम कोर्ट से बंगाल सरकार को झटका, शुभेंदु अधिकारी से जुड़े मामलों में हाईकोर्ट के आदेश पर दखल से इन्‍कार

सुप्रीम कोर्ट ने कलकत्ता हाईकोर्ट के उस आदेश में दखल देने से इन्‍कार कर दिया है जिसमें भाजपा नेता शुभेंदु अधिकारी के खिलाफ आपराधिक केस में पुलिस को किसी भी तरह की कठोर कार्रवाई करने पर रोक लगा दी गई थी। इन मामलों में पश्चिम बंगाल में विपक्ष के नेता शुभेंदु अधिकारी के बाडीगार्ड की असमय मृत्यु की सीआईडी जांच भी शामिल है। यही नहीं शीर्ष अदालत ने हाईकोर्ट से मामले के अंतिम निस्तारण में तेजी लाने को कहा है।

न्यायमूर्ति डीवाई चंद्रचूड़ और न्यायमूर्ति एएस बोपन्ना की पीठ ने कहा कि विशेष अनुमति याचिका संविधान के अनुच्छेद-136 के तहत दायर की गई थी। छह सितंबर 2021 के कलकत्ता हाईकोर्ट के एक अंतरिम आदेश से संबद्ध है। सिंगल बेंच ने चार हफ्ते में प्रतिवादियों को हलफनामा दाखिल करने को कहा था। पश्चिम बंगाल और जांच अधिकारी ने आज तक इस पर कोई कोई जवाब नहीं दिया है। अदालत हाईकोर्ट के आदेश के समर्थन में है।

सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि चूंकि यह मामला कलकत्‍ता हाईकोर्ट के पास विचाराधीन है। ऐसे में हम अनुच्छेद-136 के तहत अपने अधिकार क्षेत्र का इस्‍तेमाल करने के पक्ष में नहीं है। पश्चिम बंगाल सरकार की ओर से दाखिल याचिका पर वरिष्ठ अधिवक्ता कल्याण बंधोपाध्याय ने दलील दी। उनका कहना था कि शुभेंदु अधिकारी के खिलाफ सरकार की किसी भी प्रकार की दुर्भावना नहीं है। अदालत चाहे तो शर्तों के साथ भी राज्य पुलिस को सभी मामलों की जांच की अनुमति दे सकती है।

बंगाल सरकार की ओर से पेश हुए वरिष्ठ अधिवक्ता कल्याण बंधोपाध्याय ने दलील दी कि मैंने अपने 41 साल के वकालत के पेशे में हाईकोर्ट की ओर से इस तरह का आदेश दिया जाना कभी नहीं देखा है। कई लोग भाजपा में शामिल हुए लेकिन उनके खिलाफ केस दर्ज नहीं किए गए लेकिन यदि कोई अपराध हुआ है तो केस दर्ज होना चाहिए।

उल्लेखनीय है कि पश्चिम बंगाल की सीआईडी ने भाजपा नेता शुभेंदु अधिकारी को हत्या के मामले में छानबीन को लेकर हाजिर होने को कहा था लेकिन अधिकारी मामलों से संबद्ध प्राथमिकियों को कोलकाता हाईकोर्ट में चुनौती दिए जाने का हवाला देते हुए उपस्थित नहीं हुए थे। अंगरक्षक की पत्नी सुपर्णा कांजीलाल चक्रवर्ती की ओर से हत्या का मामला दर्ज कराया गया था।

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