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विक्रम संवत के अनुसार नए साल की शुरुआत, लोकसभा अध्यक्ष ओम बिड़ला ने लोगों को दीं शुभकामनाएं

सभी महीनों में चैत्र (Chaitra) को बहुत ही पवित्र महीना माना जाता है. चैत्र मास को हिंदू वर्ष का पहला महीना होता है. लोकसभा अध्यक्ष ओम बिड़ला (Lok Sabha Speaker Om Birla) ने सोमवार को हिन्दू कैलेंडर विक्रम संवत के अनुसार नए साल (Vikram Samvat New Year) के अवसर पर लोगों को शुभकामनाएं दीं. उन्होंने कहा, “विक्रम संवत के अनुसार, आज नए साल का पहला दिन है. इस शुभ अवसर पर मेरी तरफ से सभी को हार्दिक शुभकामनाएं.”

उन्होंने कहा, “नए साल की शुरुआत में मैं चाहता हूं कि हमारा देश मजबूत, सुरक्षित और समृद्ध बने और हम दुनिया को मानवता और शांति के रास्ते पर ले जाएं.” इसी के साथ, उन्होंने सभी लोगों से त्योहार को मनाते समय कोरोना (Coronavirus) से बचाव को लेकर सभी नियमों, जैसे मास्क पहनना और सोशल डिस्टेंसिंग के पालन करने की अपील की. इसके आलावा, उन्होंने लोगों से कहा कि सभी को ये प्रतिज्ञा करनी चाहिए कि वे नए उत्साह और प्रतिबद्धता के साथ राष्ट्र-निर्माण में अपना-अपना योगदान देंगे.

विक्रम संवत 2078 को हिंदू नववर्ष

इस बार 13 अप्रैल 2021 को विक्रम संवत 2078 को हिंदू नववर्ष मनाया जाएगा. संवत्सर की शुरुआत राजा विक्रमादित्य के द्वारा की गई थी, इसलिए इसे विक्रम संवत कहा जाता है. यह अंग्रेजी कैलेंडर से 57 साल आगे है. यानी जहां अंग्रेजी कैलेंडर के अनुसार साल 2021 चल रहा है तो वहीं विक्रम संवत के अनुसार ये 2078 चल रहा है. माना जाता है कि इसी दिन ब्रह्मा जी ने सृष्टि की रचना की थी, इसीलिए इसे नववर्ष के रूप में मनाया जाता है. विक्रम संवत को ही सबसे वैज्ञानिक कैलेंडर माना जाता है और सूर्य-चंद्रमा की गणना भी इसी संवत पर आधारित है.

देश के अलग-अलग भागों में अलग-अलग नाम

देश के अलग-अलग हिस्सों में इस त्योहार के अलग-अलग नाम हैं. आज का ये दिन दक्षिणी राज्यों में विशु, असम में रंगोली और महाराष्ट्र में गुड़ी पड़वा के रूप में मनाया जाता है. वहीं देश के कई हिस्सों में यह चैत्र नवरात्रि, झूलेलाल जयंती, माशा संक्रांति की भी शुरुआत का प्रतीक है. 13 अप्रैल को भारत में बैसाखी का त्योहार मनाया जाएगा. बैसाखी भारत के सबसे लोकप्रिय त्योहारों में से एक है जिसे बहुत जोश और उत्साह के साथ मनाया जाता है क्योंकि ये फसल के मौसम की शुरुआत का प्रतीक है. बैसाखी के दिन गंगा स्नान का भी विशेष महत्व माना जाता है. इस त्योहार के मौके पर हरिद्वार और ऋषिकेश में मेला लगता है और लोगों की भीड़ जुटती है.

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