राजनीति

12 सांसदों के निलंबन पर भड़का विपक्ष, सरकार के खिलाफ लामबंदी तेज, कांग्रेस बोली- कल विपक्षी दलों के साथ होगी बैठक

सदन के अंदर तोड़फोड़, आसन पर पेपर फेंकने, टेबल पर चढ़कर डांस और मार्शल तक के साथ अभद्रता के आरोप में राज्यसभा के 12 सदस्य पूरे शीतकालीन सत्र के लिए निलंबित कर दिए गए हैं। घटना पिछले सत्र के आखिरी दिन 11 अगस्त की थी। इसलिए पूरी छानबीन के बाद शीतकालीन सत्र के पहले दिन यह कार्रवाई हुई है। इस कार्रवाई को लेकर विपक्ष ने आक्रामक तेवर अख्तियार कर लिए हैं। कांग्रेस ने कहा है कि हम इस कदम की निंदा करते हैं। कल 10 बजे विपक्षी पार्टियों ने इस मुद्दे को लेकर मिलना तय किया है।

उपसभापति के प्रस्‍ताव पर लगी मुहर

उपसभापति हरिवंश नारायण की अनुमति से संसदीय कार्यमंत्री प्रल्हाद जोशी ने इस आशय का प्रस्ताव सदन में पेश किया, जिसका विपक्षी दलों ने विरोध किया लेकिन हंगामे के बीच सदन में इसे मंजूरी दे दी गई। यह कार्रवाई राज्यसभा की नियमावली 256 के तहत की गई है, जिसमें सभापति को यह अधिकार प्राप्त है।

ये हैं आरोप

आरोप हैं कि निलंबित सदस्यों ने बीते मानसून सत्र के आखिरी दिन सदन की गरिमा को तार-तार करते हुए कथित तौर पर धक्का-मुक्की के साथ जबर्दस्त हंगामा किया था। इसे लेकर गठित समिति ने इसकी जांच की थी, जिसकी सिफारिशों के आधार पर तैयार प्रस्ताव को सदन में मंजूरी दी गई।

सभापति को हैं अधिकार

धक्का-मुक्की और सदन की मर्यादा का कथित तौर पर उल्लंघन करने के आरोपों के बाद राज्यसभा के सभापति एम वेंकैया नायडू ने मामले की जांच के लिए समिति गठित की थी। समिति की सिफारिशों के आधार पर इन सांसदों के खिलाफ सोमवार को कार्रवाई की गई। राज्यसभा के सभापति को सदन की कार्यवाही के संचालन के लिए कई तरह के अधिकार प्राप्त हैं। समिति ने अपनी जांच में उक्त सदस्यों के व्यवहार को गलत व अमर्यादित करार दिया है।

विपक्ष ने की थी यह गुजारिश

बताया जाता है कि विपक्षी दलों ने सरकार से यह प्रस्ताव नहीं लाने का आग्रह किया था। सरकार की ओर से जब मांग की गई कि सदस्य सदन के अंदर माफी मांगे और वचन दें कि इस सत्र में कोई अड़चन पैदा नहीं करेंगे तो विपक्षी दलों ने ऐसा आश्वासन देने से मना कर दिया।

11 अगस्त की घटना शर्मनाक

दरअसल सरकारी पक्ष का कहना है कि विपक्ष ने मानसून सत्र को बाधित करने का मन बना लिया था। एक नेता ने राज्यसभा की बुलेटिन दिखाते हुए कहा कि हर दिन सदन को बाधित करने वाले दो-ढाई दर्जन विपक्षी सदस्यों का नाम आता था। सरकार ने बर्दाश्त किया। लेकिन 11 अगस्त को जो कुछ हुआ वह निम्नतम गिरने की पराकाष्ठा थी।

लंबा रहा है ऐसी कार्रवाई का इतिहास

सदन में अशोभनीय आचरण करने के आरोप में पहली कार्रवाई 40वें सत्र में 1962 में गोडे मुराहरि के खिलाफ हुई थी। चर्चित नेता राजनारायण को 1966, 1967, 1971 और 1974 में सदन से निलंबित किया गया था। हाल के वर्षों में 2010 में कमाल अख्तर, वीरपाल सिंह यादव, एजाज अली, सुभाष प्रसाद यादव, अमीर आलम, नंद किशोर यादव को निलंबन झेलना पड़ा। साबिर अली और सुभाष यादव को अक्षम्य आचरण के चलते सदन से बर्खास्त तक कर दिया गया।

साल 2020 और 2021 में भी घटनाएं

साल 2020 में तृणमूल के डेरेक ओ ब्रायन, आप के संजय ¨सह, कांग्रेस के राजीव सातव, माकपा के केके रागेश, कांग्रेस के सैयद नासिर हुसैन, रिपुन बोरा, एआइटीसी के डोला सेन और माकपा के एलामारम करीम को निलंबित कर दिया गया था। 2021 में डाक्टर शांतनु सेन को भी निलंबन झेलना पड़ा।

इन सांसदों को किया गया निलंबित

जिन 12 सांसदों को पूरे शीतकालीन सत्र के लिए सदन से निलंबित किया गया है, उनमें माकपा के इलामारम करीम, कांग्रेस की फूलो देवी नेताम, छाया वर्मा, रिपुन बोरा, राजमणि पटेल, सैयद नासिर हुसैन, अखिलेश प्रसाद सिंह, तृणमूल कांग्रेस की डोला सेन और शांता छेत्री, शिव सेना की प्रियंका चतुर्वेदी और अनिल देसाई तथा भाकपा के विनय विस्वम शामिल हैं।

सिब्बल ने बोला हमला

इन 12 सांसदों को सस्पेंड करने पर कांग्रेस नेता कपिल सिब्बल ने सरकार पर हमला बोला। उन्‍होंने कहा कि सरकार की केवल ये मानसिकता है कि विपक्ष के ऊपर किसी तरह से वार करो और इनको मालूम है कि अगर वो इस तरह निलंबित करेंगे तो निश्चित रूप से विपक्ष इसका विरोध करेगी और फिर सदन नहीं चलेगा। वह यही चाहते हैं कि सदन न चले….

लामबंद हुआ विपक्ष

सांसदों को शीतकालीन सत्र से सस्पेंड करने पर कांग्रेस नेता मल्लिकार्जुन खड़गे ने कहा कि यह लोकतंत्र विरोधी कदम है और सरकार सांसदों में डर पैदा करने के लिए ये कदम उठाई है। डराना-धमकाना उनकी अदत बन गई है। सरकार ने आज 12 सांसदों पर एक्शन लेने के लिए जो रेजोल्यूशन मूव किया है ये पूरी तरह गलत है। यह लोकतंत्र का गला घोटने की कोशिश है। हम इसकी निंदा करते हैं और इस पर सभी विपक्षी पार्टी सहमत है। कल 10 बजे हमने मिलना तय किया है…

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